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दो सीट का किराया वसूलना उचित नहीं, लॉकडाउन से पूर्व निर्धारित किराया लागू करे सरकार- मेयर

अनलॉक 4.0 में अंतर जिला यात्री बसों का परिचालन शुरू होने पर मेयर आशा लकड़ा ने बस मालिकों के प्रति आभार व्यक्त किया. साथ ही उन्होंने कहा कि दो सीटों के किराए का भुगतान करना मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना है.

bus service started
बसों का परिचालन
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Published : Sep 2, 2020, 7:50 PM IST

रांचीः अनलॉक 4.0 में राज्य में अंतर जिला यात्री बसों का परिचालन कर यात्रियों को राहत देने के काम के लिए मेयर आशा लकड़ा ने बुधवार को बस मालिकों के प्रति आभार व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रियों को एक सीट की जगह दो सीटों के किराए का भुगतान करना पड़ रहा है. पिछले पांच महीने से लॉकडाउन के कारण मध्यम वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसकी वजह से उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना उचित नहीं है.

यात्री किराया का निर्धारण नहीं
मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि बसों से यात्रा करने वालों में ज्यादातर लोग मध्यम वर्ग के ही होते हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने बसों के परिचालन की घोषणा तो कर दी, राज्य के विभिन्न जिलों तक आवागमन को सुगम बनाने के दृष्टिकोण से यात्री किराया का निर्धारण नहीं किया. बस मालिकों ने स्वयं यात्रियों के किराया का निर्धारण कर दिया. राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी बस मालिकों के साथ बैठक कर यात्री किराया का निर्धारण करते तो बसों में यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक होती.

इसे भी पढ़ें- JMM ने बाबूलाल को लिया आड़े हाथ, कहा- बीजेपी में जाते ही 'पत्रवीर मरांडी' का हुआ हृदय परिवर्तन

बस मालिकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से घाटा
मेयर ने कहा है कि दोगुना यात्री किराया के कारण लोग बस से सफर करने से परहेज कर रहे है. हालात ऐसे ही रहे तो बसों का परिचालन शुरू करने के बाद भी बस मालिकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से नुकसान ही होगा. एक ओर राज्य सरकार बस मालिकों को टैक्स भुगतान में राहत देने की घोषणा कर रही है. वहीं दूसरी ओर आम लोगों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है.

लॉकडाउन से पूर्व निर्धारित यात्री किराया
मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि लॉकडाउन से पूर्व निर्धारित यात्री किराया को लागू कर बस से सफर करने वाले यात्रियों को राहत दी जाए. साथ ही बस मालिकों को अतिरिक्त सीट का यात्री किराया या डीजल पर किए जाने वाले खर्च की भरपाई की जाए. कोरोना काल में मध्यम वर्ग के लोग अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतित है. किसी की नौकरी चली गई तो किसी का रोजगार खत्म हो चुका है. ऐसे में उनके समक्ष परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसी भी मामले में जनहित को देखते हुए फैसला लेना चाहिए, ना कि जनहित की अनदेखी कर कोई भी निर्णय लेना चाहिए.

रांचीः अनलॉक 4.0 में राज्य में अंतर जिला यात्री बसों का परिचालन कर यात्रियों को राहत देने के काम के लिए मेयर आशा लकड़ा ने बुधवार को बस मालिकों के प्रति आभार व्यक्त किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि यात्रियों को एक सीट की जगह दो सीटों के किराए का भुगतान करना पड़ रहा है. पिछले पांच महीने से लॉकडाउन के कारण मध्यम वर्ग आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसकी वजह से उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना उचित नहीं है.

यात्री किराया का निर्धारण नहीं
मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि बसों से यात्रा करने वालों में ज्यादातर लोग मध्यम वर्ग के ही होते हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने बसों के परिचालन की घोषणा तो कर दी, राज्य के विभिन्न जिलों तक आवागमन को सुगम बनाने के दृष्टिकोण से यात्री किराया का निर्धारण नहीं किया. बस मालिकों ने स्वयं यात्रियों के किराया का निर्धारण कर दिया. राज्य सरकार और प्रशासनिक अधिकारी बस मालिकों के साथ बैठक कर यात्री किराया का निर्धारण करते तो बसों में यात्रियों की संख्या ठीक-ठाक होती.

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बस मालिकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से घाटा
मेयर ने कहा है कि दोगुना यात्री किराया के कारण लोग बस से सफर करने से परहेज कर रहे है. हालात ऐसे ही रहे तो बसों का परिचालन शुरू करने के बाद भी बस मालिकों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से नुकसान ही होगा. एक ओर राज्य सरकार बस मालिकों को टैक्स भुगतान में राहत देने की घोषणा कर रही है. वहीं दूसरी ओर आम लोगों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ डाला जा रहा है.

लॉकडाउन से पूर्व निर्धारित यात्री किराया
मेयर ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि लॉकडाउन से पूर्व निर्धारित यात्री किराया को लागू कर बस से सफर करने वाले यात्रियों को राहत दी जाए. साथ ही बस मालिकों को अतिरिक्त सीट का यात्री किराया या डीजल पर किए जाने वाले खर्च की भरपाई की जाए. कोरोना काल में मध्यम वर्ग के लोग अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतित है. किसी की नौकरी चली गई तो किसी का रोजगार खत्म हो चुका है. ऐसे में उनके समक्ष परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसी भी मामले में जनहित को देखते हुए फैसला लेना चाहिए, ना कि जनहित की अनदेखी कर कोई भी निर्णय लेना चाहिए.

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