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झारखंड में बच्चों के हुनर से सजी कलाकृतियां, दीपावली के त्योहार की बढ़ाएंगी रौनक

झारखंड में बच्चों के हुनर (children skills in Jharkhand) से सजी कलाकृतियां दीपावली के त्योहार का रौनक बढ़ायेंगी. जमशेदपुर से लेकर धनबाद और रांची से लेकर हजारीबाग तक की संस्थाओं और स्कूलों में ऐसे स्पेशल बच्चे इन दिनों दीये-मोमबत्ती और दिवाली स्पेशल गिफ्ट हैंपर बनाने में जुटे हैं.

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झारखंड में बच्चों के हुनर से सजी कलाकृतियां
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Published : Oct 19, 2022, 10:58 PM IST

रांचीः रोशनी के त्योहार में कई घर, प्रतिष्ठान और संस्थान झारखंड के स्पेशल और दिव्यांग बच्चों के हाथों तैयार हुए डिजाइनर दीयों, कैंडल्स और कलाकृतियों से रोशन होंगे. जमशेदपुर से लेकर धनबाद और रांची से लेकर हजारीबाग तक की संस्थाओं और स्कूलों में ऐसे स्पेशल बच्चे इन दिनों दीये-मोमबत्ती और दिवाली स्पेशल गिफ्ट हैंपर बनाने में जुटे हैं.

यह भी पढ़ेंः तुलसी के नीचे मां के जलाए गए दीये का तोड़ नहीं, माटी के दीये की रोशनी का कोई जोड़ नहीं!

हजारीबाग में रांची-पटना रोड पर स्थित शहीद स्मारक के पास दिवाली के पूर्व बुधवार को 'एक शाम, शहीदों के नाम' कार्यक्रम आयोजित की गई. इसमें मूक-बधिर बच्चों के बनाये हजारों दीये एक साथ रोशन होंगे. कार्यक्रम के आयोजन रंजन चौधरी ने बताया कि साल 2017 से लगातार हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित होता है. इस अवसर दीप सजाया जाता है, जिसमें स्पेशल बच्चों का विशेष योगदान होता है.

जमशेदपुर के स्कूल ऑफ होप में स्पेशल बच्चों ने एक महीने पहले से दिवाली के लिए दीये और कैंडल्स बनाना शुरू कर दिया था. इसके लिए उन्हें हर साल खास ट्रेनिंग दी जाती है. स्कूल की प्रशासक विद्या सिंह ने बताया कि हमारे बच्चों के बनाये दीये और कैंडल शहर में स्थित कई कंपनियों में लगाए गए स्टॉल पर बिकते हैं. लोग बड़े उत्साह के साथ इनके बनाये सामान खरीदते हैं. इससे होने वाली आमदनी इन्हीं बच्चों की बेहतरी पर खर्च की जाती है. जमशेदपुर के सोनारी स्थित जीविका स्कूल में पढ़ने वाले स्पेशल बच्चों की कृतियों की चर्चा हर साल खूब होती है. दिवाली के डेढ़ दो माह पहले से पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र आसनबनी से दीये मंगाये जाते हैं, जिन पर स्कूल के शिक्षक की मौजूदगी में स्पेशल बच्चे खास रंग चढ़ाते हैं. फिर इन्हें बेहतरीन ढंग से पैंकिग करके ऑर्डर के हिसाब से ग्राहकों को भेजते हैं. यहां के बच्चे कपड़े के बैग, नैपकिन, शगुन बैग भी बनाते हैं. इसी शहर में धतकीडीह स्थित पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ मेंटली हैंडीकैप्ड में रहने वाले दिव्यांग 200 तरह के सजावटी कैंडल्स बनाते हैं. इस कैंडल के खरीदार अधिकतर स्कूल, कॉरपोरेट हाउस और विभिन्न संस्थाएं हैं.

रांची में चेशायर होम में रहने वाले दिव्यांगों के हाथों बनाये गये स्पेशल दीपावली उपहार लोग यहां पहुंचकर खरीदते हैं. धनबाद में दिव्यांग बच्चों के विशेष विद्यालय जीवन ज्योति स्कूल में भी दिवाली को लेकर खूब उत्साह है. यहां बच्चों द्वारा बनाए गए डिजाइनर दीयों, फ्लोटिंग कैंडल, जेल कैंडल और ग्रिटिंग कार्ड प्रदर्शनी लगाकर बेचे जा रहे हैं.

रांचीः रोशनी के त्योहार में कई घर, प्रतिष्ठान और संस्थान झारखंड के स्पेशल और दिव्यांग बच्चों के हाथों तैयार हुए डिजाइनर दीयों, कैंडल्स और कलाकृतियों से रोशन होंगे. जमशेदपुर से लेकर धनबाद और रांची से लेकर हजारीबाग तक की संस्थाओं और स्कूलों में ऐसे स्पेशल बच्चे इन दिनों दीये-मोमबत्ती और दिवाली स्पेशल गिफ्ट हैंपर बनाने में जुटे हैं.

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हजारीबाग में रांची-पटना रोड पर स्थित शहीद स्मारक के पास दिवाली के पूर्व बुधवार को 'एक शाम, शहीदों के नाम' कार्यक्रम आयोजित की गई. इसमें मूक-बधिर बच्चों के बनाये हजारों दीये एक साथ रोशन होंगे. कार्यक्रम के आयोजन रंजन चौधरी ने बताया कि साल 2017 से लगातार हर वर्ष यह कार्यक्रम आयोजित होता है. इस अवसर दीप सजाया जाता है, जिसमें स्पेशल बच्चों का विशेष योगदान होता है.

जमशेदपुर के स्कूल ऑफ होप में स्पेशल बच्चों ने एक महीने पहले से दिवाली के लिए दीये और कैंडल्स बनाना शुरू कर दिया था. इसके लिए उन्हें हर साल खास ट्रेनिंग दी जाती है. स्कूल की प्रशासक विद्या सिंह ने बताया कि हमारे बच्चों के बनाये दीये और कैंडल शहर में स्थित कई कंपनियों में लगाए गए स्टॉल पर बिकते हैं. लोग बड़े उत्साह के साथ इनके बनाये सामान खरीदते हैं. इससे होने वाली आमदनी इन्हीं बच्चों की बेहतरी पर खर्च की जाती है. जमशेदपुर के सोनारी स्थित जीविका स्कूल में पढ़ने वाले स्पेशल बच्चों की कृतियों की चर्चा हर साल खूब होती है. दिवाली के डेढ़ दो माह पहले से पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र आसनबनी से दीये मंगाये जाते हैं, जिन पर स्कूल के शिक्षक की मौजूदगी में स्पेशल बच्चे खास रंग चढ़ाते हैं. फिर इन्हें बेहतरीन ढंग से पैंकिग करके ऑर्डर के हिसाब से ग्राहकों को भेजते हैं. यहां के बच्चे कपड़े के बैग, नैपकिन, शगुन बैग भी बनाते हैं. इसी शहर में धतकीडीह स्थित पैरेंट्स एसोसिएशन ऑफ मेंटली हैंडीकैप्ड में रहने वाले दिव्यांग 200 तरह के सजावटी कैंडल्स बनाते हैं. इस कैंडल के खरीदार अधिकतर स्कूल, कॉरपोरेट हाउस और विभिन्न संस्थाएं हैं.

रांची में चेशायर होम में रहने वाले दिव्यांगों के हाथों बनाये गये स्पेशल दीपावली उपहार लोग यहां पहुंचकर खरीदते हैं. धनबाद में दिव्यांग बच्चों के विशेष विद्यालय जीवन ज्योति स्कूल में भी दिवाली को लेकर खूब उत्साह है. यहां बच्चों द्वारा बनाए गए डिजाइनर दीयों, फ्लोटिंग कैंडल, जेल कैंडल और ग्रिटिंग कार्ड प्रदर्शनी लगाकर बेचे जा रहे हैं.

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