रांची: कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए विश्व भर में लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है. भारत के भी तमाम राज्यों में लॉकडाउन जारी है. जिसका व्यापक असर शिक्षा जगत पर भी पड़ा है. स्कूली शिक्षा के अलावे विश्वविद्यालय में पठन-पाठन को लेकर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई है, लेकिन फिर भी कई व्यवस्थाएं ध्वस्त होती नजर आ रही है. ऐसे में विभाग और प्रबंधक के सामने एक बड़ी चुनौती है.
निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए तो लंबी छुट्टी घोषित हो गई है. ऐसे में बच्चों का भविष्य अधर में दिख रहा है.
कोरोना का कहर पूरी दुनिया में जारी है. इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर आम जनजीवन के साथ-साथ कई क्षेत्रों में पड़ने लगा है. इसका प्रभाव शिक्षा जगत पर भी बहुत ज्यादा पड़ा है. कई राज्यों में लॉकडाउन से पहले परीक्षा चल रही थी, जिसे कोरोना के कारण अचानक से बीच में ही रोक देना पड़ा. झारखंड में इंटर- मैट्रिक की परीक्षा समाप्त हो गई थी, लेकिन कॉपियों की जांच नहीं हो पाई है. अब रिजल्ट को लेकर परेशानियां भी सामने आ गई है. अप्रैल-मई के बीच इन दोनों परीक्षाओं का रिजल्ट प्रत्येक वर्ष घोषित कर दिया जाता था, लेकिन इस बार समय पर रिजल्ट घोषित करना संभव नहीं लग रहा है. ऐसे में इस एग्जाम से जुड़े विद्यार्थियों को भविष्य की चिंता सता रही है.
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विश्वविद्यालयों की यह है हालत.
वहीं विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी कक्षाओं में पठन-पाठन पूरी तरह ठप है, लेकिन कुछ हद तक ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से विद्यार्थियों की कुछ समस्याएं दूर करने की कोशिश हो रही है. अपनी पढ़ाई को लेकर विद्यार्थी तनाव में हैं. विश्वविद्यालय लगातार नए नए प्रयोग और प्रयास कर विद्यार्थियों के मानसिक परेशानियों को भी दूर करने की कोशिश में लगी है. वहीं यूजी और पीजी में सेमेस्टर का एग्जाम हो चुका है, लेकिन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन फिलहाल बंद है. ऐसे में परीक्षा का परिणाम आने में देरी होगी और इसके कारण सेशन भी काफी लेट हो जाएगा और इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ेगा.
इन विश्वविद्यालयों ने उठाए हैं कदम
रांची विश्वविद्यालय और डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों के पठन-पाठन बाधित न हो इसे लेकर ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की है. एक तरफ जहां आरयू में रेडियो खांची के जरिए शिक्षकों के माध्यम से ऑनलाइन वीडियो-ऑडियो के जरिए पढ़ाया जा रहा है, तो वहीं डीएसपीएमयू अपने वेबसाइट के माध्यम से विद्यार्थियों तक तमाम पठन-पाठन की सामग्री पहुंचा रही है. विद्यार्थी लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि उनकी पढ़ाई बेहतर तरीके से हो सके.
निजी स्कूलों में भी ऑनलाइन पढ़ाई की शुरुआत
इधर निजी स्कूलों ने अपने नए और पुराने विद्यार्थियों को स्कूल एप के जरिए टास्क देना शुरु कर दिया है और असाइनमेंट के माध्यम से उनका पठन-पाठन सुचारू करने की कोशिश हो रही है. कई निजी स्कूल इस क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं, लेकिन वहीं अगर हम सरकारी स्कूलों की बात करें, तो सरकारी स्कूलों में मिड डे मील के अलावे किसी भी गतिविधियां सुचारू तरीके से संचालित नहीं हो पा रही है.
सरकारी स्कूलों की ओर विभाग का नहीं है ध्यान
सरकारी स्कूलों के पठन-पाठन की ओर शिक्षा विभाग का ध्यान न के बराबर है. प्राइमरी स्कूल हो या माध्यमिक या फिर सेकेंडरी स्कूल तमाम स्कूलों में पठन-पाठन ठप है. सरकारी स्कूलों के शिक्षक घरों में बैठे हैं और विद्यार्थी भी फिलहाल लॉकडाउन के कारण घरों में ही बंद है. सरकारी स्कूलों की ओर विभाग का ध्यान ही नहीं है बच्चों के बीच मिडडे मील की व्यवस्था अलग-अलग तरीके से की जा रही है, लेकिन पठन-पाठन को लेकर अब तक कोई ठोस पहल नहीं दिख रहा है. यह विभाग और सरकारी स्कूलों के लिए चिंता का विषय जरूर है.