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रांची: भूख से बेहाल हैं वेटनरी कॉलेज में रह रहे पशु, नहीं मिल रहा आहार

रांची के वेटनरी कॉलेज के पशुओं को आहार नहीं मिल रहा है, वो कमजोर होते जा रहे हैं. बताया जा रहा है कि प्रशासनिक स्वीकृति के अभाव में भुगतान लंबित है. इसलिए पशुओं के आहार पर संकट आ चुका है.

Animals living in Veterinary College are not getting food due to payment pending in ranchi
ख से बेहाल हैं वेटनरी कॉलेज में रह रहे पशु
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Published : Apr 27, 2020, 2:04 PM IST

रांची: कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी कॉलेज में रह रहे पशुओं के बीच इन दिनों चारा का संकट उत्पन्न हो गया है. चारा का संकट उत्पन्न होने की वजह लॉकडाउन नहीं बल्कि चारा मद से भुगतान नहीं होने के कारण उत्पन्न हुई है.

वेटरनरी कॉलेज में रह रहे पशुओं को नहीं मिल रहा आहार

बता दें कि विश्वविद्यालय के पास चारा मद में पर्याप्त राशि होने के बावजूद सिर्फ प्रशासनिक स्वीकृति के अभाव में भुगतान लंबित है. अगस्त 2019 से अब तक 80 लाख इकाई आपूर्ति नहीं कर रहा पा रहा है, वहीं रुपए बकाया होने से चारा आपूर्तिकर्ता आपूर्ति नहीं कर पा रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सूत्र के अनुसार पशु-पक्षियों के आहार मद में प्रति माह 9.5 लाख रुपए का खर्च होता है और पशुओं को जिंदा रखने के लिए कॉलेज स्थित पशु चारा शोध फर्म से उत्पादित चारा से काम चलाया जा रहा है, लेकिन 25 से 26 दिनों से ज्यादा का पर्याप्त आहार नहीं मिलने के कारण पशु-पक्षी काफी कमजोर हो गए हैं और उनकी स्थिति दयनीय चल रही है.

ये भी पढ़ें- गिरिडीहः वेतन नहीं मिलने से नाराज सैकड़ों मजदूरों ने किया हंगामा, फैक्ट्री का किया घेराव

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय कॉलेज की यह इकाई डीपीडी स्थानीय डीलर से बादाम खल्ली, चोकर, मछली चोर लवण और नमक आदि खरीद कर इसे तैयार मिश्रित चारा बनाती है. लेकिन बकाया होने के कारण स्थानीय डीलर माल नहीं दे रहे हैं. वहीं, इस महीने आपूर्ति बंद होने से कॉलेज के फार्म में रह रहे करीब 800 सूकर, 200 बकरी, 100 भेड़, 2000 मुर्गियां और चूजे सहित 90 गाय और भैंस के खाने-पीने पर संकट हो गया है.

रांची: कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वेटनरी कॉलेज में रह रहे पशुओं के बीच इन दिनों चारा का संकट उत्पन्न हो गया है. चारा का संकट उत्पन्न होने की वजह लॉकडाउन नहीं बल्कि चारा मद से भुगतान नहीं होने के कारण उत्पन्न हुई है.

वेटरनरी कॉलेज में रह रहे पशुओं को नहीं मिल रहा आहार

बता दें कि विश्वविद्यालय के पास चारा मद में पर्याप्त राशि होने के बावजूद सिर्फ प्रशासनिक स्वीकृति के अभाव में भुगतान लंबित है. अगस्त 2019 से अब तक 80 लाख इकाई आपूर्ति नहीं कर रहा पा रहा है, वहीं रुपए बकाया होने से चारा आपूर्तिकर्ता आपूर्ति नहीं कर पा रहा है. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सूत्र के अनुसार पशु-पक्षियों के आहार मद में प्रति माह 9.5 लाख रुपए का खर्च होता है और पशुओं को जिंदा रखने के लिए कॉलेज स्थित पशु चारा शोध फर्म से उत्पादित चारा से काम चलाया जा रहा है, लेकिन 25 से 26 दिनों से ज्यादा का पर्याप्त आहार नहीं मिलने के कारण पशु-पक्षी काफी कमजोर हो गए हैं और उनकी स्थिति दयनीय चल रही है.

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय कॉलेज की यह इकाई डीपीडी स्थानीय डीलर से बादाम खल्ली, चोकर, मछली चोर लवण और नमक आदि खरीद कर इसे तैयार मिश्रित चारा बनाती है. लेकिन बकाया होने के कारण स्थानीय डीलर माल नहीं दे रहे हैं. वहीं, इस महीने आपूर्ति बंद होने से कॉलेज के फार्म में रह रहे करीब 800 सूकर, 200 बकरी, 100 भेड़, 2000 मुर्गियां और चूजे सहित 90 गाय और भैंस के खाने-पीने पर संकट हो गया है.

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