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Jharkhand News: झारखंड में लंपी बीमारी से बचाव के लिए पशुपालन विभाग के पास वैक्सीन नहीं, राज्यभर से 21 लाख वैक्सीन की भेजी गई डिमांड - मवेशियों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा

झारखंड में एक तरफ पशुओं में लंपी बीमारी जैसे रोग का तेजी से प्रसार हो रहा है, वहीं झारखंड सरकार के पास लंपी से निपटने के लिए गोट पॉक्स का टीका उपलब्ध ही नहीं है. पशुपालन निदेशालय को कुल 21 लाख वैक्सीन की डिमांड भेजी गई है, लेकिन अब तक टीका उपलब्ध नहीं हो पाया है. वहीं बीमार पशुओं को टीका नहीं लगने से जैसे-तैसे उनका इलाज किया जा रहा है.

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Animal Husbandry Department Does Not Have Vaccine
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 6, 2023, 9:28 PM IST

रांची: झारखंड में गाय और अन्य गौ वंशीय पशुओं में तेजी से लंपी स्किन डिजीज (LSD)तेजी से फैल रहा है. रांची सहित कई जिलों के अलग-अलग प्रखंडों से बड़ी संख्या में लंपी बीमारी जैसे लक्षण से ग्रस्त पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उसके बचाव में काम आनेवाले गोट पॉक्स (Goat Pox) का टीका उपलब्ध नहीं है. राज्य के अलग-अलग जिलों के जिला पशुपालन पदाधिकारी ने पशुपालन निदेशालय से गोट पॉक्स की वैक्सीन उपलब्ध कराने की मांग की है. रांची सहित अलग-अलग जिलों से कुल मिलाकर 21 लाख वैक्सीन की मांग की गई है. लेकिन अभी तक गोट पॉक्स की वैक्सीन खरीदने की कोई पहल शुरू नहीं की गई है. सिर्फ रांची जिले से ही 80 हजार वैक्सीन उपलब्ध कराने का आग्रह पशुपालन निदेशालय से किया गया है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में फैला लंपी डिजीज! भोपाल लैब से रिपोर्ट का इंतजार, निदेशक बोले- 21 लाख वैक्सीन का आया है डिमांड, अफवाह से बचें पशुपालक

रांची के छह प्रखंडों में मवेशियों में लंपी बीमारी के लक्षणः रांची के जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक रांची जिले में लंपी स्किन डिजीज का कोई कंफर्म केस नहीं है. जिले के अलग-अलग प्रखंडों से लंपी जैसी बीमारी से ग्रस्त पशुओं का सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (HSADL)भेजा गया है और वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है. उन्होंने कहा कि रांची जिले के खेलारी, राहे, नगड़ी, चान्हो और अनगड़ा प्रखंड में कई पशुओं में लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षणों वाले पशुओं की सूचना है. जिनका इलाज प्रखंड भ्रमणशील पशुपालन पदाधिकारी के देखरेख में किया जा रहा है.

रांची जिले ने डिमांड की तत्काल 80 हजार वैक्सीनः राज्य में लंपी स्किन डिजीज के संदिग्ध पशुओं को बीमारी से बचाव का टीका नहीं मिल पा रहा है .इस वजह से लंपी बीमारी तेजी से फैल रही है. रांची जिले के जिला पशुपालन पदाधिकारी (DAHO) ने 80 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन की मांग निदेशालय से की है. इस संबंध में रांची के पशुपालन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि रांची में पिछले वर्ष की जितनी वैक्सीन बची थी उसे पशुओं को एहतियातन लगा दिया गया है. अब रांची में एक भी वैक्सीन नहीं है. उन्होंने कहा कि जैसे ही गोट पॉक्स की वैक्सीन मिल जाएगी अभियान चलाकर प्रभावित इलाकों के मवेशियों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा. वैसे राज्य के पशुपालन निदेशक ने जल्द ही गोट पॉक्स के वैक्सीन खरीदने की बात कही थी, लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है.

संक्रमित पशुओं को तत्काल आइसोलेट कर दें पशुपालकः राज्य पशु चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ शिवा काशी ने कहा कि हालांकि अभी तक लंपी स्किन डिजीज का कोई कंफर्मेशन भोपाल के लैब से नहीं हुआ है, लेकिन पशुओं में जो लक्षण है वह लंपी जैसे ही हैं. ऐसे में जैसे ही पशु खाना छोड़ दे, पशु के शरीर पर गांठे उभर आए, मुंह से लार आने लगे और बुखार हो तो स्वस्थ्य पशुओं से उसे दूर कर देना चाहिए और वहां पर नीम के पत्तों का धुआं करते रहना चाहिए, ताकि मच्छर-मक्खी पीड़ित पशु पर न बैठे. इसके बाद पशुपालक प्रखंड के पशु चिकित्सक से तत्काल संपर्क कर इलाज शुरू कर दें. हल्दी और एलोवेरा खिलाने से पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और पशु जल्द ठीक हो जाता है.

रांची: झारखंड में गाय और अन्य गौ वंशीय पशुओं में तेजी से लंपी स्किन डिजीज (LSD)तेजी से फैल रहा है. रांची सहित कई जिलों के अलग-अलग प्रखंडों से बड़ी संख्या में लंपी बीमारी जैसे लक्षण से ग्रस्त पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन उसके बचाव में काम आनेवाले गोट पॉक्स (Goat Pox) का टीका उपलब्ध नहीं है. राज्य के अलग-अलग जिलों के जिला पशुपालन पदाधिकारी ने पशुपालन निदेशालय से गोट पॉक्स की वैक्सीन उपलब्ध कराने की मांग की है. रांची सहित अलग-अलग जिलों से कुल मिलाकर 21 लाख वैक्सीन की मांग की गई है. लेकिन अभी तक गोट पॉक्स की वैक्सीन खरीदने की कोई पहल शुरू नहीं की गई है. सिर्फ रांची जिले से ही 80 हजार वैक्सीन उपलब्ध कराने का आग्रह पशुपालन निदेशालय से किया गया है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में फैला लंपी डिजीज! भोपाल लैब से रिपोर्ट का इंतजार, निदेशक बोले- 21 लाख वैक्सीन का आया है डिमांड, अफवाह से बचें पशुपालक

रांची के छह प्रखंडों में मवेशियों में लंपी बीमारी के लक्षणः रांची के जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक रांची जिले में लंपी स्किन डिजीज का कोई कंफर्म केस नहीं है. जिले के अलग-अलग प्रखंडों से लंपी जैसी बीमारी से ग्रस्त पशुओं का सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (HSADL)भेजा गया है और वहां से रिपोर्ट आने का इंतजार है. उन्होंने कहा कि रांची जिले के खेलारी, राहे, नगड़ी, चान्हो और अनगड़ा प्रखंड में कई पशुओं में लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षणों वाले पशुओं की सूचना है. जिनका इलाज प्रखंड भ्रमणशील पशुपालन पदाधिकारी के देखरेख में किया जा रहा है.

रांची जिले ने डिमांड की तत्काल 80 हजार वैक्सीनः राज्य में लंपी स्किन डिजीज के संदिग्ध पशुओं को बीमारी से बचाव का टीका नहीं मिल पा रहा है .इस वजह से लंपी बीमारी तेजी से फैल रही है. रांची जिले के जिला पशुपालन पदाधिकारी (DAHO) ने 80 हजार गोट पॉक्स वैक्सीन की मांग निदेशालय से की है. इस संबंध में रांची के पशुपालन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि रांची में पिछले वर्ष की जितनी वैक्सीन बची थी उसे पशुओं को एहतियातन लगा दिया गया है. अब रांची में एक भी वैक्सीन नहीं है. उन्होंने कहा कि जैसे ही गोट पॉक्स की वैक्सीन मिल जाएगी अभियान चलाकर प्रभावित इलाकों के मवेशियों को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा. वैसे राज्य के पशुपालन निदेशक ने जल्द ही गोट पॉक्स के वैक्सीन खरीदने की बात कही थी, लेकिन अभी तक यह नहीं हो पाया है.

संक्रमित पशुओं को तत्काल आइसोलेट कर दें पशुपालकः राज्य पशु चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ शिवा काशी ने कहा कि हालांकि अभी तक लंपी स्किन डिजीज का कोई कंफर्मेशन भोपाल के लैब से नहीं हुआ है, लेकिन पशुओं में जो लक्षण है वह लंपी जैसे ही हैं. ऐसे में जैसे ही पशु खाना छोड़ दे, पशु के शरीर पर गांठे उभर आए, मुंह से लार आने लगे और बुखार हो तो स्वस्थ्य पशुओं से उसे दूर कर देना चाहिए और वहां पर नीम के पत्तों का धुआं करते रहना चाहिए, ताकि मच्छर-मक्खी पीड़ित पशु पर न बैठे. इसके बाद पशुपालक प्रखंड के पशु चिकित्सक से तत्काल संपर्क कर इलाज शुरू कर दें. हल्दी और एलोवेरा खिलाने से पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है और पशु जल्द ठीक हो जाता है.

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