रांचीः राजधानी के कांके स्थित सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र में अज्ञात बीमारी से बड़ी संख्या में सूकरों की मौत हो रही है. शनिवार को 09 सूकरों की अज्ञात बीमारी से मौत हो गई. इसी के साथ इस अज्ञात बीमारी से मरने वालों की संख्या बढ़कर 125 हो गई है. इसमें अकेले कांके सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र के 80 सूकर की मौत हुई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से अफ्रीकन स्वाइन फीवर होने की आशंका जताई जा रही है.
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कांके सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र के प्रबंधक डॉ. अम्बोज कुमार महतो से लेकर झारखंड सूकर विकास पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार यादव को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में सूकरों की मौत क्यों हो रही है.
पोस्टमार्टम में वायरल डिजीज की बातः लगातार बड़ी संख्या में सूकरों की मौत के बाद रांची वेटेनरी कॉलेज के विशेषज्ञ डॉ. एमपी गुप्ता के नेतृत्व में पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें यह बात तो स्पष्ट हुई है कि किसी बैक्टेरियल डिजीज से मौत नहीं हो रही है, मरने वाले सूकरों की आंत में हेमरेज यानी रक्तस्राव और कई मृत सूकरों के नाक मुंह से खून आने की वजह सामने आई है. विशेषज्ञ इससे अफ्रीकन स्वाइन फीवर की आशंका तो जता रहे हैं परंतु कंफर्म नहीं कर रहे हैं क्योंकि मृत सूकरों के बाकी लक्षण अलग हैं. सभी मृत सूकरों को प्रोटोकॉल का अनुसार पोस्टमॉर्टम के बाद मिट्टी में गाड़ा जा रहा है.
मृत सूकरों का सैम्पल जांच के लिए RDDL कोलकाता भेजा गयाः कांके सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र में बड़ी संख्या में अज्ञात बीमारी से सूकरों की हर दिन हो रही मौत के बाद बीमारी का पता लगाने के लिए सैम्पल को RDDL (रीजनल डिजीज डायग्नोस्टिक लेबोरेटरी) और भोपाल के हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लेबोरेटरी (HSADL) भेजा गया है, जहां से रिपोर्ट आने में 7 से 10 दिन का समय लग सकता है.
पूरे कांके सूकर प्रक्षेत्र में दवाओं का छिड़कावः कांके सूकर क्षेत्र के प्रबंधक डॉ. अंबुज कुमार महतो ने बताया कि सूकरों की मौत के बाद से लगातार पूरे प्रक्षेत्र में सोडियम हाइपोक्लोराइट, फिनाइल और चूने का छिड़काव कराया जा रहा है ताकि अन्य सूकरों को संक्रमण से बचाया जा सके. कांके सूकर प्रजनन प्रक्षेत्र में करीब 1100 सूकर हैं, जिसमें से 125 सूकर की मौत हो चुकी है. पूरे प्रक्षेत्र में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. वहीं बीमारी अन्य जगह न फैले, इसकी व्यवस्था की जा रही है.
इंसानों में फैलने का खतरा नहींः हालांकि अभी सूकरों की मौत का जिम्मेदार कौन वायरस है, इसकी पुख्ता जानकारी तो रिपोर्ट आने के बाद लगेगी लेकिन जिस अफ्रीकन स्वाइन फीवर की आशंका जताई जा रही है अगर वह भी हुआ तो राहत की बात यह है कि इस बीमारी का सूकरों से इंसान में आने का खतरा नहीं है. राज्य के सूकर विकास पदाधिकारी डॉ. अजय कुमार यादव कहते हैं कि वैसे तो हमें भोपाल से रिपोर्ट आने का इंतजार है लेकिन अगर यह अफ्रीकन स्वाइन फीवर भी हुआ तो राहत की बात यह है कि इसका स्टेन जानवरों से इंसानों में नहीं फैलता.