पटना: अनंत चतुर्दशी आज है. भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप में पूजा की जाती है. अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान के अनंत स्वरूप के लिए व्रत रखा जाता है. इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है. स्त्रियां दाएं हाथ और पुरुष बाएं हाथ में अनंत सूत्र धारण करते हैं.
अनंत चतुर्दशी को गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन
आज के दिन बप्पा का विसर्जन भी किया जाता है, ऐसे में अनंत चतुर्दशी का महत्व बढ़ जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को 14 सालों तक लगातार करने पर विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.
अनंत चतुर्दशी की तिथि: 01 सितंबर 2020
सुबह 05 बजकर 59 से 09 बजकर 41 मिनट तक अनंत चतुर्दशी की पूजा का मुहूर्त.
अनंत चतुर्दशी, जानें पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
- मंदिर में भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप को याद करते हुए कलश की स्थापना करें.
- कलश के ऊपर अष्ट दल वाला कमल रखें और कुषा चढ़ाएं.
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.
- भगवान विष्णु के सामने 14 गांठों वाला धागा रखें और पूजा आरंभ करें.
- भगवान विष्णु का अभिषेक करें और रोली, चंदन से तिलक करें.
- इसके बाद धूप, दीप से भगवान की आरती करें और नैवेद्य अर्पित करें.
- साथ ही, 'ॐ अनंताय नमः' मंत्र का जाप करें.
- पुष्प हाथ में लें और भगवान विष्णु की कथा सुनें.
- पूजा में चढ़ाया गया रक्षासूत्र पुरुष और महिलाएं अपने-अपने बाएं हाथ में बांध लें.
- रक्षा सूत्र बांधते समय भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का ध्यान करें
- अंत में ब्रह्मणों को भोजन कराएं.
- सामर्थ्य अनुरूप दान दें और ब्राह्मणों को विदा करें.
जानें, अनंत चतुर्दशी का महत्व
हिन्दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है. यह सूत्र रेशम या सूत का होता है. इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं. इस दिन विष्णु के अनंत रूप की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.