रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में इंडिया दलों में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सीट को लेकर बढ़ती महत्वाकांक्षा ने न सिर्फ झारखंड कांग्रेस को अंदर अंदर परेशान कर रखा है, बल्कि राज्य के अंदर जिन दलों की गठबंधन में छोटी छोटी हिस्सेदारी है, वो कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. वाम दल, आम आदमी पार्टी, जदयू और राष्ट्रीय जनता दल के नेता खुलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा या कांग्रेस के रुख पर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं. इशारों इशारों में यह जरूर कह रहे हैं कि भाजपा को परास्त करने के लिए सभी को त्याग का भाव रखना होगा.
सीपीआई झारखंड के नेता अजय सिंह ने कहा कि उनका दावा हजारीबाग लोकसभा सीट पर है, क्योंकि बिना गठबंधन के 1990 के बाद दो दो बार सीपीआई ने यहां भाजपा को परास्त किया है. वहीं कांग्रेस की युवा विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि राज्य में सिर्फ 14 लोकसभा सीट है, ऐसे में जहां जो मजबूत होगा, उसकी वहां मजबूत दावेदारी होगी.
झारखंड सीपीआई के नेता अजय सिंह ने कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी को परास्त करने के लिए जरूरी है कि इंडिया दल एकजुट होकर चुनाव लड़े, लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस आपस में यह तय कर लें कि राज्य में कौन बड़े भाई की भूमिका में रहेगा. सीपीआई नेता ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह समझना चाहिए कि कांग्रेस लोकसभा चुनाव में बड़ी भूमिका में है. इसलिए सभी को भाजपा को परास्त करने के लिए कुछ न कुछ त्याग करना होगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा राज्य के 14 लोकसभा सीट में से आधे पर दावेदारी को लेकर सहयोगी दलों में निराशा के सवाल पर अंतिम फैसला आलाकमान द्वारा लेने की बात कहते हुए कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि जहां जो मजबूत है वह भाजपा को हराए, इसी उद्देश्य के साथ इंडिया का गठन हुआ है.
जोड़-घटाव, जीत-हार का फार्मूला जल्द तय हो जाने का दावा करते हुए कांग्रेस विधायक ने कहा कि जनता को समझना चाहिए कि कैसे और क्यों आज भाजपा को सत्ता से हटाना जरूरी है. गौरतलब हो कि दिल्ली से कांग्रेस नेताओं से वार्ता कर लौटे झामुमो के नेताओं ने 7 सीटों पर अपनी दावेदारी जताई थी, जिसमें कोडरमा, चाईबासा और लोहरदगा सीट भी शामिल हैं.
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