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कथित फर्जी नक्सली सरेंडर मामले पर सुनवाई, सरकार को स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का आदेश

रांची में कथित फर्जी नक्सली सरेंडर मामले में हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में न्यायाधीश ने सरकार को अबतक की गई कार्रवाई का रिपोर्ट पेश करने को कहा है. वहीं,  याचिकाकर्ता की तरफ से सीबीआई जांच की मांग की गई है.

झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jul 12, 2019, 8:06 PM IST

रांचीः 2014 में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर सरेंडर कराए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई न्यायाधीश अप्रेस कुमार सिंह और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई. अदालत ने सुनवाई करते हुए सरकार से अब तक किए गए कार्रवाई का स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा. जिसपर महाधिवक्ता ने जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा है. अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी.

देखें पूरी खबर

वहीं, मामले में याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि जिन्हें सरेंडर कराया गया वे कहीं से भी नक्सली नहीं थे. जिसके बावजूद राज्य सरकार ने जानबूझकर चार्जशीट की थी. ये सारी बातें जब सरकार के समक्ष आई तो 2014 में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया. राज्य सरकार ने बाद में अपने आदेश को वापस लेते हुए 2018 में सीबीआई जांच निरस्त कर दिया, जिसके बाद इस मामले की दोबारा सीबीआई जांच करने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई.

ये भी पढ़ें- लॉटरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा, सैकड़ों लोगों से कर चुके हैं चूना

आपको बता दें कि कैंसिल फॉर डेमोक्रेसी रिफॉर्म ने जनहित याचिका दायर की थी. राज्य में 514 युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराने की तैयारी चल रही थी. इन युवकों को सरेंडर के बाद नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था. रांची के दिग्दर्शन संस्था सेवकों को इसके लिए प्रेरित किया जाता था. इन लोगों को पुराने जेल में रखा गया था. अदालत से इस मामले की सीबीआई जांच करने का अनुरोध किया गया है.

रांचीः 2014 में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर सरेंडर कराए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई न्यायाधीश अप्रेस कुमार सिंह और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई. अदालत ने सुनवाई करते हुए सरकार से अब तक किए गए कार्रवाई का स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा. जिसपर महाधिवक्ता ने जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा है. अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी.

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वहीं, मामले में याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि जिन्हें सरेंडर कराया गया वे कहीं से भी नक्सली नहीं थे. जिसके बावजूद राज्य सरकार ने जानबूझकर चार्जशीट की थी. ये सारी बातें जब सरकार के समक्ष आई तो 2014 में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया. राज्य सरकार ने बाद में अपने आदेश को वापस लेते हुए 2018 में सीबीआई जांच निरस्त कर दिया, जिसके बाद इस मामले की दोबारा सीबीआई जांच करने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई.

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आपको बता दें कि कैंसिल फॉर डेमोक्रेसी रिफॉर्म ने जनहित याचिका दायर की थी. राज्य में 514 युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराने की तैयारी चल रही थी. इन युवकों को सरेंडर के बाद नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था. रांची के दिग्दर्शन संस्था सेवकों को इसके लिए प्रेरित किया जाता था. इन लोगों को पुराने जेल में रखा गया था. अदालत से इस मामले की सीबीआई जांच करने का अनुरोध किया गया है.

Intro:रांची

बाइट---राजीव कुमार अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

कथित फर्जी नक्सली सरेंडर साल 2014 में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर सरेंडर कराए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई मामले की सुनवाई न्यायाधीश कुमार सिंह और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई। अदालत ने सुनवाई करते हुए कार से अब तक किए गए कार्रवाई का स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा। जिस पर महाधिवक्ता ने जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का मांग किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी


Body:वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि जो सर अंदर कराया गया कहीं से भी नक्सली नहीं थे लेकिन राज्य सरकार ने जानबूझकर चार्जशीट की थी ,मेन एक्यूज्ड वह है जिन्होंने आर्मी के साथ सरेंडर करा कर जेल कैंप में रखा था यह सारी बातें जब सरकार के समक्ष आई तो 2014 में सीबीआई को हैंड ओवर कर दिया लेकिन राज्य सरकार द्वारा इसे 2017 में कैंसिल कर दिया गया इसलिए इस मामले की दोबारा सीबीआई जांच करने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है जिस मामले पर आज सुनवाई हुई अदालत ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है।


Conclusion:आपको बता दें कि कैंसिल फॉर डेमोक्रेसी रिफॉर्म ने जनहित याचिका दायर की थी। राज्य में 514 युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराने की तैयारी चल रही थी इन युवकों को सरेंडर के बाद नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था रांची के दिग्दर्शन संस्था सेवकों को इसके लिए प्रेरित किया जाता था इन लोगों को पुराने जेल में रखा गया था अदालत से इस मामले की सीबीआई जांच करने की आगरा की गई है
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