रांचीः 2014 में 514 आदिवासी युवकों को नक्सली बताकर सरेंडर कराए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई न्यायाधीश अप्रेस कुमार सिंह और न्यायाधीश रत्नाकर भेंगरा की अदालत में हुई. अदालत ने सुनवाई करते हुए सरकार से अब तक किए गए कार्रवाई का स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा. जिसपर महाधिवक्ता ने जवाब पेश करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा है. अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी.
वहीं, मामले में याचिकाकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि जिन्हें सरेंडर कराया गया वे कहीं से भी नक्सली नहीं थे. जिसके बावजूद राज्य सरकार ने जानबूझकर चार्जशीट की थी. ये सारी बातें जब सरकार के समक्ष आई तो 2014 में सीबीआई को जांच का आदेश दिया गया. राज्य सरकार ने बाद में अपने आदेश को वापस लेते हुए 2018 में सीबीआई जांच निरस्त कर दिया, जिसके बाद इस मामले की दोबारा सीबीआई जांच करने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई.
ये भी पढ़ें- लॉटरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा, सैकड़ों लोगों से कर चुके हैं चूना
आपको बता दें कि कैंसिल फॉर डेमोक्रेसी रिफॉर्म ने जनहित याचिका दायर की थी. राज्य में 514 युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से सरेंडर कराने की तैयारी चल रही थी. इन युवकों को सरेंडर के बाद नौकरी देने का प्रलोभन दिया गया था. रांची के दिग्दर्शन संस्था सेवकों को इसके लिए प्रेरित किया जाता था. इन लोगों को पुराने जेल में रखा गया था. अदालत से इस मामले की सीबीआई जांच करने का अनुरोध किया गया है.