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Jharkhand News: कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग पर बंधु तिर्की का कटाक्ष, कहा- हर कोई बनना चाहता है आदिवासी

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Published : Apr 11, 2023, 7:45 AM IST

Updated : Apr 11, 2023, 8:21 AM IST

झारखंड में कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने की मांग को लेकर सियासत शुरू हो गयी है. बीजेपी विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग उठाई है. इसको लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर निशाना साधा है. बंधु तिर्की ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हर कोई आदिवासी बनना चाहता है.

Allegations between Congress and BJP leaders over demand for ST status to Kurmi of Jharkhand
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रांचीः कुड़मी समाज के लोगों को पश्चिम बंगाल में आदिवासी का दर्जा देने के लिए चल रहा आंदोलन भले ही समाप्त हो गया हो. लेकिन अब झारखंड में कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने की मांग शुरू हो गयी है.

इसे भी पढ़ें- Indian Railway: कुड़मी आंदोलन समाप्त, रेल सेवा पटरी पर लौटी, देखिए रांची रेल मंडल की ट्रेनों का टाइम टेबल और रूट

मांडू से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सह पूर्व मंत्री जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के आंदोलन का असर झारखंड पर भी पड़ेगा. कुड़मी समाज से आने वाले भाजपा विधायक ने कहा कि झारखंड के महतो (कुड़मी) 1931 तक अनुसूचित जनजाति में थे. उनका रहन-सहन जनजातीय समाज के करीब है, सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी समुदाय की तरह ही वह अपनी जमीन की बिक्री अपने थाना क्षेत्र के और अपने समाज के लोगों के बीच ही कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि देश आजाद होने के बाद टीआरआई की गलत रिपोर्ट के आधार पर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से हटाकर ओबीसी में शामिल कर दिया गया. भाजपा विधायक ने कहा कि यह गलत हुआ है जिसे ठीक करने की मांग अब हो रही है. बीजेपी विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि कई बार सदन में ये आवाज उठाई गई है.

हर कोई बनना चाहता है आदिवासी- बंधु तिर्कीः बीजेपी की इस मांग पर प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कटाक्ष किया है. बंधु तिर्की ने कहा कि यहां तो जो लोग संपन्न हैं वह भी अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) बनना चाहते हैं. पहले से आदिवासी में शामिल जिन समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति से बाहर कर दिया है, उसकी बात कोई नहीं करता. कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि मुंडा, भुइयरी की करीब 4 लाख की आबादी को टीआरआई की गलत रिपोर्ट के आधार पर भूमिहार, ब्राह्मण बना दिया गया लेकिन इस पर कोई बात नहीं करता. यहां बस चले तो कुछ दिन बाद राजपूत और अन्य अगड़ी श्रेणी के लोग भी आदिवासी बनना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि यह तो शोध का विषय है कि कुड़मी ओबीसी है या आदिवासी, अगर वह आदिवासी थे तो फिर ओबीसी कैसे हो गए यह शोध का विषय है.

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल और झारखंड के बॉर्डर इलाके में कुड़मी समाज के लोगों ने महतो कुड़मी को आदिवासी सूची में शामिल करने, कुड़माली भाषा को मान्यता देने और सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ रखा था, जो रविवार को समाप्त हुआ है. अब झारखंड भाजपा के विधायक ने यहां के कुड़मी को भी ओबीसी की जगह आदिवासी की सूची में शामिल करने की मांग छेड़ दी है तो दबी जुबान में बंधु तिर्की जैसे आदिवासी नेता का विरोध भरा रिएक्शन भी आ गया है

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रांचीः कुड़मी समाज के लोगों को पश्चिम बंगाल में आदिवासी का दर्जा देने के लिए चल रहा आंदोलन भले ही समाप्त हो गया हो. लेकिन अब झारखंड में कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने की मांग शुरू हो गयी है.

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मांडू से भारतीय जनता पार्टी के विधायक सह पूर्व मंत्री जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि पश्चिम बंगाल के आंदोलन का असर झारखंड पर भी पड़ेगा. कुड़मी समाज से आने वाले भाजपा विधायक ने कहा कि झारखंड के महतो (कुड़मी) 1931 तक अनुसूचित जनजाति में थे. उनका रहन-सहन जनजातीय समाज के करीब है, सीएनटी एक्ट के तहत आदिवासी समुदाय की तरह ही वह अपनी जमीन की बिक्री अपने थाना क्षेत्र के और अपने समाज के लोगों के बीच ही कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि देश आजाद होने के बाद टीआरआई की गलत रिपोर्ट के आधार पर कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से हटाकर ओबीसी में शामिल कर दिया गया. भाजपा विधायक ने कहा कि यह गलत हुआ है जिसे ठीक करने की मांग अब हो रही है. बीजेपी विधायक जयप्रकाश भाई पटेल ने कहा कि कई बार सदन में ये आवाज उठाई गई है.

हर कोई बनना चाहता है आदिवासी- बंधु तिर्कीः बीजेपी की इस मांग पर प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कटाक्ष किया है. बंधु तिर्की ने कहा कि यहां तो जो लोग संपन्न हैं वह भी अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) बनना चाहते हैं. पहले से आदिवासी में शामिल जिन समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति से बाहर कर दिया है, उसकी बात कोई नहीं करता. कांग्रेस नेता बंधु तिर्की ने कहा कि मुंडा, भुइयरी की करीब 4 लाख की आबादी को टीआरआई की गलत रिपोर्ट के आधार पर भूमिहार, ब्राह्मण बना दिया गया लेकिन इस पर कोई बात नहीं करता. यहां बस चले तो कुछ दिन बाद राजपूत और अन्य अगड़ी श्रेणी के लोग भी आदिवासी बनना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि यह तो शोध का विषय है कि कुड़मी ओबीसी है या आदिवासी, अगर वह आदिवासी थे तो फिर ओबीसी कैसे हो गए यह शोध का विषय है.

पिछले दिनों पश्चिम बंगाल और झारखंड के बॉर्डर इलाके में कुड़मी समाज के लोगों ने महतो कुड़मी को आदिवासी सूची में शामिल करने, कुड़माली भाषा को मान्यता देने और सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन छेड़ रखा था, जो रविवार को समाप्त हुआ है. अब झारखंड भाजपा के विधायक ने यहां के कुड़मी को भी ओबीसी की जगह आदिवासी की सूची में शामिल करने की मांग छेड़ दी है तो दबी जुबान में बंधु तिर्की जैसे आदिवासी नेता का विरोध भरा रिएक्शन भी आ गया है

Last Updated : Apr 11, 2023, 8:21 AM IST
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