ETV Bharat / state

आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने की पिछड़ा वर्ग को वाजिब हक देने की मांग, कहा- ट्रिपल टेस्ट कराकर पूरी करें ओबीसी का संवैधानिक अधिकार

आजसू सुप्रीमो ने कहा कि सरकार जो कहती है वह करती नहीं है. 6 महीने के अंदर एक नीति बनाकर राज्य के युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी. पूरा नहीं किया गया.

Ajsu Supremo Sudesh Mahto on OBC issue
सुदेश महतो की ओबीसी मुद्दे पर राय
author img

By

Published : Mar 20, 2023, 9:39 PM IST

सुदेश महतो की ओबीसी मुद्दे पर राय

रांचीः झारखंड में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा छाया हुआ है. आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने राज्य सरकार से ट्रिपल टेस्ट कराकर पिछड़ा वर्ग को वाजिब हक देने की मांग की है. झारखंड विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि आजसू के द्वारा लगातार सरकार से राज्य में रहने वाले पिछड़ा वर्गों के संवैधानिक अधिकार की मांग की जाती रही है.

यह भी पढ़ेंः 'थोड़ी भी नैतिकता रहती ताे चुल्लू भर पानी में डूब जाते, त्याग पत्र दे देते' NGT के फैसले के बाद बाबूलाल का हेमंत पर हमला

जिला स्तरीय नियुक्तियों में उठाना पड़ेगा भारी नुकसानः कार्मिक विभाग के अनुसार जिला स्तरीय नियुक्तियों में ओबीसी छात्रों को एक बार फिर से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. कई जिलों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं मिला है. ऐसी स्थिति में सरकार को जल्द से जल्द आयोग गठित करना चाहिए. राज्य में पिछड़ों की आबादी का गणना करनी चाहिए. जिससे उन्हें वाजिब हक मिल सके. उन्होंने पंचायत चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे पहले ओबीसी इसका खामियाजा उठा चूका है.

सरकार ने पूरा नहीं किया अपना वादाः सुदेश ने कहा कि सरकार ने कहा गया था कि 6 महीने के अंदर एक नीति बनाकर राज्य के युवाओं को रोजगार देने का काम किया जाएगा. मगर सरकार ने अपना वादा पुरा नहीं किया. सरकार ने यह भी कहा था कि ओबीसी के लिए 6 महीने के भीतर एक पॉलिसी बनाकर नई आरक्षण नीति बनाई जाएगी. लेकिन यह भी नहीं हो सका. यह जो संकल्प जारी किया गया है उससे साफ लगता है कि राज्य की एक बड़ी आबादी सरकारी आरक्षण से दूर हो रही है. इसलिए हमलोग मांग कर रहे हैं कि जातिगत जनगणना कराकर राज्य सरकार पिछड़ों को वाजिब हक देने का काम करे.

जातिगत जनगणना से मूल स्वरूप चल पाएगा पताः जातिगत जनगणना आवश्यक है. इससे राज्य के अंदर विभिन्न जिलों में रहनेवाले जातियों के मूल स्वरूप और उनकी संख्या का पता चल पाएगा. साथ ही कई वर्ग जो छूटे हुए हैं, उनका भी आकलन हो जाएगा. और उसी आधार पर आरक्षण का दायरा निर्धारित किया जा सकेगा. अब चूंकि 50% का दायरा फिक्स नहीं रहा इसलिए इसे बढ़ाया भी जा सकता है. यदि सरकार को ओबीसी के साथ न्याय करना है तो तुरंत जातीय जनगणना कराकर नए आरक्षण नीति की घोषणा करनी चाहिए. तब जाकर के यहां के लोगों को न्याय मिल सकेगा. कई जिले ऐसे हैं जहां पर पिछड़ों की जनसंख्या काफी होने के बाबजूद शून्य आरक्षण जिला रोस्टर में मिला है.

सुदेश महतो की ओबीसी मुद्दे पर राय

रांचीः झारखंड में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा छाया हुआ है. आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने राज्य सरकार से ट्रिपल टेस्ट कराकर पिछड़ा वर्ग को वाजिब हक देने की मांग की है. झारखंड विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए सुदेश महतो ने कहा कि आजसू के द्वारा लगातार सरकार से राज्य में रहने वाले पिछड़ा वर्गों के संवैधानिक अधिकार की मांग की जाती रही है.

यह भी पढ़ेंः 'थोड़ी भी नैतिकता रहती ताे चुल्लू भर पानी में डूब जाते, त्याग पत्र दे देते' NGT के फैसले के बाद बाबूलाल का हेमंत पर हमला

जिला स्तरीय नियुक्तियों में उठाना पड़ेगा भारी नुकसानः कार्मिक विभाग के अनुसार जिला स्तरीय नियुक्तियों में ओबीसी छात्रों को एक बार फिर से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा. कई जिलों में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं मिला है. ऐसी स्थिति में सरकार को जल्द से जल्द आयोग गठित करना चाहिए. राज्य में पिछड़ों की आबादी का गणना करनी चाहिए. जिससे उन्हें वाजिब हक मिल सके. उन्होंने पंचायत चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे पहले ओबीसी इसका खामियाजा उठा चूका है.

सरकार ने पूरा नहीं किया अपना वादाः सुदेश ने कहा कि सरकार ने कहा गया था कि 6 महीने के अंदर एक नीति बनाकर राज्य के युवाओं को रोजगार देने का काम किया जाएगा. मगर सरकार ने अपना वादा पुरा नहीं किया. सरकार ने यह भी कहा था कि ओबीसी के लिए 6 महीने के भीतर एक पॉलिसी बनाकर नई आरक्षण नीति बनाई जाएगी. लेकिन यह भी नहीं हो सका. यह जो संकल्प जारी किया गया है उससे साफ लगता है कि राज्य की एक बड़ी आबादी सरकारी आरक्षण से दूर हो रही है. इसलिए हमलोग मांग कर रहे हैं कि जातिगत जनगणना कराकर राज्य सरकार पिछड़ों को वाजिब हक देने का काम करे.

जातिगत जनगणना से मूल स्वरूप चल पाएगा पताः जातिगत जनगणना आवश्यक है. इससे राज्य के अंदर विभिन्न जिलों में रहनेवाले जातियों के मूल स्वरूप और उनकी संख्या का पता चल पाएगा. साथ ही कई वर्ग जो छूटे हुए हैं, उनका भी आकलन हो जाएगा. और उसी आधार पर आरक्षण का दायरा निर्धारित किया जा सकेगा. अब चूंकि 50% का दायरा फिक्स नहीं रहा इसलिए इसे बढ़ाया भी जा सकता है. यदि सरकार को ओबीसी के साथ न्याय करना है तो तुरंत जातीय जनगणना कराकर नए आरक्षण नीति की घोषणा करनी चाहिए. तब जाकर के यहां के लोगों को न्याय मिल सकेगा. कई जिले ऐसे हैं जहां पर पिछड़ों की जनसंख्या काफी होने के बाबजूद शून्य आरक्षण जिला रोस्टर में मिला है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.