रांचीः प्रदेश की राजनीति में ये पहला मौका नहीं है जब आजसू पार्टी का कोई विधायक कम समय के लिए मंत्री बना हो. जुगसलाई से विधायक रामचंद्र सहिस दूसरे ऐसे विधायक होंगे जिन्हें पार्टी ने मंत्री पद के लिए रिकमेंड किया. जिसके बाद प्रदेश की मौजूदा रघुवर दास सरकार में उन्हें लगभग 6 महीने के लिए शामिल किया गया है.
वहीं, पुराने आंकड़ों को देखें तो तत्कालीन अर्जुन मुंडा की सरकार में चंदनक्यारी से आजसू विधायक रहे उमाकांत रजक को भी यह मौका मिला था. जब उन्हें श्रम विभाग का मंत्री बनाया गया था. पार्टी सूत्रों का यकीन करें तो सहिस को चंद्रप्रकाश चौधरी की जगह मंत्री बनाकर पार्टी ने सेफ 'पॉलीटिकल कार्ड' खेला है. दरअसल चंद्र प्रकाश चौधरी के गिरिडीह से सांसद बन जाने के बाद राज्य के मंत्री पद से उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा. उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह स्पष्ट कर दिया कि खाली हुआ मंत्री पद आजसू कोटे के किसी नेता से भरा जाएगा.
शुरुआती दौर में मंत्री के नाम पर सुदेश महतो की चर्चा थी. बाद में इस चर्चा पर विराम लग गया. उसके बाद बारी आई पार्टी के दो बचे विधायकों की. एक तरफ टुंडी विधानसभा से राजकिशोर महतो का नाम आया. वहीं, दूसरी तरफ जुगसलाई से विधायक रामचंद्र सहिस के ऑप्शन पर पार्टी ने विचार करना शुरू कर दिया. राजकिशोर महतो का 'पॉलीटिकल बैकग्राउंड' भी रहा है बावजूद इसके आजसू पार्टी में सहिस की स्वीकार्यता को लेकर ज्यादा हामी भरी गई.
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बता दें कि सहिस ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कथित तौर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता रहे दुलाल भुइयां के खेमे में रहकर की. बाद में उन्हें 2009 में आजसू सुप्रीमो महतो ने मौका दिया और विधानसभा चुनाव में सहिस ने भाग्य आजमाया और उनकी किस्मत चमकी. 2009 में वे जुगसलाई से विधायक चुने गए उसके तुरंत बाद 2014 में भी पार्टी ने उन्हें मौका दिया और वह दोबारा विधायक बने. पार्टी सूत्रों की मानें तो सहीस का समर्पण पार्टी और महतो दोनों की तरफ है और उन्होंने इसे कई बार व्यक्त भी किया.
सहिस के मंत्री बनाने के पीछे है कई वजह
पार्टी की मानें तो सहिस के चौधरी की जगह बैठने से न केवल पार्टी सुप्रीमो कंफर्टेबल फील करेंगे बल्कि उनकी पकड़ मंत्रालय और सरकार में पहले जैसी बनी रहेगी. सूत्रों का यकीन करें तो सहिस के जिम्मे वही होगा जो चंद्रप्रकाश चौधरी डील किया करते थे. इतना ही नहीं विभाग के मंत्री के तौर पर सिर्फ सहिस नए चेहरे होंगे. जबकि पूरा सिस्टम पहले जैसा ही रहने की उम्मीद है. यहां तक की सहिस के आसपास उन्हीं लोगों के एक्टिव रहने की उम्मीद है जो पूर्व मंत्री के समय वहां मौजूद रहा करते थे. पार्टी सूत्रों कि माने तो इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव भी होने है यही वजह है कि पार्टी ने काफी कैलकुलेट कर यह कदम उठाया है.