पटना: सोमवार को बिहार विधानसभा में नए विधायकों को शपथ दिलाई गई. इस दौरान AIMIM के विधायक अख्तरुल इमान ने 'हिन्दुस्तान' शब्द पर आपत्ति जताते हुए बोलने से इनकार कर दिया. दरअसल, अख्तरुल इमान को जो शपथ पत्र मिला था, उसमें 'हिन्दुस्तान' शब्द लिखा गया था. वहीं हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, मैथिली आदि में 'भारत' लिखा हुआ था. अख्तरुल इमान का कहना था कि हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, मैथिली आदि में 'भारत' लिखा हुआ तो उर्दू में हिन्दुस्तान क्यों? अख्तरुल इमान की आपत्ति के बाद प्रोटेम स्पीकर जीतनराम मांझी की इजाजत के बाद 'भारत' शब्द बोलकर उन्होंने शपथ ली.
सदन में जैसे ही अख्तरुल इमान ने 'हिन्दुस्तान' शब्द पर आपत्ति जताई, बीजेपी ने भी लगे हाथ लपक लिया. बीजेपी विधायक प्रमोद कुमार ने कहा कि जिन्हें हिन्दुस्तान बोलने में परहेज है, वे पाकिस्तान चले जाएं. मामला तूल पकड़ने लगा तो सदन से बाहर निकले अख्तरुल इमान ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि हमारे संविधान में भारत शब्द का उल्लेख है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि जो लोग इस मामले को तूल दे रहे हैं, वे बताएं कि हिन्दुस्तान की जगह भारत कहने में उन्हें क्या परेशानी है.
ओवैसी का क्या है प्लान?
'हिन्दुस्तान' शब्द पर बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. सत्र के दौरान सदन के अंदर और बाहर जमकर सियासत होगी. ऐसे में सवाल उठता है कि ओवैसी की पार्टी AIMIM बिहार में 'हिन्दुस्तान' शब्द से परहेज कर कौन सी सियासी चाल चलना चाहती है. गौरतलब है कि AIMIM प्रमुख और हैदराबाद सांसद उर्दू में ही शपथ लेते हैं और अक्सर कहते हैं कि 'हिंदी, हिंदू और हिन्दुस्तान' के आधार पर शासन नहीं किया जा सकता है.
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सीमांचल से बंगाल पर नजर!
बता दें कि बिहार चुनाव में AIMIM के 5 विधायक विधानसभा पहुंचे है. इसके अलावे सीमांचल के 12 से 13 सीटों पर महगठबंधन को AIMIM के प्रत्याशियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है. ओवैसी के विधायक अमौर, कोचाधाम, जोकीहाट, बायसी और बहादुरगंज सीट से जीते हैं. कहा जाता है कि सीमांचल के कई विधानसभा क्षेत्र बंगाल से सटा हुआ है. बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होना है. माना जा रहा है कि ओवैसी बिहार के रास्ते बंगाल में एंट्री करने वाले हैं. शायद उसी रणनीति के तहत ओवैसी की पार्टी ने बिहार में 'हिन्दुस्तान' शब्द पर एतराज जताया है और 'भारत' के रास्ते बंगाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहती है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि इसमें AIMIM को कहां तक कामयाबी मिलती है.