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Confusion About Market Fee: कृषि मंत्री और सीएम के सचिव ने चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों संग की वार्ता, कहा-बाजार शुल्क को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम

झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 के तहत कृषि बाजार शुल्क में दो प्रतिशत टैक्स की बढ़ोतरी से नाराज झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने वार्ता की. इस दौरान मंत्री ने साफ किया कि बाजार शुल्क को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.

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Minister Meeting With Chamber Representatives
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Published : Feb 18, 2023, 9:03 PM IST

रांचीः कृषि बाजार शुल्क के विरोध में झारखंड में व्यवसायियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चौथे दिन सरकार आखिरकार जग गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की वार्ता हुई. जिसमें झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को लेकर उठे विवाद पर विस्तार से चर्चा हुई है. वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने व्यवसायियों से कहा कि बाजार शुल्क में दो प्रतिशत टैक्स को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. दरअसल, बाजार शुल्क में अधिकतम दो प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है. खाद्यान्नों और वस्तुओं पर टैक्स का निर्धारण अलग-अलग किया जाना है. ऐसे में सभी खाद्यान्नों का बाजार शुल्क अलग-अलग होगा, न कि सभी पर दो प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा.

ये भी पढे़ं-Delegation Met CM In Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला झामुमो और कांग्रेस का शिष्टमंडल, बाजार शुल्क लगाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह

बाजार शुल्क को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रमः वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि हर खाद्यान्न पर जिस तरह से दो प्रतिशत टैक्स लगाने की बात कही जा रही है, वह कहीं ना कहीं बाजार में भ्रम फैलाने जैसा है. जबकि हकीकत यह है कि हर खाद्यान्न पर बाजार शुल्क अलग-अलग निर्धारित की गई है. वहीं कृषि मंत्री बादल और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि बाजार शुल्क से संबंधित नियमावली तैयार करने के पहले किसानों, व्यवसायियों और मंडियों से जुड़े प्रतिनिधियों से सरकार राय लेगी.

बाजार शुल्क कलेक्शन की प्रणाली को सरल बनाया जाएगाः इस मौके पर मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा कि बाजार शुल्क कलेक्शन की प्रणाली को आईटी के माध्यम से सरल बनाया जाएगा. जिससे मंडी टैक्स कलेक्शन सिस्टम पूरी तरह से पारदर्शी होगा और कारोबारियों को इसको लेकर कोई परेशानी नहीं होगी.

मंडी शुल्क से राइस मिल्स कारोबारियों पर असर नहींः इस दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मंडी शुल्क से राइस मिल्स और इससे जुड़े कारोबारियों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा. सरकार राइस मिल्स को बढ़ावा दे रही है. पिछले वर्ष राज्य में 19 राइस मिल्स खोले गए हैं. जिसे सरकार के द्वारा जमीन उपलब्ध करायी गई है. आने वाले दिनों में नए राइस मिल खोलने की तैयारी चल रही है.

चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नहीं किया स्टैंड क्लियरः कृषि मंत्री ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ऐसे में इस संबंध में जो भी बातें सामने आ रही हैं वह दिग्भ्रमित करने वाली हैं. सरकार हर कदम पर किसानों और कारोबारियों के हित में निर्णय ले रही है, ताकि आम जनता को इसका फायदा मिल सके. वार्ता के बाद हालांकि झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने हड़ताल को लेकर कुछ भी साफ नहीं किया और संभावना यह जताई जा रही है कि देर शाम चैंबर अपना स्टैंड क्लियर करेगा.

रांचीः कृषि बाजार शुल्क के विरोध में झारखंड में व्यवसायियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के चौथे दिन सरकार आखिरकार जग गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के साथ मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की वार्ता हुई. जिसमें झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 को लेकर उठे विवाद पर विस्तार से चर्चा हुई है. वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने व्यवसायियों से कहा कि बाजार शुल्क में दो प्रतिशत टैक्स को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. दरअसल, बाजार शुल्क में अधिकतम दो प्रतिशत का टैक्स लगाया गया है. खाद्यान्नों और वस्तुओं पर टैक्स का निर्धारण अलग-अलग किया जाना है. ऐसे में सभी खाद्यान्नों का बाजार शुल्क अलग-अलग होगा, न कि सभी पर दो प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा.

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बाजार शुल्क को लेकर फैलाया जा रहा है भ्रमः वार्ता के दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि हर खाद्यान्न पर जिस तरह से दो प्रतिशत टैक्स लगाने की बात कही जा रही है, वह कहीं ना कहीं बाजार में भ्रम फैलाने जैसा है. जबकि हकीकत यह है कि हर खाद्यान्न पर बाजार शुल्क अलग-अलग निर्धारित की गई है. वहीं कृषि मंत्री बादल और मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि बाजार शुल्क से संबंधित नियमावली तैयार करने के पहले किसानों, व्यवसायियों और मंडियों से जुड़े प्रतिनिधियों से सरकार राय लेगी.

बाजार शुल्क कलेक्शन की प्रणाली को सरल बनाया जाएगाः इस मौके पर मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे ने कहा कि बाजार शुल्क कलेक्शन की प्रणाली को आईटी के माध्यम से सरल बनाया जाएगा. जिससे मंडी टैक्स कलेक्शन सिस्टम पूरी तरह से पारदर्शी होगा और कारोबारियों को इसको लेकर कोई परेशानी नहीं होगी.

मंडी शुल्क से राइस मिल्स कारोबारियों पर असर नहींः इस दौरान कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि मंडी शुल्क से राइस मिल्स और इससे जुड़े कारोबारियों पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ेगा. सरकार राइस मिल्स को बढ़ावा दे रही है. पिछले वर्ष राज्य में 19 राइस मिल्स खोले गए हैं. जिसे सरकार के द्वारा जमीन उपलब्ध करायी गई है. आने वाले दिनों में नए राइस मिल खोलने की तैयारी चल रही है.

चैंबर ऑफ कॉमर्स ने नहीं किया स्टैंड क्लियरः कृषि मंत्री ने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ऐसे में इस संबंध में जो भी बातें सामने आ रही हैं वह दिग्भ्रमित करने वाली हैं. सरकार हर कदम पर किसानों और कारोबारियों के हित में निर्णय ले रही है, ताकि आम जनता को इसका फायदा मिल सके. वार्ता के बाद हालांकि झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने हड़ताल को लेकर कुछ भी साफ नहीं किया और संभावना यह जताई जा रही है कि देर शाम चैंबर अपना स्टैंड क्लियर करेगा.

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