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कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दी सलाह, बोले-पाला से बचाने के लिए करें फसल की सिंचाई

रांची के कृषि वैज्ञानिकों ने पाला से फसल बचाने के लिए प्रदेश के किसानों को सलाह दी है. इनका कहना है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी के पहले सप्ताह के बीच झारखंड में अक्सर पड़ने वाले पाले से फसल को बचाने के लिए फसल की सिंचाई करें.

Agricultural scientists
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एके बद्दु
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Published : Jan 20, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Jan 21, 2021, 9:38 PM IST

रांचीः इस साल सर्दी के मौसम में तापमान में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. कभी तापमान में वृद्धि तो कभी तापमान में गिरावट देखने को मिली. मौसम में तब्दीली का कारण पश्चिमी विक्षोभ बताया जा रहा है. मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण खेतों में लगी फसलों को किस तरह से नुकसान पहुंचा है और किसानों को किस तरह से सतर्क रहने की जरूरत है, इसको लेकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एके बद्दु ने कहा कि मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण कोई खास असर खेतों में लगी सब्जियों पर अब तक नहीं देखा गया है. इधर कुछ कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि झारखंड में अक्सर जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी के पहले सप्ताह तक सर्दी पड़ती है. इस दौरान पाला भी पड़ सकता है, ऐसे में फसलों को बचाने के लिए एहतियात बरतें.

देखें पूरी खबर
ये भी पढ़ें-सांसद धीरज साहू ने कृषि कानून तुरंत वापस लेने की मांग की, बोले किसानों के लिए घातक साबित होंगे


वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एक मौसम वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह दी है कि अत्यधिक पाला पड़ने से खेतों में लगी सब्जियों पर असर पड़ सकता है, उसके लिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. खासकर खेतों में लगी आलू-मटर, सरसों और गेहूं की पौध जो अभी छोटी है, उनको पाला लगने से बचाने की जरूरत है. क्योंकि फसल पर सबसे ज्यादा असर तापमान में गिरावट होने के कारण देखने को मिलता है. ऐसे में किसान अपने क्षेत्रों के आसपास पुआल जलाकर धुंआ कर सकते हैं. इसके साथ किसान अपने खेतों में सिंचाई करके अपनी फसल को पाला लगने से बचा सकते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि अभी तक झारखंड में पाला का असर देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अक्सर झारखंड में जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी के पहले सप्ताह तक ठंड देखने को मिलता है. इस बीच पाला पड़े तो उसके असर से फसल को बचाने के लिए एहतियात बरतें.

रांचीः इस साल सर्दी के मौसम में तापमान में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. कभी तापमान में वृद्धि तो कभी तापमान में गिरावट देखने को मिली. मौसम में तब्दीली का कारण पश्चिमी विक्षोभ बताया जा रहा है. मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण खेतों में लगी फसलों को किस तरह से नुकसान पहुंचा है और किसानों को किस तरह से सतर्क रहने की जरूरत है, इसको लेकर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक एके बद्दु ने कहा कि मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण कोई खास असर खेतों में लगी सब्जियों पर अब तक नहीं देखा गया है. इधर कुछ कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि झारखंड में अक्सर जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी के पहले सप्ताह तक सर्दी पड़ती है. इस दौरान पाला भी पड़ सकता है, ऐसे में फसलों को बचाने के लिए एहतियात बरतें.

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वहीं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के एक मौसम वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह दी है कि अत्यधिक पाला पड़ने से खेतों में लगी सब्जियों पर असर पड़ सकता है, उसके लिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है. खासकर खेतों में लगी आलू-मटर, सरसों और गेहूं की पौध जो अभी छोटी है, उनको पाला लगने से बचाने की जरूरत है. क्योंकि फसल पर सबसे ज्यादा असर तापमान में गिरावट होने के कारण देखने को मिलता है. ऐसे में किसान अपने क्षेत्रों के आसपास पुआल जलाकर धुंआ कर सकते हैं. इसके साथ किसान अपने खेतों में सिंचाई करके अपनी फसल को पाला लगने से बचा सकते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि अभी तक झारखंड में पाला का असर देखने को नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि अक्सर झारखंड में जनवरी के अंतिम सप्ताह और फरवरी के पहले सप्ताह तक ठंड देखने को मिलता है. इस बीच पाला पड़े तो उसके असर से फसल को बचाने के लिए एहतियात बरतें.

Last Updated : Jan 21, 2021, 9:38 PM IST
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