रांचीः हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को गिराने की साजिश मामले में कांग्रेस के 2 विधायकों का नाम सामने आया है. हालांकि उन पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई है. चर्चा इस बात की थी कि प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह रांची आएंगे और इस मामले को देखेंगे. सरकर गिराने की साजिश मामले में एक तरफ जांच चल रही है और नए-नए खुलासे हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने चुप्पी साध ली है.
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मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्ह ने कहा कि झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह के आने की बात है लेकिन अब तक उनका शेड्यूल तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी पूरे मामले को गंभीरता से देख रहे हैं. इसके साथ ही कानून भी अपना काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं बीजेपी के नापाक इरादों को पार्टी विधायकों ने एक्सपोज किया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी हमेशा सरकार को अस्थिर करना चाहती थी और उसी के तहत यह षड्यंत्र रचा गया.
आलाकमान को भेजा गया जवाब
झारखंड सरकार को गिराने की साजिश का पर्दाफाश पूरी तरह से नहीं हो पाया है. कांग्रेस पार्टी के अधिकारी सूत्रों ने बताया कि झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कुछ विधायकों से नोटिस का जवाब लेकर आलाकमान को भेज दिया है. वहीं, सरकार गिराने की साजिश और विधायक खरीद-फरोख्त मामले से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ही कांग्रेस पार्टी की ओर से आरक्षण जैसे मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया गया है.
सरकार की कार्यशैली से नाराजगी
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की ओर से सार्वजनिक तौर पर आरक्षण जैसे मुद्दे को उठाया गया. इससे सवाल भी उठने लगे कि प्रदेश अध्यक्ष सह वित्त मंत्री को कैबिनेट में इस मुद्दे को रखना चाहिए था. इसके साथ ही गठबंधन दल के विधायकों में सरकार की कार्यशैली से नाराजगी है. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी के विधायकों ने दिल्ली आलाकमान के समक्ष भी पार्टी के मंत्रियों की शिकायत की है. अब स्थिति यह है कि गठबंधन में सब कुछ सही नहीं है. कभी विधायक खरीद-फरोख्त तो कभी आरक्षण के मुद्दे को उजागर कर प्रेशर पॉलिटिक्स किया जा रहा है.