रांची: कोरोना के चलते झारखंड में हर दिन सैकड़ों मरीज दम तोड़ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि मौत के बाद भी लोगों को मुक्ति नहीं मिल रही है. चाहे रांची का रिम्स हो या सदर अस्पताल, शव को मुक्तिधाम तक ले जाने के लिए लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. यह बात सामने आ रही है कि ट्रॉली मैन से लेकर ड्राइवर तक सभी अपना कमीशन अलग से जोड़ रहे हैं. सरकार लाख दावा करे कि लेकिन यहां स्थिति काफी बदतर है.
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अंतिम संस्कार में लग रहा लंबा वक्त
मरीजों की मौत के बाद पार्थिव शरीर को मॉर्च्यूरी रूम (मुर्दा घर) में रखा जाता है. लेकिन कोविड मरीजों की लगातार हो रही मौत के बाद ट्रॉमा सेंटर में भी एक मिनी मॉर्च्यूरी रूम बनाया गया है. यहां कोविड मरीजों का शव रखा जाता है. वैकल्पिक रूम की व्यवस्था होने के बाद भी परिजनों को शव लेने के लिए 5 से 6 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है. शव मिलने के बाद मुक्तिधाम में भी नंबर लगाना पड़ता है. अंतिम संस्कार में भी लंबा वक्त लग जाता है. लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में तो दो से तीन दिन का वक्त लग जाता है. अब तो स्थिति ऐसी हो चुकी है कि मॉर्च्यूरी रूम में शव को रखने की भी व्यवस्था नहीं है.
मार्च्यूरी रूम फुल
रिम्स के पीआरओ और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. डीके सिन्हा बताते हैं कि जिस तरह से मृतकों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में शवों को रखना प्रबंधन के लिए एक चुनौती है. प्रबंधन की कोशिश है कि सभी शवों को सम्मानजनक तरीके से उनका अंतिम विदाई कराया जा सके. सामान्य या कोरोना मरीजों की मौत के बाद परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है. हालांकि, जब परिजनों से इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कैमने पर कुछ भी कहने से मना कर दिया. लेकिन लगातार हो रही घटनाएं और लोगों की शिकायत सिस्टम का पोल खोल रही है.