रांची: राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में कोराना संक्रमण तेजी से अपने पांव पसार रहा है. सभी को न्याय दिलाने वाला अधिवक्ता समाज भी इससे अछूता नहीं है. कई अधिवक्ताओं की कोरोना संक्रमण से मौत भी हो गई है और कई परिवार अभी इसकी चपेट में हैं. स्टेट बार काउंसिल ने पत्र जारी कर सभी अधिवक्ताओं को 2 मई तक घर पर रहने का निर्देश जारी किया है लेकिन अधिवक्ता समाज को इससे आगे होने वाली आर्थिक परेशानी की चिंता सताने लगी है.
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जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव व सह स्टेट बार काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही का कहना है कि कोरोना संक्रमण से हमने कई अपने साथियों को खो दिया है. उनमें से कई अधिवक्ता साथी ऐसे भी थे, जो अपने परिवार के एकमात्र सहारा थे. उन्होंने कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से देशभर में लॉकडाउन किया गया था.
इस बार भी हालात खराब हैं. बार काउंसिल ने भी 2 मई तक अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्यों से दूर रहने का आदेश दिया है. ऐसे में कई अधिवक्ताओं के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. इसके बावजूद केंद्र सरकार की ओर से ना कोई मदद मिल रही है और ना ही राज्य सरकार की ओर से कुछ किया गया है.
पवन रंजन खत्री ने साझा किए विचार
जिला बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन पवन रंजन खत्री ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि पिछले वर्ष से अदालत में मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से हो रही थी. अब अधिवक्ताओं की आय बंद हो गई है. ऐसे में उनके परिवारों का भरण-पोषण करना साफतौर पर सबसे बड़ी चुनौती है. अधिवक्ताओं को सरकार से मदद की आस है.