रांची: वैश्विक महामारी कोविड-19 के मद्देनजर हुए लॉकडाउन के बाद से ही जिला व्यवहार न्यायालय में मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से चल रही है. वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई फिजिकल माध्यम से हो, इसे लेकर अधिवक्ता लगातार मांग कर रहे हैं. पिछले 9 महीने से कोर्ट के ऑनलाइन चलने की वजह से कई वकीलों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है.
अधिवक्ताओं में रोष
इस संकट से परेशान होकर बुधवार को रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ताओं ने कोर्ट के मुख्य गेट के सामने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. हालांकि, इस विरोध प्रदर्शन को जिला बार एसोसिएट का समर्थन नहीं मिला है. जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शंभू अग्रवाल ने एक लेटर जारी कर कहा था कि कोई प्रदर्शन नहीं कर रहा है, इस बयान के बाद अधिवक्ताओं में भी रोष देखने को मिला. दरअसल, अदालत में वर्चुअल माध्यम से सुनवाई होने की वजह से केस का ट्रायल बंद है. ऐसे में अधिवक्ताओं की आय पर व्यापक असर पड़ रहा है. अधिवक्ता लगातार पहले की तरह सुचारू रूप से न्यायालय में सुनवाई हो, इसे लेकर मांग कर रहे हैं. अधिवक्ताओं का कहना है कि अदालत में न्यायिक मामलों की सुनवाई फिजिकल कोर्ट के माध्यम से हो.
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अधिवक्ताओं की हालात दयनीय
रांची सिविल कोर्ट में मामलों की सुनवाई वर्चुअल माध्यम से होने से नाराज जिला बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रशासन पवन रंजन खत्री ने कहा कि पिछले 9 महीने से अदालत में मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से हो रही है. जिसके कारण अधिवक्ताओं की आय बंद हो गई है. आय बंद होने से अधिवक्ताओं के परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है, लेकिन इस ओर ना तो सरकार चिंता कर रही है और ना ही अदालत को चिंता है. अदालत में न्यायिक मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से होने से ऐसा लग रहा है कि जैसे अदालत को अधिवक्ताओं की माली हालात की कोई चिंता ही नहीं है. हालांकि, बार काउंसिल के प्रवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि लॉकडाउन में हुए वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से सुनवाई के कारण अधिवक्ताओं की स्थिति काफी खराब हो गई है. यही वजह है कि बुधवार को अधिवक्ताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन किया.