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रांची में प्रशासन कोरोना पॉजिटिव मरीज का एड्रेस नहीं कर रहा सार्वजनिक, बढ़ रहा संक्रमण का खतरा

रांची में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. शहर में प्रत्येक दिन पाए जाने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज के घर का पता सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. इसकी वजह से जिस मोहल्ले जिस गली से कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. उसकी जानकारी आम लोगों को नहीं हो पा रही है और संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

Collectorate, Ranchi
समाहरणालय, रांची
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Published : Aug 19, 2020, 3:12 PM IST

रांची: राजधानी में कोरोना संक्रमण लगातार अपने पांव पसारता जा रहा है. कोरोना की रोकथाम के लिए लगातार जिला प्रशासन काम भी कर रहा है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहा है. जिले के डीसी छवि रंजन लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करें और घर में सुरक्षित रहें. बावजूद इसके जिला प्रशासन की ओर से शहर में प्रत्येक दिन पाए जाने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज के घर का पता सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. न ही कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार वालों की जांच हो रही है. न ही उनके घर पर नोटिस चिपकाया जा रहा है. इसकी वजह से जिस मोहल्ले जिस गली से कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. उसकी जानकारी आम लोगों को नहीं हो पा रही है और संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

ये भी पढ़ें: सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कोरोना पॉजिटिव, कांग्रेस पार्टी की बढ़ी परेशानी

हलांकि ऐसा नहीं है कि एक घर में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से कांटेक्ट ट्रेसिंग और कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार की जांच की और जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ बयानबाजी कर आई वॉश किया जा रहा है. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. लेकिन जानकारी के अभाव में आसपास के लोगों को भी कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जाने की भनक नहीं लग रही है. इससे लोग सतर्क नहीं हो पा रहे हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना बनी हुई है.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय में पाए गए कोरोना पॉजिटिव कर्मचारियों के घर के सदस्यों की भी एक सप्ताह बीतने के बाद भी कोरोना की जांच नहीं हो पायी है. ऐसे में आम लोगों के परिवार की जांच को लेकर क्या हो रहा होगा. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं. जो जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. बता दें कि 1- 11 अगस्त मुख्यमंत्री आवास में कार्यरत कुछ कर्मचारी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आए गए. इसके बाद उन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बावजूद अब तक परिवार के अन्य सदस्यों की न ही कोरोना जांच हुआ है.

10 अगस्त को शाहदेव नगर में एक गर्भवती महिला कोरोना पॉजिटिव हुई. इसके बाद महिला को रिम्स में एडमिट कराया गया, लेकिन उनके परिवार वालों की कोरोना जांच नहीं हुई. न ही महिला के घर पर कोई नोटिस चिपकाया गया. इससे आसपास के लोग सतर्क हो सकें. 28 जुलाई को कुम्हारटोली अभिमन्यु चौक निवासी एक अधेड़ व्यक्ति और उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव थे. 30 जुलाई को पति की मौत हो गई, लेकिन उनके घर में किसी की जांच नहीं की गई. न ही घर में नोटिस बोर्ड लगाया गया. 25 जुलाई को न्यू मधुकम रोड नंबर 5 में एक गर्भवती महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई. उन्हें घर पर ही रहने का निर्देश जिला प्रशासन ने दिया, लेकिन न ही उनके घरवालों की कोरोना जांच कराई गई. न ही कोई नोटिस चिपकाया गया, जिससे आसपास के लोग सतर्क रह सकें.

ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें जिला प्रशासन के दावों की पोल खोल के रख दी है. जिला प्रशासन के द्वारा प्रत्येक दिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या, रिकवर करने वाले मरीजों की संख्या और कोरोना से मौत के आंकड़े जारी किए जाते हैं. इसके साथ ही शहर के जिन इलाकों से कोरोना मरीज पाए जाते हैं. उन इलाकों का जिक्र होता है, लेकिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों का पूरा पता जारी नहीं किया जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन भले ही कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए पुरजोर प्रयास का दावा कर रही हो, लेकिन वर्तमान में स्थिति ठीक इससे उलट है और कोरोना संक्रमण की रोकथाम भगवान भरोसे छोड़ दी गई है.

रांची: राजधानी में कोरोना संक्रमण लगातार अपने पांव पसारता जा रहा है. कोरोना की रोकथाम के लिए लगातार जिला प्रशासन काम भी कर रहा है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहा है. जिले के डीसी छवि रंजन लगातार लोगों से अपील कर रहे हैं कि संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का पालन करें और घर में सुरक्षित रहें. बावजूद इसके जिला प्रशासन की ओर से शहर में प्रत्येक दिन पाए जाने वाले कोरोना पॉजिटिव मरीज के घर का पता सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है. न ही कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार वालों की जांच हो रही है. न ही उनके घर पर नोटिस चिपकाया जा रहा है. इसकी वजह से जिस मोहल्ले जिस गली से कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं. उसकी जानकारी आम लोगों को नहीं हो पा रही है और संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.

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हलांकि ऐसा नहीं है कि एक घर में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने से पूरा परिवार संक्रमित पाया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से कांटेक्ट ट्रेसिंग और कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिवार की जांच की और जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है. सिर्फ बयानबाजी कर आई वॉश किया जा रहा है. इससे संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है. लेकिन जानकारी के अभाव में आसपास के लोगों को भी कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए जाने की भनक नहीं लग रही है. इससे लोग सतर्क नहीं हो पा रहे हैं और संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना बनी हुई है.

इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कार्यालय में पाए गए कोरोना पॉजिटिव कर्मचारियों के घर के सदस्यों की भी एक सप्ताह बीतने के बाद भी कोरोना की जांच नहीं हो पायी है. ऐसे में आम लोगों के परिवार की जांच को लेकर क्या हो रहा होगा. इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. हाल के दिनों में कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं. जो जिला प्रशासन के दावों की पोल खोलने के लिए काफी है. बता दें कि 1- 11 अगस्त मुख्यमंत्री आवास में कार्यरत कुछ कर्मचारी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आए गए. इसके बाद उन्हें होम क्वॉरेंटाइन किया गया, लेकिन एक सप्ताह बीतने के बावजूद अब तक परिवार के अन्य सदस्यों की न ही कोरोना जांच हुआ है.

10 अगस्त को शाहदेव नगर में एक गर्भवती महिला कोरोना पॉजिटिव हुई. इसके बाद महिला को रिम्स में एडमिट कराया गया, लेकिन उनके परिवार वालों की कोरोना जांच नहीं हुई. न ही महिला के घर पर कोई नोटिस चिपकाया गया. इससे आसपास के लोग सतर्क हो सकें. 28 जुलाई को कुम्हारटोली अभिमन्यु चौक निवासी एक अधेड़ व्यक्ति और उनकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव थे. 30 जुलाई को पति की मौत हो गई, लेकिन उनके घर में किसी की जांच नहीं की गई. न ही घर में नोटिस बोर्ड लगाया गया. 25 जुलाई को न्यू मधुकम रोड नंबर 5 में एक गर्भवती महिला कोरोना पॉजिटिव पाई गई. उन्हें घर पर ही रहने का निर्देश जिला प्रशासन ने दिया, लेकिन न ही उनके घरवालों की कोरोना जांच कराई गई. न ही कोई नोटिस चिपकाया गया, जिससे आसपास के लोग सतर्क रह सकें.

ऐसे कई उदाहरण हैं, जिसमें जिला प्रशासन के दावों की पोल खोल के रख दी है. जिला प्रशासन के द्वारा प्रत्येक दिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या, रिकवर करने वाले मरीजों की संख्या और कोरोना से मौत के आंकड़े जारी किए जाते हैं. इसके साथ ही शहर के जिन इलाकों से कोरोना मरीज पाए जाते हैं. उन इलाकों का जिक्र होता है, लेकिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों का पूरा पता जारी नहीं किया जाता है. ऐसे में जिला प्रशासन भले ही कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए पुरजोर प्रयास का दावा कर रही हो, लेकिन वर्तमान में स्थिति ठीक इससे उलट है और कोरोना संक्रमण की रोकथाम भगवान भरोसे छोड़ दी गई है.

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