रांची: आज यानी बुधवार को विश्व भर में आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है. राजनीतिक पार्टियां भी आदिवासी दिवस के अवसर पर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. AICC के निर्देश पर आज देशभर में विश्व आदिवासी दिवस को आदिवासी गौरव महासभा के रूप में मनाया जा रहा है. झारखंड कांग्रेस की ओर से जतरा मैदान, बन्हौरा में आदिवासी गौरव महासभा का आयोजन किया गया.
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इस कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, मंत्री बादल पत्रलेख और मंत्री बन्ना गुप्ता सहित झारखंड कांग्रेस के सभी बड़े नेता मौजूद रहे. मानसून की रिमझिम फुहारों के बीच आदिवासी गौरव महासभा में भाग लेने के लिए अलग-अलग इलाकों से पारंपरिक लिबास में पहुंचें जनजातीय समाज के लोग छतरी लगाकर कार्यकम्र में डटे रहें. एयरपोर्ट से सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंचें झारखंड प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय ने बन्हौरा जतरा मैदान में सरना धर्मानुसार जतरा पूजा कर आदिवासी गौरव महोत्सव की शुरुआत की.
बंधु तिर्की ने केंद्र सरकार पर बोला हमला: आज के कार्यक्रम में संयोजक की भूमिका निभा रहे पूर्व मंत्री सह कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा कि देश में आदिवासियों के साथ जो अत्याचार हो रहा है. उस जख्म में मरहम लगाने का काम आदिवासी गौरव महासभा करेगा. उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति के प्रहरी होते हैं. कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि मणिपुर और मध्यप्रदेश की घटना से साफ हो गया है कि एक पार्टी विशेष के कारण कैसे आदिवासियों पर अत्याचार बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि वन संरक्षण कानून को बदल कर केंद्र की सरकार ने जंगल को पूंजीपतियों के हवाले करने का रास्ता साफ कर दिया है. ऐसे में आज हमें संकल्प लेना है कि कैसे हम जल, जंगल और जमीन को बचाने की लड़ाई लड़ेंगे. बंधु तिर्की ने कहा कि कांग्रेस ने जो अधिकार आदिवासियों, वनवासियों को दिया था. उसे समाप्त करने पर भाजपा की सरकार लगी है.
आदिवासी महिला और पुरुषों ने परंपरागत नृत्य कर बांधा समां: विश्व आदिवासी दिवस पर बड़ी संख्या में जनजातीय महिला पुरुषों ने परंपरागत तरीके से नृत्य कर समां बांध दी. विश्व आदिवासी दिवस पर अलग-अलग इलाकों से बड़ी संख्या में आदिवासी महिलाएं और पुरुषों ने प्रभातफेरी की शक्ल के जुलूस भी निकाला. मणिपुर और मध्य प्रदेश की घटना के विरोध के साथ-साथ सरना धर्म कोड लागू करने जैसे मांग लगी तख्तियां भी लोगों के हाथों में थी.