रांचीः झारखंड की राजधानी रांची से करीब 70 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल बॉर्डर पर सिल्ली में स्थित हिंडाल्को एल्यूमिनियम प्लांट (Hindalco Aluminum Plant) में हादसा हुआ है. सुबह 6.30 बजे के करीब हाई प्रेशर टैंक का पाइप फट गया. इस पाइप से गैस रिलीज होने लगा. जिसकी चपेट में आने से दो सुपरवाइजर समेत 11 मजदूर जख्मी हो गए. प्लांट के अस्पताल में घायलों का प्राथमिक इलाज किया गया. इसके बाद रांची में नेत्र चिकित्सक डॉ गिरजा से जांच कराया गया है.
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ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने हिंडाल्को के पीआरओ राजीव से बात की. उन्होंने कहा कि 32 केजी का हाई प्रेशर टैंक का पाइप फटा है. इस पाइप के जरिए कास्टिक और बॉक्साइट की प्रोसेसिंग होती है. यह कोई घातक केमिकल नहीं है. उनका दावा है कि पाइप फटने के बाद 11 कर्मियों पर मामूली छींटा पड़ा था. इस हादसे में किसी को कोई शारीरिक नुकसान नहीं हुआ है.
छह घायलों के नाम का चला पता
ईटीवी भारत को मिली जानकारी के मुताबिक घायलों के आंख की जांच डॉ गिरिजा से कराने के बाद रांची में रातू रोड स्थित पॉपुलर नर्सिंग होम में ले जाया गया. वहां सभी का चेकअप हुआ. इसके बाद सभी मजदूरों को वापस प्लांट भेज दिया गया. अभी तक छह घायलों के नाम का पता चल सका है. घायलों में गणेश महतो, मेघनाथ महतो, श्रीकांत महतो, भोक्ता सोनार, अनुप महतो और अजय महतो शामिल हैं.
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ईटीवी भारत के पास हादसे का फुटेज
दूसरी तरफ हिंडाल्को प्लांट में हादसे के बाद ईटीवी भारत को एक फुटेज हाथ लगा है. सूत्र का दावा है कि पाइप फटने के बाद जो मेटेरियल बाहर निकला था उसे गुप्त पाइप के जरिए स्वर्णरेखा नदी में बहाया गया है. ईटीवी भारत ने कंपनी के पीआरओ राजीव से इस बारे में भी सवाल किया. उन्होंने कहा कि पाइप फटने के बाद जो मेटेरियल फर्श पर बाहर फैल गया था उसे पानी से धोकर बहाया गया है. वह घातक केमिकल नहीं है. ईटीवी भारत की टीम ने इलाज कराने रांची लाए गए मजदूरों से बात की. मजदूरों ने कहा कि तीन लोगों को मामूली रूप से आंख में चोट आई है. सुरक्षा के मद्देनजर सभी के आंख में पट्टी बांधी गई है. बाकी किसी को कोई तकलीफ नहीं है.
2019 में बह गया था रेड मड
आपको बता दें कि 9 अप्रैल 2019 को इसी प्लांट में रेड मड बह गया था. दरअसल, एक ही जगह पर क्षमता से ज्यादा रेड मड को रखा जा रहा था जो बहकर आसपास के खेतों में चला गया था. खेत को नुकसान होने पर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था. इसके बाद प्रबंधन की तरफ से किसानों को मुआवजा दिया गया था.