रांची: एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने सरकारी जमीन और जुमार नदी के जमीन को कब्जाने के मामले में जांच शुरू कर दी है. गुरुवार को एसीबी ने कांके सीओ अनिल कुमार और अन्य राजस्वकर्मियों को आरोपी बनाते हुए पीई दर्ज की है. पीई में आए तथ्यों के आधार पर जमीन पर काम कर रहे प्रोजेक्ट रिवर व्यू पर कार्रवाई होगी.
सीएम के आदेश के बाद हो रही जांच
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रोजेक्ट रिवर व्यू के खिलाफ आई मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर पूरे मामले की जांच एसीबी से कराने का आदेश दिया था. मंत्रिमंडल, निगरानी और सचिवालय से अनुमति मिलने के बाद एसीबी ने गुरुवार को इस मामले में पीई की है.
45 दिन में जांच कर रिपोर्ट देगी एसीबी
कांके में प्रोजेक्ट रिवर व्यू में 20.20 एकड़ भूमि खतियान में नदी के रूप में दर्ज होने का जिक्र है. आरोप है कि नदी की भूमि पर भी मिट्टी डालकर कब्जा किया जा रहा था. वहीं प्रोजेक्ट के अंदर अधिकांश जमीन गैरमजरूआ, बकाश्त, भूईहरी नेचर की है. मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट एसीबी को 45 दिनों के भीतर देनी है. मुख्यमंत्री ने अपने आदेश में भष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को अधिक से अधिक 45 दिनों के भीतर इस घोटाले की जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट देने को कहा था. आरोप है कि सरकारी जमीन को भू-माफिया, सरकारी अधिकारियों और सफेदपोशों ने मिलकर अपने कब्जे में लिया और प्रोजेक्ट शुरू कर दिया.
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डीसी ने अपर समाहर्ता से कराई थी जांच
रांची के डीसी ने यह मामला सामने आने के बाद अपर समाहर्ता, भू-हदबंदी से इसकी जांच कराई थी. अपर समाहर्ता ने जांच के बाद उपायुक्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि यहां की कुछ खाता संख्या के अंतर्गत आने वाले कुछ प्लॉट भूइहरी जमीन खतिहान में दर्ज हैं और खाता संख्या 142, प्लॉट संख्या 2309 गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की भूमि है, जो बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के लिए अर्जित है, साथ ही लगभग 20.59 एकड़ जमीन गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की है. नदी के रूप में दर्ज 20.20 एकड़ जमीन के अंश भाग पर रिवर व्यू गार्डेन के प्रोपराइटर कमलेश कुमार के ओर से समतलीकरण कराया गया था.
माफिया और सीओ के मिलीभगत का संदेह
उपायुक्त ने जांच रिपोर्ट भू- राजस्व विभाग को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि जमीन माफिया और कांके सीओ की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है. सीओ के सरकारी जमीन और नदी को भरने के मामले को नजरअंदाज करना यह इंगित करता है कि सीओ ने इसी साल 10 नवंबर को ई- मेल से प्रतिबंधित भूमि की जो सूची दी है, उसमें भू-माफिया द्वारा कब्जे में की जा रही सरकारी भूमि को प्रतिबंधित सूची में नहीं डाला गया था. ऐसे में कांके सीओ अनिल कुमार और राजस्वकर्मी की भूमिका संदेह के घेरे में है.