ETV Bharat / state

प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कैम की एसीबी करेगी जांच, मुख्यमंत्री ने दी मंजूरी

राज्य में प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कैम की एसीबी जांच करेगी. मुख्यमंत्री ने इसकी मंजूरी दे दी है.

acb ranchi
acb ranchi
author img

By

Published : Nov 6, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Nov 6, 2020, 8:24 AM IST

रांचीः झारखंड में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की जांच का जिम्मा एसीबी को दिया गया है. इस बाबत मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की तरफ से कल्याण विभाग को संचिका उपस्थापित करने को कहा गया था. मुख्यमंत्री ने जांच की मंजूरी दे दी है.

ईटीवी भारत ने प्रकाशित की थी खबर

पिछले दिनों ईटीवी भारत ने बिजुपाड़ा के पास टांगर के सनराइज पब्लिक स्कूल की छात्रा और स्कूल प्रिंसिपल से बातचीत पर आधारित खबर भी प्रकाशित की थी. छात्रा ने स्पष्ट कहा था कि उसे स्कॉलरशिप के नाम पर 25 सौ रुपए दिए गए थे, जबकि छात्रा का किसी भी बैंक में अकाउंट नहीं है. वहीं स्कूल प्रिंसिपल ने कहा था कि वह सिर्फ 2 वर्षों से स्कॉलरशिप क्लेम कर रहे हैं. इसके बावजूद उनके स्कूल के नाम पर निकासी हो रही है, इसकी जानकारी उन्हें तब मिली जब मीडिया के लोगों ने उनसे इस बाबत बात की.

धनबाद और रामगढ़ से भी आए थे मामले

स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर ईटीवी भारत ने धनबाद और रामगढ़ से भी खबर प्रकाशित की थी. रिपोर्ट तैयार करने में जुटे कल्याण विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूरा घालमेल स्कूल संचालक, बैंक कर्मी और बिचौलियों की सांठगांठ से ही हो सकता है. जहां तक विभाग की बात है तो वेरिफिकेशन में लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता है. 4 नवंबर को मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि पूरे मामले की जांच तो होगी ही लेकिन इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि अब आगे बच्चों की हकमारी किसी हालत में ना हो पाए.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में छात्रवृत्ति घोटालाः फर्जी छात्रों के नाम पर बैंक खातों से 23 करोड़ का घालमेल

घोटाला सामने आने से हड़कंप

अल्पसंख्यक स्कूलों के गरीब और मेधावी छात्रों के लिए केंद्र सरकार के सामाजिक, न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से डीबीटी के जरिए राशि दी जाती है. साल 2019-20 में इस मद में करीब 61 करोड़ रु निर्गत किए गए हैं. प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की बात उजागर होने से अल्पसंख्यक स्कूलों में हड़कंप मचा हुआ है.

रांचीः झारखंड में प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की जांच का जिम्मा एसीबी को दिया गया है. इस बाबत मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की तरफ से कल्याण विभाग को संचिका उपस्थापित करने को कहा गया था. मुख्यमंत्री ने जांच की मंजूरी दे दी है.

ईटीवी भारत ने प्रकाशित की थी खबर

पिछले दिनों ईटीवी भारत ने बिजुपाड़ा के पास टांगर के सनराइज पब्लिक स्कूल की छात्रा और स्कूल प्रिंसिपल से बातचीत पर आधारित खबर भी प्रकाशित की थी. छात्रा ने स्पष्ट कहा था कि उसे स्कॉलरशिप के नाम पर 25 सौ रुपए दिए गए थे, जबकि छात्रा का किसी भी बैंक में अकाउंट नहीं है. वहीं स्कूल प्रिंसिपल ने कहा था कि वह सिर्फ 2 वर्षों से स्कॉलरशिप क्लेम कर रहे हैं. इसके बावजूद उनके स्कूल के नाम पर निकासी हो रही है, इसकी जानकारी उन्हें तब मिली जब मीडिया के लोगों ने उनसे इस बाबत बात की.

धनबाद और रामगढ़ से भी आए थे मामले

स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर ईटीवी भारत ने धनबाद और रामगढ़ से भी खबर प्रकाशित की थी. रिपोर्ट तैयार करने में जुटे कल्याण विभाग के सूत्रों का कहना है कि पूरा घालमेल स्कूल संचालक, बैंक कर्मी और बिचौलियों की सांठगांठ से ही हो सकता है. जहां तक विभाग की बात है तो वेरिफिकेशन में लापरवाही से इनकार नहीं किया जा सकता है. 4 नवंबर को मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि पूरे मामले की जांच तो होगी ही लेकिन इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि अब आगे बच्चों की हकमारी किसी हालत में ना हो पाए.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में छात्रवृत्ति घोटालाः फर्जी छात्रों के नाम पर बैंक खातों से 23 करोड़ का घालमेल

घोटाला सामने आने से हड़कंप

अल्पसंख्यक स्कूलों के गरीब और मेधावी छात्रों के लिए केंद्र सरकार के सामाजिक, न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की तरफ से डीबीटी के जरिए राशि दी जाती है. साल 2019-20 में इस मद में करीब 61 करोड़ रु निर्गत किए गए हैं. प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की बात उजागर होने से अल्पसंख्यक स्कूलों में हड़कंप मचा हुआ है.

Last Updated : Nov 6, 2020, 8:24 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.