रांचीः कोरोना महामारी (corona pandemic) को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था. इस आदेश के आलोक में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) के न्यायाधीश सह झालसा के कार्यपालक अध्यक्ष अपरेश कुमार सिंह ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि सात वर्ष तक की सजा वाले विचाराधीन बंदियों को न्यायालय से जमानत या अंतरिम जमानत देकर रिहा करें. इस निर्देश के बाद अब तक 93 विचाराधीन कैदियों को जमानत पर रिहा किया गया हैं.
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प्रधान न्यायायुक्त नवनीत कुमार ने जेल अधीक्षकों को विचाराधीन कैदियों की सूची बनाने का आदेश दिया. इस आदेश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार रांची को 215 विचाराधीन कैदियों की सूची प्राप्त हुई. इसमें मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी फहीम किरमानी, अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी वैशाली श्रीवास्तव, रेलवे न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह के साथ-साथ राजीव त्रिपाठी, दिव्या मिश्रा, अजय गुड़िया, अभिषेक प्रसाद, प्रमानंद उपाध्याय, एसडीजेएम मनीष कुमार सिंह, कुमारी नितिका, शिल्पा मुर्मू, रोजलिना बारा, नूतन एक्का और कावेरी कुमारी के न्यायालयों के मामले शामिल हैं.
सभी पक्षों को ध्यान में रख कर दी गई जमानत
जेल में विचाराधीन कैदियों की संख्या ज्यादा होने के कारण कोरोना संक्रमण के चलते विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया, ताकि जेल में कैदियों की संख्या कम हो सके. इसको लेकर न्यायायुक्त के साथ-साथ न्यायिक पदाधिकारियों, सचिव और अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठकर सहमति बनाई गई और सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए 93 बंदियों को अंतरिम जमानत दी गई.
योगा कार्यक्रम का किया गया था आयोजन
कोरोनो से बचाव के लिए विचाराधीन कैदियों को जेल से निकलने से पहले जिला विधिक सेवा प्राधिकार और आर्ट आफ लिविंग की ओर से कैदियों के लिए योगा कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में कैदियों को योगा की ट्रेनिंग भी दी गई.