रांची:स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण राज्य सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. 12 सितंबर 2022 से राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम 2021 और नियमावली 2022 लागू किया गया है. इस अधिनियम के तहत प्रत्येक नियोक्ता जिसके यहां 10 या 10 से अधिक व्यक्ति कार्यरत हैं और 40,000 से कम वेतन प्राप्त करते हो वैसे ही संस्थानों में यह अधिनियम लागू होगा. इस कानून को पास हुए छह माह से अधिक हो चुके हैं, लेकिन विभाग के द्वारा इसे तत्परता से लागू नहीं किया जा सका है. श्रम विभाग खुद इस अधिनियम के पालन कराने में कहीं ना कहीं विफल साबित हो रहा है.
कंपनी संचालकों ने जबरन थोपा गया नियम बतायाः झारखंड राज्य में स्थापित कंपनियों को विभाग ने इस संबंध में नोटिस जरूर जारी किया है, लेकिन नोटिस का जवाब जिस तरह से कंपनियों की ओर से आ रहे हैं, उससे विभाग कहीं न कहीं सकते में है. निजी कंपनियों का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा बगैर कंपनियों के प्रतिनिधियों या संगठनों का सुझाव जाने इसे जबरन थोपा गया है. ऐसे में कंपनियों की कार्य संस्कृति पर प्रभाव पड़ने का अंदेशा है.
श्रम विभाग ने छह हजार निजी कंपनियों को भेजा नोटिसः श्रम विभाग के द्वारा अब तक करीब 6000 निजी कंपनियों को नोटिस भेजा गया है, जिसमें कंपनियों को निबंधन कराने के निर्देश दिए गए हैं. विभाग के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार अब तक करीब 1200 निजी कंपनियों ने निबंधन कराया है. निजी कंपनियों के सुझाव और लगातार मांग के बाद राज्य अनुश्रवण समिति में निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों और संगठनों को शामिल करने पर सरकार विचार कर रही है. इसके लिए सचिवालय स्तर पर संचिका बढ़ाई गई है.
निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की कवायदः गौरतलब है कि राज्य अनुश्रवण समिति में श्रम नियोजन विभाग के प्रधान सचिव या सचिव अध्यक्ष होंगे. इसके अलावे विभाग के निदेशक जो सचिव होंगे. वहीं श्रमायुक्त, उद्योग निदेशक, मुख्य कारखाना निरीक्षक और मुख्य बॉयलर निरीक्षक को सदस्य के रूप में रखा गया है. श्रम विभाग के उप निदेशक निशिकांत मिश्र कहते हैं कि सरकार की प्राथमिकता में निजी क्षेत्र में 75 फीसदी आरक्षण है. निजी कंपनियों से लगातार विभाग को सुझाव मिल रहे हैं, जिसपर ध्यान दिया जा रहा है.
विधानसभा की विशेष कमेटी कर रही है स्थलीय जांचः राजकीय निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए 75 फीसदी आरक्षण को पालन कराने के लिए विधायक नलिन सोरेन के नेतृत्व में विधानसभा क्रियान्वयन समिति बनायी गई है, जो पिछले माह देवघर और गोड्डा का दौरा कर जमीनी हकीकत का जायजा लेगी. जानकारी के मुताबिक कमेटी विभाग के द्वारा किए जा रहे कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं और इन जिलों में निजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर नियम का उल्लंघन करते हुए पाया गया है. गौरतलब है कि विधानसभा के द्वारा गठित क्रियान्वयन समिति में नलिन सोरेन संयोजक और विधायक प्रदीप यादव, सुदीव्य कुमार सोनू, नारायण दास और भूषण बाड़ा सदस्य के रूप में हैं.
एक नजर में झारखंड में स्थानीय लोगों के लिए निजी क्षेत्र में 75% आरक्षणः प्रावधान के अनुरूप नोटिफिकेशन जारी होने के एक माह के अंदर कराना था कंपनियों को निबंधन, अब तक विभाग ने नहीं बनाया है पोर्टल इस कारण हो रहा है ऑफलाइन निबंधन, 40 हजार से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की रिक्तियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत सीट रिजर्व होंगी. जिस कंपनी में 10 से अधिक कर्मचारी होंगे, वहां यह लागू होगा. लोकल युवाओं को ही इसका लाभ मिलेगा जो वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराएंगे, नियम का पालन नहीं करने वाली कंपनी को 10 हजार से पांच लाख तक का दंड का प्रावधान है.