रांची: केंद्र और राज्य सरकार कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन को बड़ा हथियार बता रही है. डॉक्टरों का भी यही कहना है कि जितनी जल्दी हो सके लोग कोरोना का टीका लगवा लें. लेकिन, झारखंड में वैक्सीन के लिए योग्य कुल आबादी का 68% लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लग सका है. वैक्सीन का पहला डोज लेने वाले आधे लोगों ने अब तक दूसरा डोज नहीं लिया है.
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सिर्फ 31% लोगों ने लिया पहला डोज
झारखंड में वैक्सीनेशन के आंकडों को देखें तो हेल्थ केयर वर्कर में 94%, फ्रंट लाइन वर्कर में 91%, 18+ वालों में 24%, 45+ वालों में 39% और 60+ वालों में 47% लोगों ने ही वैक्सीन लिया है. कुल मिलाकर देखा जाए तो 2 करोड़ 47 लाख 40 हजार लोगों में अब तक 78 लाख 87 हजार लोगों को पहला डोज मिला है. आंकड़े बताते हैं अब तक 31.87% लोगों ने वैक्सीन का पहला डोज लिया है. वहीं, 68.13% लोगों ने अब तक पहला डोज भी नहीं लिया है.
राज्य में दूसरे डोज के लिए योग्य 34 लाख 17 हजार लोगों में से 18 लाख 36 हजार लोगों ने ही दूसरा डोज लिया है. आंकड़े बताते हैं कि दूसरे डोज के लिए योग्य 16 लाख लोगों ने टीका नहीं लिया है. विशेषज्ञ लगातार यह बता रहे हैं कि दोनों डोज लेने के बाद ही शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी बनता है.
वैक्सीन की कमी से होती है परेशानी
सदर अस्पताल में वैक्सीन के लिए पहुंचे युवा सौरभ, अंकित जैसे लोग बताते हैं कि कैसे समय पर वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं मिल पाने की वजह से वह भयभीत हैं. उन्होंने बताया कि पहला डोज लेने के बाद वैक्सीन की कमी के चलते दूसरा डोज समय पर नहीं ले सके. ऐसे में यह जरूरी है कि लोगों को समय पर वैक्सीन मुहैया कराई जाए ताकि वक्त पर ही दूसरा डोज लिया जा सके.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स ?
झारखंड में कोरोना वैक्सीनेशन की रफ्तार बेहद कम होने और दूसरा डोज लेने के प्रति भी लापरवाही को डॉक्टर्स ठीक नहीं मानते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि इस स्थिति में संभावित तीसरी लहर से निपटने में मुश्किल होगी. डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कुछ लोग वैक्सीन का दोनों डोज लेने के बाद लापरवाही कर रहे हैं. गाइडलाइन का पालन नहीं करना तीसरे लहर को बुलावा है.