ETV Bharat / state

JPCC को मजबूत करने के लिए बनाया गया प्रेसिडेंट के साथ 5 वर्किंग प्रेसिडेंट, जानिए क्या है फार्मूला

रांची में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर झारखंड प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पुराना फार्मूला अपनाया है. इसके तहत ट्राइबल प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ 5 कार्यकारी अध्यक्ष की नई टीम के हाथों में प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है. यह फार्मूला झारखंड अलग राज्य गठन के समय भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपनाया था.

प्रेसिडेंट के साथ 5 वर्किंग प्रेसिडेंट
author img

By

Published : Aug 29, 2019, 12:26 PM IST

रांची: साल 2000 में झारखंड अलग राज्य के गठन के दौरान भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी को मजबूती प्रदान करने के मकसद से तत्कालीन थॉमस हांसदा के अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी नियुक्ति की थी. जिसमें पीएन सिंह, फुरकान अंसारी, इंद्रनाथ भगत, कृष्णानंद झा शामिल थे.

देखें पूरी खबर


जातीय समीकरण पर फोकस करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे. जिसके तहत साल 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छा रिजल्ट भी मिला था. ऐसे में एक बार फिर इसी फार्मूले के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट के उम्मीद पर इस नई टीम का गठन किया गया है. जिसका पार्टी को फायदा भी मिला और साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी.


जिसके बाद इंद्रनाथ भगत को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने कार्यकारी अध्यक्ष का प्रयोग एक बार फिर साल 2009 में किया और उस दौरान भी पार्टी को झारखंड में चुनाव के दौरान फायदा मिला और 14 सीट पर जीत दर्ज की गई. जबकि बिना कार्यकारिणी अध्यक्ष के साल 2014 में पार्टी ने 6 सीटों पर ही जीत दर्ज की. ऐसे में यह साफ हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद से डॉ अजय कुमार के इस्तीफे के बाद शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर झारखंड में कमजोर होते संगठन को मजबूती देने के लिए पुराने फार्मूले को प्रयोग में लाया है. क्योंकि जल्द ही झारखंड राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और पिछले दिनों जिस तरह से पार्टी में गुटबाजी देखी गई है. उस गुटबाजी को खत्म करते हुए सभी नेताओं कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के मकसद से पुराने फार्मूले को अपनाया गया है.

ये भी देखें- RU छात्रसंघ चुनाव का शेड्यूल जारी, 18 को पड़ेंगे वोट, 19 को काउंटिंग और रिजल्ट


साथ ही फिर से जातीय समीकरण के साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. जिसमे डॉ रामेश्वर उरांव को ट्राइबल अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकता दी गई है. जबकि 5 कार्यकारी अध्यक्षों में शामिल इरफान अंसारी, केशव महतो कमलेश, राजेश ठाकुर, मानस सिन्हा और संजय लाल पासवान को अपर कास्ट, लोवर कास्ट, अल्पसंख्यक और दलित के रूप में सम्मिलित किया गया है. ताकि प्रदेश कांग्रेस एकजुट होकर मजबूती के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सके और बेहतर परिणाम ला सके. ऐसे में अगर झारखंड राज्य के अलग गठन के दौरान से अब तक के अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के सफर पर नजर डालें तो यह साफ पता चल जाएगा कि कांग्रेस अपने पुराने फार्मूले को एक बार फिर प्रयोग में लाई है.


झारखंड कांग्रेस के अब तक के अध्यक्ष

  • थॉमस हांसदा, अध्यक्ष- 12.12.1999 से 7.12. 2000 तक
  • झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा 16.9.2000 मोहसीना किदवई महासचिव और प्रभारी झारखंड एआईसीसी
  • पीएन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष
  • फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष
  • इंद्रनाथ भगत, कार्यकारी अध्यक्ष
  • कृष्णानंद झा, कार्यकारी अध्यक्ष
  • इंद्रनाथ भगत, अध्यक्ष- 8.12.2000 से 28.12.2001 तक
  • प्रदीप कुमार बलमुचू, प्रभारी अध्यक्ष- 29.12.2001 से 8.6. 2003 तक
  • थॉमस हांसदा, अध्यक्ष- 9.6.2003 से 21.11.2004 तक
  • सुशीला केरकेट्टा, अध्यक्ष- 22.11.2004 से 12.7.2005 तक
  • प्रदीप कुमार बलमुचू, अध्यक्ष-13.7.2005 से 10.11.2011 तक
  • फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2009
  • राजेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2010
  • प्रदीप कुमार बलमुचू , अध्यक्ष- 11.11.2011 से 12.5.2013 तक
  • सुखदेव भगत, अध्यक्ष- 13.5.2013 से 15.11.2017 तक
  • डॉ अजय कुमार, अध्यक्ष- 16.11.2017 से 26.8.2019 तक

रांची: साल 2000 में झारखंड अलग राज्य के गठन के दौरान भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी को मजबूती प्रदान करने के मकसद से तत्कालीन थॉमस हांसदा के अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी नियुक्ति की थी. जिसमें पीएन सिंह, फुरकान अंसारी, इंद्रनाथ भगत, कृष्णानंद झा शामिल थे.

देखें पूरी खबर


जातीय समीकरण पर फोकस करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे. जिसके तहत साल 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छा रिजल्ट भी मिला था. ऐसे में एक बार फिर इसी फार्मूले के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट के उम्मीद पर इस नई टीम का गठन किया गया है. जिसका पार्टी को फायदा भी मिला और साल 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी.


जिसके बाद इंद्रनाथ भगत को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने कार्यकारी अध्यक्ष का प्रयोग एक बार फिर साल 2009 में किया और उस दौरान भी पार्टी को झारखंड में चुनाव के दौरान फायदा मिला और 14 सीट पर जीत दर्ज की गई. जबकि बिना कार्यकारिणी अध्यक्ष के साल 2014 में पार्टी ने 6 सीटों पर ही जीत दर्ज की. ऐसे में यह साफ हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद से डॉ अजय कुमार के इस्तीफे के बाद शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर झारखंड में कमजोर होते संगठन को मजबूती देने के लिए पुराने फार्मूले को प्रयोग में लाया है. क्योंकि जल्द ही झारखंड राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और पिछले दिनों जिस तरह से पार्टी में गुटबाजी देखी गई है. उस गुटबाजी को खत्म करते हुए सभी नेताओं कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के मकसद से पुराने फार्मूले को अपनाया गया है.

ये भी देखें- RU छात्रसंघ चुनाव का शेड्यूल जारी, 18 को पड़ेंगे वोट, 19 को काउंटिंग और रिजल्ट


साथ ही फिर से जातीय समीकरण के साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं. जिसमे डॉ रामेश्वर उरांव को ट्राइबल अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकता दी गई है. जबकि 5 कार्यकारी अध्यक्षों में शामिल इरफान अंसारी, केशव महतो कमलेश, राजेश ठाकुर, मानस सिन्हा और संजय लाल पासवान को अपर कास्ट, लोवर कास्ट, अल्पसंख्यक और दलित के रूप में सम्मिलित किया गया है. ताकि प्रदेश कांग्रेस एकजुट होकर मजबूती के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सके और बेहतर परिणाम ला सके. ऐसे में अगर झारखंड राज्य के अलग गठन के दौरान से अब तक के अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के सफर पर नजर डालें तो यह साफ पता चल जाएगा कि कांग्रेस अपने पुराने फार्मूले को एक बार फिर प्रयोग में लाई है.


झारखंड कांग्रेस के अब तक के अध्यक्ष

  • थॉमस हांसदा, अध्यक्ष- 12.12.1999 से 7.12. 2000 तक
  • झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा 16.9.2000 मोहसीना किदवई महासचिव और प्रभारी झारखंड एआईसीसी
  • पीएन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष
  • फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष
  • इंद्रनाथ भगत, कार्यकारी अध्यक्ष
  • कृष्णानंद झा, कार्यकारी अध्यक्ष
  • इंद्रनाथ भगत, अध्यक्ष- 8.12.2000 से 28.12.2001 तक
  • प्रदीप कुमार बलमुचू, प्रभारी अध्यक्ष- 29.12.2001 से 8.6. 2003 तक
  • थॉमस हांसदा, अध्यक्ष- 9.6.2003 से 21.11.2004 तक
  • सुशीला केरकेट्टा, अध्यक्ष- 22.11.2004 से 12.7.2005 तक
  • प्रदीप कुमार बलमुचू, अध्यक्ष-13.7.2005 से 10.11.2011 तक
  • फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2009
  • राजेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2010
  • प्रदीप कुमार बलमुचू , अध्यक्ष- 11.11.2011 से 12.5.2013 तक
  • सुखदेव भगत, अध्यक्ष- 13.5.2013 से 15.11.2017 तक
  • डॉ अजय कुमार, अध्यक्ष- 16.11.2017 से 26.8.2019 तक
Intro:रांची.कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर झारखंड प्रदेश कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पुराना फार्मूला अपनाया है और इसके तहत ट्राइबल प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ 5 कार्यकारी अध्यक्ष की नई टीम के हाँथों में प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी है। यह फार्मूला झारखंड अलग राज्य गठन के समय भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपनाया था। जिसमे जातीय समीकरण पर फोकस करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए थे। जिसके तहत वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को अच्छा रिजल्ट भी मिला। ऐसे में एक बार फिर इसी फार्मूले के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट के उम्मीद पर इस नई टीम का गठन किया गया है।



Body:वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य के गठन के दौरान भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी को मजबूती प्रदान करने के मकसद से तत्कालीन थॉमस हांसदा के अध्यक्ष पद पर रहने के दौरान चार कार्यकारी अध्यक्षों की भी नियुक्ति की थी। जिसमें पीएन सिंह,फुरकान अंसारी,इंद्रनाथ भगत,कृष्णानंद झा शामिल थे। जिसका पार्टी को फायदा भी मिला और वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हांसिल की। इसके बाद इंद्रनाथ भगत को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने कार्यकारी अध्यक्ष का प्रयोग एक बार फिर वर्ष 2009 में किया और उस दौरान भी पार्टी को झारखंड में चुनाव के दौरान फायदा मिला और 14 सीट पर जीत दर्ज की गई। जबकि बिना कार्यकारिणी अध्यक्ष के वर्ष 2014 में पार्टी ने 6 सीटों पर ही जीत दर्ज की।


Conclusion:ऐसे में यह साफ हो गया है कि प्रदेश अध्यक्ष के पद से डॉ अजय कुमार के इस्तीफे के बाद शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर झारखंड में कमजोर होते संगठन को मजबूती देने के लिए पुराने फार्मूले को प्रयोग में लाया है। क्योंकि जल्द ही झारखंड राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और पिछले दिनों जिस तरह से पार्टी में गुटबाजी देखी गई है।उस गुटबाजी को खत्म करते हुए सभी नेताओं कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के मकसद से पुराने फार्मूले को अपनाया गया है। साथ ही फिर से जातीय समीकरण के साथ कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हैं । जिसमे डॉ रामेश्वर उरांव को ट्राईबल अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकता दी गई है। जबकि 5 कार्यकारी अध्यक्षों में शामिल इरफान अंसारी,केशव महतो कमलेश,राजेश ठाकुर,मानस सिन्हा और संजय लाल पासवान को अपर कास्ट,लोवर कास्ट, अल्पसंख्यक और दलित के रूप में सम्मिलित किया गया है। ताकि प्रदेश कांग्रेस एकजुट होकर मजबूती के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सके और बेहतर परिणाम ला सके।


ऐसे में अगर झारखंड राज्य के अलग गठन के दौरान से अब तक के अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के सफर पर नजर डालें। तो यह साफ पता चल जाएगा कि कांग्रेस अपने पुराने फार्मूले को एक बार फिर प्रयोग में लाई है।


थॉमस हांसदा,अध्यक्ष- 12.12.1999 से 7.12. 2000 तक

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा 16.9.2000 मोहसीना किदवई महासचिव और प्रभारी झारखंड एआईसीसी

पीएन सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष
फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष
इंद्रनाथ भगत,कार्यकारी अध्यक्ष
कृष्णानंद झा,कार्यकारी अध्यक्ष

इंद्रनाथ भगत अध्यक्ष- 8.12.2000 से 28.12.2001 तक

प्रदीप कुमार बलमुचू ,प्रभारी अध्यक्ष- 29.12.2001 से 8.6. 2003 तक

थॉमस हांसदा ,अध्यक्ष- 9.6.2003 से 21.11.2004 तक

सुशीला केरकेट्टा,अध्यक्ष- 22.11.2004 से 12.7.2005 तक

प्रदीप कुमार बलमुचू,अध्यक्ष-13.7.2005 से 10.11.2011 तक
फुरकान अंसारी, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2009
राजेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष- 24 अक्टूबर 2010

प्रदीप कुमार बलमुचू ,अध्यक्ष- 11.11.2011 से 12.5.2013 तक

सुखदेव भगत, अध्यक्ष- 13.5.2013 से 15.11.2017 तक

डॉ अजय कुमार,अध्यक्ष- 16.11.2017 से 26.8.2019 तक
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.