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BAU में 5 दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग संपन्न, 79 प्रतिभागियों को मिलेगा प्रमाण पत्र

रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि प्रसार में सूचना, संचार प्रौद्योगिकी और मास मीडिया विषय पर आधारित 5 दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग का समापन हो गया है. कार्यक्रम में झारखंड के 15 अधिकारियों को नामित किया गया था.

5 days online training done at birsa agricultural university of ranchi
रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में 5 दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग संपन्न, 79 प्रतिभागियों को मिलेगा प्रमाण पत्र
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Published : May 9, 2021, 12:50 PM IST

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय कृषि प्रसार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5 दिवसीय ऑनलाइन ऑफ कैंपस ट्रेनिंग शनिवार को संपन्न हुई. समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में आईसीटी के चमत्कार और इसके आवेदन में हमने बहुत प्रगति की है. कई प्रयोजनों में आईसीटी ने सूचना विनिमय को लेन-देन सेवाओं में स्थानांतरित कर दिया है. कार्यालय का काम स्वचालित और कम्प्यूटरीकृत हो रहा है. आधिकारिक संचार और वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन किए जा रहे हैं. प्रणाली की दक्षता वृद्धि से समय की बचत हो रही है.

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कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक आईसीटी के क्षेत्र में उत्कृष्ट और सराहनीय काम को अंजाम दे रहे हैं. शिक्षकों और छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में वाई-फाई के साथ 12 किमी ओएफसी नेटवर्क हैं. आईएएसआरआई, नई दिल्ली के सहयोग से विश्वविद्यालयों की ओर से अकादमिक प्रबंधन प्रणाली (एएमएस) को लागू किया है. कृषि विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने बहुभाषी प्रणाली विकसित किया है. कृषि, पशु चिकित्सा और वानिकी पर पोर्टल, मौसम पोर्टल और मोबाइल ऐप, इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम, ई-बिरसा किसान डायरी और यूट्यूब पर बीएयू एक्सटेंशन चैनल चलाया जा रहा है. संबोधन में विशिष्ट अतिथि डीन एग्रीकल्चर डॉ. एमएस यादव ने कहा कि आईसीटी सामाजिक विकास में एक वेक्टर के रूप में कार्य करता है. ये बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में सुधार, कनेक्टिविटी को बढ़ाने और रोजगार का सृजन अवसर प्रदान करता है.

व्यापक बदलाव की संभावना

आईसीटी उद्यमशीलता को बढ़ावा और नए व्यापार मॉडल के विकास में उपयोगी साबित हो रहा है. कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों के अनुप्रयोग से कृषि विस्तार के परिदृश्य को व्यापक बदलाव की संभावना है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विस्तार में आईसीटी आवेदन के कौशल विकास से प्रशिक्षुओं की क्षमता में वृद्धि होगी. कृषि प्रसार में सीमांत आईसीटी उपकरणों का अनुप्रयोग केवल प्रौद्योगिकी डेवलपर्स, शोधकर्ताओं और विस्तार पेशेवरों के एकीकृत प्रयासों से संभव है. निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि आईसीटी माध्यम से परियोजनाओं के कार्यान्वयन में कृषि विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका है. प्रत्येक केवीके ने किसानों का व्हाट्सएप समूह बनाया है और उन्हें आईटी आधारित सक्षम सेवाएं प्रदान कर रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से विकसित सेवाओं के साथ किसान सामुदायिक रेडियो स्टेशन का परिचालन अंतिम चरण में है. उन्होंने वैज्ञानिकों और विस्तार कार्यक्रमों में ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम, पेशेवरों की ओर से आईसीटी को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रकट किया.

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हैदराबाद के वरिष्ठ सहायक निदेशक भास्कर गुजजी ने स्वागत भाषण में ट्रेनिंग की महत्ता और अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मैनेज पूरे देश में कृषि प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्यरत है. बीएयू, रांची के साथ मिलकर वर्षों से इस दिशा में अग्रणी बेहतर है. कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद प्रशिक्षण समन्वयक डॉ बी के झा ने किया. ट्रेनिंग में डॉ. अलोक कुमार पांडे, डॉ. अरविन्द मिश्र, डॉ. सरिता सिन्हा, डॉ. रंजय कुमार सिंह, डॉ. ललित दास, डॉ. अनुरंजन, प्रदीप सरकार ट्रेनिंग में देश के बीस राज्यों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से चयनित 98 प्रतिभागियों में से 79 प्रतिभागियों ने प्रोग्राम के ऑनलाइन टेस्ट के लिए मौजूद हुए, जिन्हें ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिया जाएगा. कार्यक्रम में झारखंड के 15 अधिकारियों को नामित किया गया था.

रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय कृषि प्रसार प्रबंधन संस्थान (मैनेज), हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 5 दिवसीय ऑनलाइन ऑफ कैंपस ट्रेनिंग शनिवार को संपन्न हुई. समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बीएयू कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि हमारे समाज और अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में आईसीटी के चमत्कार और इसके आवेदन में हमने बहुत प्रगति की है. कई प्रयोजनों में आईसीटी ने सूचना विनिमय को लेन-देन सेवाओं में स्थानांतरित कर दिया है. कार्यालय का काम स्वचालित और कम्प्यूटरीकृत हो रहा है. आधिकारिक संचार और वित्तीय लेनदेन ऑनलाइन किए जा रहे हैं. प्रणाली की दक्षता वृद्धि से समय की बचत हो रही है.

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कुलपति ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक आईसीटी के क्षेत्र में उत्कृष्ट और सराहनीय काम को अंजाम दे रहे हैं. शिक्षकों और छात्रों के लिए विश्वविद्यालय में वाई-फाई के साथ 12 किमी ओएफसी नेटवर्क हैं. आईएएसआरआई, नई दिल्ली के सहयोग से विश्वविद्यालयों की ओर से अकादमिक प्रबंधन प्रणाली (एएमएस) को लागू किया है. कृषि विस्तार शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने बहुभाषी प्रणाली विकसित किया है. कृषि, पशु चिकित्सा और वानिकी पर पोर्टल, मौसम पोर्टल और मोबाइल ऐप, इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम, ई-बिरसा किसान डायरी और यूट्यूब पर बीएयू एक्सटेंशन चैनल चलाया जा रहा है. संबोधन में विशिष्ट अतिथि डीन एग्रीकल्चर डॉ. एमएस यादव ने कहा कि आईसीटी सामाजिक विकास में एक वेक्टर के रूप में कार्य करता है. ये बुनियादी सेवाओं तक पहुंच में सुधार, कनेक्टिविटी को बढ़ाने और रोजगार का सृजन अवसर प्रदान करता है.

व्यापक बदलाव की संभावना

आईसीटी उद्यमशीलता को बढ़ावा और नए व्यापार मॉडल के विकास में उपयोगी साबित हो रहा है. कृषि में ड्रोन और रोबोटिक्स जैसी तकनीकों के अनुप्रयोग से कृषि विस्तार के परिदृश्य को व्यापक बदलाव की संभावना है. प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विस्तार में आईसीटी आवेदन के कौशल विकास से प्रशिक्षुओं की क्षमता में वृद्धि होगी. कृषि प्रसार में सीमांत आईसीटी उपकरणों का अनुप्रयोग केवल प्रौद्योगिकी डेवलपर्स, शोधकर्ताओं और विस्तार पेशेवरों के एकीकृत प्रयासों से संभव है. निदेशक विस्तार शिक्षा डॉ. जगरनाथ उरांव ने कहा कि आईसीटी माध्यम से परियोजनाओं के कार्यान्वयन में कृषि विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका है. प्रत्येक केवीके ने किसानों का व्हाट्सएप समूह बनाया है और उन्हें आईटी आधारित सक्षम सेवाएं प्रदान कर रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से विकसित सेवाओं के साथ किसान सामुदायिक रेडियो स्टेशन का परिचालन अंतिम चरण में है. उन्होंने वैज्ञानिकों और विस्तार कार्यक्रमों में ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम, पेशेवरों की ओर से आईसीटी को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रकट किया.

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हैदराबाद के वरिष्ठ सहायक निदेशक भास्कर गुजजी ने स्वागत भाषण में ट्रेनिंग की महत्ता और अनुप्रयोग पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मैनेज पूरे देश में कृषि प्रबंधन एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम के क्षेत्र में कार्यरत है. बीएयू, रांची के साथ मिलकर वर्षों से इस दिशा में अग्रणी बेहतर है. कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद प्रशिक्षण समन्वयक डॉ बी के झा ने किया. ट्रेनिंग में डॉ. अलोक कुमार पांडे, डॉ. अरविन्द मिश्र, डॉ. सरिता सिन्हा, डॉ. रंजय कुमार सिंह, डॉ. ललित दास, डॉ. अनुरंजन, प्रदीप सरकार ट्रेनिंग में देश के बीस राज्यों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से चयनित 98 प्रतिभागियों में से 79 प्रतिभागियों ने प्रोग्राम के ऑनलाइन टेस्ट के लिए मौजूद हुए, जिन्हें ऑनलाइन प्रमाण पत्र दिया जाएगा. कार्यक्रम में झारखंड के 15 अधिकारियों को नामित किया गया था.

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