रांची: आरयू का 34वां दीक्षांत समारोह 1 मार्च को आयोजित किया गया था. इसके बाद यूजी 2017-20 और पीजी 2018 -20 के विद्यार्थियों को डिग्री उनके कॉलेज या संबंधित विभाग में भेजने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक हजारों विद्यार्थियों को डिग्री नहीं भेजी गई है. इसे लेकर विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से शिकायत भी की है.
5 हजार विद्यार्थियों के डिग्री पर हस्ताक्षर होना बाकी है
1 मार्च को सत्र 2017-20 के यूजी और 2018 -20 के पीजी विद्यार्थियों के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया था. कुछ विद्यार्थियों के बीच डिग्री और गोल्ड मेडल वितरित किया गया था. बाकी यूजी और पीजी के 25 हजार विद्यार्थियों को डिग्री देने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से कहा गया था कि उनके कॉलेज या संबंधित विभाग को डिग्री भेज दी जाएगी, लेकिन अब तक इन विद्यार्थियों को डिग्री नहीं मिली है. इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को विद्यार्थियों की ओर से शिकायत भी की गई है. इस मामले को लेकर जब परीक्षा नियंत्रक से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कहा कि स्नातक के 20 हजार विद्यार्थियों के डिग्री अभी तक छपी ही नहीं है और स्नातकोत्तर के 5 हजार विद्यार्थियों के डिग्री पर कुलपति का हस्ताक्षर होना बाकी है.
20 हजार से अधिक डिग्रियां बाकी है छपना
स्नातक की डिग्री विद्यार्थियों के संबंधित कॉलेजों में प्रति कुलपति और परीक्षा नियंत्रक के हस्ताक्षर होने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन को भेजना था. इस बीच कुलपति रमेश कुमार पांडे सेवानिवृत्त हो गए और प्रति कुलपति कामिनी कुमार को प्रभारी कुलपति बना दिया गया. ऐसे में अब प्रभारी कुलपति को ही इन डिग्रियों में सिग्नेचर करना है और यह प्रक्रिया अब लंबी हो गई है, क्योंकि 20 हजार से अधिक डिग्रियां अभी छपना बाकी है. इसके बाद इसमें परीक्षा नियंत्रक और कुलपति का हस्ताक्षर भी होना है. विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक का कहना है कि उनकी कोशिश है कि जल्द से जल्द विद्यार्थियों की डिग्री उनके कॉलेज पीजी विभाग में भिजवा दिया जाए, ताकि उन्हें परेशानी ना हो. कुछ टेक्निकल परेशानियां हैं, जिसे जल्द से जल्द दूर कर लिया जाएगा.
आनन-फानन में हुई थी 34वां दीक्षांत समारोह का आयोजन
अब सवाल यह उठता है कि आखिर जब डिग्रियां छपी ही नहीं है तब आनन-फानन में 1 मार्च को 34वां दीक्षांत समारोह का आयोजन करने को लेकर इतनी हड़बड़ी क्यों मची थी और अगर आयोजन हो भी गया तो विश्वविद्यालय प्रबंधन को जल्द से जल्द विद्यार्थियों की परेशानियों को देखते हुए उन्हें डिग्री मुहैया कराने की जरूरत है, ताकि विद्यार्थियों को जॉब के समय डिग्रियों की जरूरत पड़ने पर कोई परेशानी उन्हें ना हो.