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रांची: 1 साल से तहसील कचहरी भवन में रहने को मजबूर दो परिवार, अधिकारी नहीं ले रहे सुध - उमेदंडा के 2 परिवारों की बेवश भरी जिंदगी

रांची के उमेदंडा गांव के 2 गरीब परिवार पिछले एक साल से तहसील कचहरी भवन में रहने को विवश हैं. उनका घर पिछली बारिश में धंस गया था. दोनों परिवार तब से यहीं रह रहे हैं.

रांची: 1 साल से बेघर है उमेदंडा का ये 2 परिवार,
2 families of Umedanda of ranchi compel to live in Kachhari Bhavan
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Published : Jul 5, 2020, 5:29 PM IST

रांची: बुढ़मू प्रखंड के उमेदंडा गांव के 2 गरीब परिवार तहसील कचहरी भवन में रहने को विवश हैं. उनका घर पिछली बारिश में धंस गया था. प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव कुमार, अंचलाधिकारी सुनील चंद्रा, मुखिया रामदेव पहान और पंचायत समिति सदस्य प्रदीप साहू ने लगभग 1 साल पहले उन्हें तहसील कचहरी में रहने को जगह दिया था. दोनों परिवार तब से यहीं रह रहे हैं.

देखें पूरी खबर

जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी

अब तहसील कचहरी ही इन गरीब परिवार का घर है. दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इनके पास खेती के लिए लगभग 15 डिसमिल जमीन है और पुराना मकान पूरी तरह टूटा और धंसा हुआ है. आज भी इन परिवारों को शौचालय के लिए खेतों में ही जाना पड़ता है. जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी किया, लेकिन मजदूरी भत्ता नहीं मिला. इधर, लॉकडाउन की वजह से इन परिवारों के बीच भुखमरी की समस्या बढ़ती जा रही है. कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मकान आवंटन के लिए अनुरोध किया, लेकिन आज तक आवास का आवंटन नहीं हुआ. अब इनका भरोसा सरकारी योजनाओं से उठ गया है.

ये भी पढ़ें-लालू वार्ड के सुरक्षा की जांच करने पहुंचे सिटी एसपी, सुरक्षा कर्मियों को किया दुरुस्त

समृद्ध परिवार को मिलता है सरकारी योजनाओं का लाभ

ग्रामीणो का कहना है कि सक्षम परिवार को ही शुरू से सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहा है और अभी भी मिल रहा है. ये योजनाएं जरूरतमंद परिवार तक सिर्फ सुनने के लिए है. इधर, प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि पिछले साल यह मामला उनके संज्ञान में आया था, जिसमे 8 लाभुकों को आवास दिया गया है और इन परिवारों के कागजात जांच कर एक हफ्ते के अंदर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि संभव हुआ तो अंबेडकर आवास के तहत इन परिवार का नाम जोड़ दिया जायेगा. जल्द ही इनको विभाग से बात कर आवास दिया जायेगा.

रांची: बुढ़मू प्रखंड के उमेदंडा गांव के 2 गरीब परिवार तहसील कचहरी भवन में रहने को विवश हैं. उनका घर पिछली बारिश में धंस गया था. प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव कुमार, अंचलाधिकारी सुनील चंद्रा, मुखिया रामदेव पहान और पंचायत समिति सदस्य प्रदीप साहू ने लगभग 1 साल पहले उन्हें तहसील कचहरी में रहने को जगह दिया था. दोनों परिवार तब से यहीं रह रहे हैं.

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जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी

अब तहसील कचहरी ही इन गरीब परिवार का घर है. दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इनके पास खेती के लिए लगभग 15 डिसमिल जमीन है और पुराना मकान पूरी तरह टूटा और धंसा हुआ है. आज भी इन परिवारों को शौचालय के लिए खेतों में ही जाना पड़ता है. जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी किया, लेकिन मजदूरी भत्ता नहीं मिला. इधर, लॉकडाउन की वजह से इन परिवारों के बीच भुखमरी की समस्या बढ़ती जा रही है. कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मकान आवंटन के लिए अनुरोध किया, लेकिन आज तक आवास का आवंटन नहीं हुआ. अब इनका भरोसा सरकारी योजनाओं से उठ गया है.

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समृद्ध परिवार को मिलता है सरकारी योजनाओं का लाभ

ग्रामीणो का कहना है कि सक्षम परिवार को ही शुरू से सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता रहा है और अभी भी मिल रहा है. ये योजनाएं जरूरतमंद परिवार तक सिर्फ सुनने के लिए है. इधर, प्रखंड विकास पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि पिछले साल यह मामला उनके संज्ञान में आया था, जिसमे 8 लाभुकों को आवास दिया गया है और इन परिवारों के कागजात जांच कर एक हफ्ते के अंदर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि संभव हुआ तो अंबेडकर आवास के तहत इन परिवार का नाम जोड़ दिया जायेगा. जल्द ही इनको विभाग से बात कर आवास दिया जायेगा.

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