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कोरोना संकट: वरदान साबित हो रहा 108 एंबुलेंस सेवा, चालक निभा रहे अपनी भागीदारी

कोरोना के इस बढ़ते संकट में 108 एंबुलेंस सेवा लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में एंबुलेंस और एंबुलेंस चालक लगातार अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

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Published : Apr 9, 2020, 9:53 AM IST

Updated : Apr 9, 2020, 7:17 PM IST

108 ambulance service relief to people in Corona epidemic in ranchi
108 एंबुलेंस सेवा

रांचीः करोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसको लेकर सभी चीज हर जगह थम गई है, लेकिन इस लॉकडाउन के विशेष परिस्थिति में भी एंबुलेंस की सेवा बदस्तूर जारी है. झारखंड में भी एंबुलेंस की सेवा को मेडिकल सुविधा के लिए चालू रखा गया है. ताकि गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल लाया जा सके. कोविड-19 के कारण आए इस संकट के दौर में एंबुलेंस और उसके चालक भी कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में लगातार अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

देखिए पूरी खबर
सभी जिलों में कोविड-19 के मरीजों के 3-3 एंबुलेंस

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पूरे राज्य में 108 एंबुलेंस की संख्या लगभग 360 है जिसमें सभी जिलों में कोविड-19 के मरीजों के लिए तीन-तीन एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. आईडीएसपी झारखंड से मिली जानकारी के अनुसार यह बताया गया है की वर्तमान में राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा के 72 एंबुलेंस को कोविड-19 के मरीजों के लिए चिन्हित किया गया है. मतलब कि प्रत्येक जिला में 108 एंबुलेंस सेवा की तीन-तीन एंबुलेंस मुहैया कराई गई है.

जान पर खेलकर चालक दे रहे सेवा
कोरोना के संकट में एंबुलेंस चालक भी अपनी जान पर खेलकर लगातार सेवा दे रहे हैं. रिम्स में कार्यरत एंबुलेंस संचालक इंद्रजीत सरकार बताते हैं कि इस वक्त एंबुलेंस का काम अत्यधिक हो गया है. कोविड-19 के बढ़ते संदिग्ध मरीजों को अस्पताल तक लाना उसके बाद जो मरीज इस वायरस से संक्रमित हुए हैं उन्हें भी एंबुलेंस के माध्यम से ही अस्पताल तक लाया जाता है.

ये भी पढ़ें- हजारीबागः कोरोना पॉजिटिव मरीज की हालत में हो रहा सुधार, जिले में 18,093 लोगों की गई है स्कैनिंग

अपनी सुरक्षा बरतते हुए पॉजिटिव मरीज को लाने जाते हैं चालक
वहीं, उन्होंने बताया कि एंबुलेंस चालक कोरोना के पॉजिटिव मरीज को लाने से पहले अपनी सुरक्षा के लिए पीपीई किट, हैंड ग्लव्स, हेड गियर सहित विभिन्न उपकरण पहनते हैं. उसके बाद कोरोना के पॉजिटिव मरीज को अस्पताल तक लाते हैं ऐसे में उन्हें कई बार वाहन चलाने में भी दिक्कतें होती है लेकिन वह अपने दायित्व को निभाते हुए अपना काम लगातार कर रहे हैं.

एंबुलेंस से लाई जा रही कोविड-19 से जुड़ी दवाएं
लॉकडाउन होने के कारण सड़क पर वाहनों की भी काफी कमी है इसीलिए जरूरत पड़ने पर कोविड-19 से जुड़ी दवाओं को लाने के लिए भी एंबुलेंस का ही प्रयोग किया जा रहा है. एंबुलेंस चालक बताते हैं कि स्वास्थ्य कर्मचारी होने के नाते यह हमारा धर्म बनता है कि किसी भी कीमत पर लोगों को उन्हें बेहतर इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचा जाए, इसीलिए इस संकट के दौर में सभी एंबुलेंस चालक बिना डरे और हिचके अपना काम किए जा रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.

उस एंबुलेंस में अन्य मरीज को नहीं लाया जाएगा
वहीं, आईडीएसपी झारखंड से मिली जानकारी के अनुसार जो एंबुलेंस कोविड-19 के मरीज के लिए चिन्हित किया गया है. उस एंबुलेंस में अन्य मरीज को नहीं लाया जा सकता क्योंकि कई बार एंबुलेंस को सैनिटाइज करने के बावजूद भी उसमें संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. झारखंड के आईडीएसपी सेल के अनुसार राज्य के 24 जिलों के लिए 108 एंबुलेंस सेवा के 72 एंबुलेंस को चिन्हित कर लिया गया है उसके अलावा लगभग ढाई सौ 108 एंबुलेंस अन्य गंभीर मरीज की सेवा के लिए रखा गया है.

ये भी पढ़ें- जानिए कैसे होता है कोरोना का टेस्ट, कितने देर में पूरी होती है जांच

झारखंड राज्य में महज़ 72 एम्बुलेंस
वहीं, अन्य गंभीर मरीजों को फिलहाल जरूरत के हिसाब से तो एंबुलेंस मुहैया कराई जा रही है, लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि सवा तीन करोड़ आबादी वाले झारखंड राज्य में महज़ 72 एम्बुलेंस से कोविड-19 की लड़ाई लड़ ली जाएगी या फिर स्वास्थ विभाग को विशेष एंबुलेंस इंतजाम करनी होगी.

एंबुलेंस चालकों को दिए गए कई दिशा-निर्देश

फिलहाल झारखंड में कोविड-19 कि मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं है इसीलिए निजी अस्पतालों के एंबुलेंस चालकों को कई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं लेकिन अगर कोरोना के संक्रमित मरीजों में बढ़ोतरी होती है तो निजी एंबुलेंसो को भी कोरोना के संदिग्ध मरीजों को अस्पताल लाने के लिए उपयोग में लाया जाएगा और सरकारी स्तर पर ऐसे निजी एंबुलेंस को सरकार अपने अधीन भी कर सकती है.

सरकारी अस्पताल के एंबुलेंस भी अलर्ट

108 एंबुलेंस के एडवांस लाइफ स्पोर्ट सिस्टम और बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त एंबुलेंस को फिलहाल उपयोग किया जा रहा है. वहीं सभी सदर अस्पताल के एंबुलेंस और अन्य सरकारी अस्पताल के एंबुलेंस को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर ऐसे एंबुलेंसो को भी त्वरित सेवा में लाया जा सके.

सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की हालत खराब
वहीं, राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की हालत बहुत अच्छी नहीं है ऐसे में सरकार सिर्फ 108 एंबुलेंस सेवा के भरोसे कोविड-19 के मरीजों से लड़ाई लड़ने की बात कह रही है लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती है तो एंबुलेंस और एंबुलेंस चालकों की भी संख्या को बढ़ाना होगा.

रांचीः करोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसको लेकर सभी चीज हर जगह थम गई है, लेकिन इस लॉकडाउन के विशेष परिस्थिति में भी एंबुलेंस की सेवा बदस्तूर जारी है. झारखंड में भी एंबुलेंस की सेवा को मेडिकल सुविधा के लिए चालू रखा गया है. ताकि गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल लाया जा सके. कोविड-19 के कारण आए इस संकट के दौर में एंबुलेंस और उसके चालक भी कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में लगातार अपनी भागीदारी निभा रहे हैं.

देखिए पूरी खबर
सभी जिलों में कोविड-19 के मरीजों के 3-3 एंबुलेंस

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पूरे राज्य में 108 एंबुलेंस की संख्या लगभग 360 है जिसमें सभी जिलों में कोविड-19 के मरीजों के लिए तीन-तीन एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है. आईडीएसपी झारखंड से मिली जानकारी के अनुसार यह बताया गया है की वर्तमान में राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा के 72 एंबुलेंस को कोविड-19 के मरीजों के लिए चिन्हित किया गया है. मतलब कि प्रत्येक जिला में 108 एंबुलेंस सेवा की तीन-तीन एंबुलेंस मुहैया कराई गई है.

जान पर खेलकर चालक दे रहे सेवा
कोरोना के संकट में एंबुलेंस चालक भी अपनी जान पर खेलकर लगातार सेवा दे रहे हैं. रिम्स में कार्यरत एंबुलेंस संचालक इंद्रजीत सरकार बताते हैं कि इस वक्त एंबुलेंस का काम अत्यधिक हो गया है. कोविड-19 के बढ़ते संदिग्ध मरीजों को अस्पताल तक लाना उसके बाद जो मरीज इस वायरस से संक्रमित हुए हैं उन्हें भी एंबुलेंस के माध्यम से ही अस्पताल तक लाया जाता है.

ये भी पढ़ें- हजारीबागः कोरोना पॉजिटिव मरीज की हालत में हो रहा सुधार, जिले में 18,093 लोगों की गई है स्कैनिंग

अपनी सुरक्षा बरतते हुए पॉजिटिव मरीज को लाने जाते हैं चालक
वहीं, उन्होंने बताया कि एंबुलेंस चालक कोरोना के पॉजिटिव मरीज को लाने से पहले अपनी सुरक्षा के लिए पीपीई किट, हैंड ग्लव्स, हेड गियर सहित विभिन्न उपकरण पहनते हैं. उसके बाद कोरोना के पॉजिटिव मरीज को अस्पताल तक लाते हैं ऐसे में उन्हें कई बार वाहन चलाने में भी दिक्कतें होती है लेकिन वह अपने दायित्व को निभाते हुए अपना काम लगातार कर रहे हैं.

एंबुलेंस से लाई जा रही कोविड-19 से जुड़ी दवाएं
लॉकडाउन होने के कारण सड़क पर वाहनों की भी काफी कमी है इसीलिए जरूरत पड़ने पर कोविड-19 से जुड़ी दवाओं को लाने के लिए भी एंबुलेंस का ही प्रयोग किया जा रहा है. एंबुलेंस चालक बताते हैं कि स्वास्थ्य कर्मचारी होने के नाते यह हमारा धर्म बनता है कि किसी भी कीमत पर लोगों को उन्हें बेहतर इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचा जाए, इसीलिए इस संकट के दौर में सभी एंबुलेंस चालक बिना डरे और हिचके अपना काम किए जा रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.

उस एंबुलेंस में अन्य मरीज को नहीं लाया जाएगा
वहीं, आईडीएसपी झारखंड से मिली जानकारी के अनुसार जो एंबुलेंस कोविड-19 के मरीज के लिए चिन्हित किया गया है. उस एंबुलेंस में अन्य मरीज को नहीं लाया जा सकता क्योंकि कई बार एंबुलेंस को सैनिटाइज करने के बावजूद भी उसमें संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. झारखंड के आईडीएसपी सेल के अनुसार राज्य के 24 जिलों के लिए 108 एंबुलेंस सेवा के 72 एंबुलेंस को चिन्हित कर लिया गया है उसके अलावा लगभग ढाई सौ 108 एंबुलेंस अन्य गंभीर मरीज की सेवा के लिए रखा गया है.

ये भी पढ़ें- जानिए कैसे होता है कोरोना का टेस्ट, कितने देर में पूरी होती है जांच

झारखंड राज्य में महज़ 72 एम्बुलेंस
वहीं, अन्य गंभीर मरीजों को फिलहाल जरूरत के हिसाब से तो एंबुलेंस मुहैया कराई जा रही है, लेकिन यह सवाल जरूर उठ रहा है कि सवा तीन करोड़ आबादी वाले झारखंड राज्य में महज़ 72 एम्बुलेंस से कोविड-19 की लड़ाई लड़ ली जाएगी या फिर स्वास्थ विभाग को विशेष एंबुलेंस इंतजाम करनी होगी.

एंबुलेंस चालकों को दिए गए कई दिशा-निर्देश

फिलहाल झारखंड में कोविड-19 कि मरीजों की संख्या ज्यादा नहीं है इसीलिए निजी अस्पतालों के एंबुलेंस चालकों को कई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं लेकिन अगर कोरोना के संक्रमित मरीजों में बढ़ोतरी होती है तो निजी एंबुलेंसो को भी कोरोना के संदिग्ध मरीजों को अस्पताल लाने के लिए उपयोग में लाया जाएगा और सरकारी स्तर पर ऐसे निजी एंबुलेंस को सरकार अपने अधीन भी कर सकती है.

सरकारी अस्पताल के एंबुलेंस भी अलर्ट

108 एंबुलेंस के एडवांस लाइफ स्पोर्ट सिस्टम और बेसिक लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त एंबुलेंस को फिलहाल उपयोग किया जा रहा है. वहीं सभी सदर अस्पताल के एंबुलेंस और अन्य सरकारी अस्पताल के एंबुलेंस को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर ऐसे एंबुलेंसो को भी त्वरित सेवा में लाया जा सके.

सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की हालत खराब
वहीं, राज्य के कई सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस की हालत बहुत अच्छी नहीं है ऐसे में सरकार सिर्फ 108 एंबुलेंस सेवा के भरोसे कोविड-19 के मरीजों से लड़ाई लड़ने की बात कह रही है लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि अगर संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती है तो एंबुलेंस और एंबुलेंस चालकों की भी संख्या को बढ़ाना होगा.

Last Updated : Apr 9, 2020, 7:17 PM IST
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