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कोयला उत्पादन में अहम भूमिका निभा रही रामगढ़ में महिलाएं, चला रही भारी भरकम मशीन

रामगढ़ जिले के सीसीएल कुजू प्रक्षेत्र में महिलाएं मिसाल पेश कर रही हैं. सीसीएल में महिलाएं भारी भरकम शॉवेल मशीन ऑपरेट कर रही हैं. सीसीएल में केवल एक नहीं बल्कि 20 ऐसी महिलाएं हैं जो ऐसी मिसाल पेश कर रही हैं. एक महिला ने बताया कि उसके पति की मौत के बाद उसने यह काम शुरु किया. वहीं, आज वो पूरे रामगढ़ ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल है.

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Published : Mar 8, 2020, 8:32 PM IST

Women in Ramgarh playing an important role in coal production
शॉवेल मशीन ऑपरेट करती महिला

रामगढ़: जिले के सीसीएल कुजू प्रक्षेत्र में महिला के कोमल हाथ आज कोलियरी में भारी-भरकम शॉवेल मशीन ऑपरेट कर एक कुशल श्रमिक की भूमिका अदा कर रहे हैं. झारखंड उत्खनन प्रोजेक्ट में शॉवेल मशीन चलाने वाली रुक्मणी की कर्मठता साबित करती है कि नारी अब कमजोर नहीं रह गई है.

देखें पूरी खबर

सीसीएल झारखंड उत्खनन परियोजना में 20 ऐसी महिलाएं इसका उदाहरण हैं. सभी महिलाएं पति के गुजरने के बाद बुरे हालातों का सामना कर अपनी जिंदगी को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दी हैं. आज वे सभी महिला सीसीएल में कोयला खनन समेत अन्य कामों को बेहतर रूप से करने के लिए जानी जाती हैं. ये महिलाएं सुबह अपने घर का कामकाज निपटाकर जनरल शिफ्ट पर ड्यूटी करने आती हैं.

Women in Ramgarh playing an important role in coal production
शॉवेल मशीन चलाती महिला
सीसीएल में कार्यरत पति की अचानक हुई मौत से रुक्मणी पूरी तरह से टूट चुकी थी. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गई. पति की जगह सीसीएल में नौकरी तो मिली लेकिन ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होने की वजह से अच्छा काम मिलने में मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उसने हिम्मत नहीं हारी और छह महीने का प्रशिक्षण लेकर वह एक कुशल शॉवेल ऑपरेटर बन गई. लेकिन अब तो शॉवेल मशीन चलाना दिनचर्या सा बन गया है.

ये भी देखें- देवघर में हर्बल गुलाल की डिमांड, अब लोग खेलेंगे इको फ्रेंडली होली

Women in Ramgarh playing an important role in coal production
शॉवेल मशीन
रुक्मणी देवी ने बताया कि 2015 से वह जिस मशीन को ऑपरेट करती हैं, उस मशीन की क्षमता 5 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन है. इस मशीन से ओवर बर्डन और कोयला का उठाव कर हॉलपैक डंपरों में लादा जाता है. पूरी मशीन अकेले ही ऑपरेट करती हैं, यह काम बड़ा चुनौती भरा है.

रामगढ़: जिले के सीसीएल कुजू प्रक्षेत्र में महिला के कोमल हाथ आज कोलियरी में भारी-भरकम शॉवेल मशीन ऑपरेट कर एक कुशल श्रमिक की भूमिका अदा कर रहे हैं. झारखंड उत्खनन प्रोजेक्ट में शॉवेल मशीन चलाने वाली रुक्मणी की कर्मठता साबित करती है कि नारी अब कमजोर नहीं रह गई है.

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सीसीएल झारखंड उत्खनन परियोजना में 20 ऐसी महिलाएं इसका उदाहरण हैं. सभी महिलाएं पति के गुजरने के बाद बुरे हालातों का सामना कर अपनी जिंदगी को इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दी हैं. आज वे सभी महिला सीसीएल में कोयला खनन समेत अन्य कामों को बेहतर रूप से करने के लिए जानी जाती हैं. ये महिलाएं सुबह अपने घर का कामकाज निपटाकर जनरल शिफ्ट पर ड्यूटी करने आती हैं.

Women in Ramgarh playing an important role in coal production
शॉवेल मशीन चलाती महिला
सीसीएल में कार्यरत पति की अचानक हुई मौत से रुक्मणी पूरी तरह से टूट चुकी थी. पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसके कंधे पर आ गई. पति की जगह सीसीएल में नौकरी तो मिली लेकिन ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं होने की वजह से अच्छा काम मिलने में मुश्किल हो रहा था. ऐसे में उसने हिम्मत नहीं हारी और छह महीने का प्रशिक्षण लेकर वह एक कुशल शॉवेल ऑपरेटर बन गई. लेकिन अब तो शॉवेल मशीन चलाना दिनचर्या सा बन गया है.

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Women in Ramgarh playing an important role in coal production
शॉवेल मशीन
रुक्मणी देवी ने बताया कि 2015 से वह जिस मशीन को ऑपरेट करती हैं, उस मशीन की क्षमता 5 क्यूबिक मीटर प्रतिदिन है. इस मशीन से ओवर बर्डन और कोयला का उठाव कर हॉलपैक डंपरों में लादा जाता है. पूरी मशीन अकेले ही ऑपरेट करती हैं, यह काम बड़ा चुनौती भरा है.
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