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कोयले के पानी से बुझती है रामगढ़ के इस गांव की प्यास, जानिए क्या है ग्रामीणों की मजबूरी - रामगढ़ का ढठवाटांड़ गांव

रामगढ़ के ढठवाटांड़ के ग्रामीण पानी-पानी के लिए तरस रहे हैं. 25-30 आदिवासी परिवार की आबादी वाले ढठवाटांड़ गांव के लोग यह जानते ही नहीं कि मूलभूत सुविधा भी कुछ होती है. देखिए पूरी रिपोर्ट...

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Published : Nov 4, 2020, 2:11 PM IST

रामगढ़: जिले के चितरपुर प्रखंड क्षेत्र के मायल पंचायत के ढठवाटांड़ गांव के लोग आजादी के 80 साल बाद भी चुल्लू भर पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं. आज भी ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ये लोग लगभग एक किलोमीटर दूर सीसीएल रजरप्पा के डंपिंग यार्ड के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं.

देखिए पूरी खबर

गांव की आबादी 150

आदिवासी बहुल इस गांव में 25-30 परिवार रहते हैं. गांव की आबादी लगभग 150 है. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं है. खासकर पानी का जुगाड़ करने में महिलाओं का घंटों समय बीत जा रहा है. हालांकि, बिजली पहुंच गयी है, लेकिन उसकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. जब घर के लोग की जिंदगी पानी के जद्दोजहद में ही गुजर जाती हो तो, फिर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की कौन सोचे, सब भगवान भरोसे है.

डंपिंग यार्ड से पानी की आपूर्ति

इस गांव में न तो अधिकारी और न ही नेता पहुंचते हैं. हां चुनाव के समय वोट मांगते जरूर दिख जाते हैं. गांव की महिलाएं लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर डंपिंग यार्ड जाती हैं और वहां स्रोत के पानी को डेगची में भरकर घर लाती हैं, तब जाकर वे इस पानी को पीने और खाना बनाने में इस्तेमाल करती है. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. इसकी वजह से छोटे-छोटे बच्चे शिक्षा से वंचित हैं.

ये भी पढ़ें: कोरोना में कुम्हारों की उम्मीद, दीये लाएंगे खुशहाली की दीपावली

ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क भी जर्जर है यह गांव शायद झारखंड का इकलौता ऐसा गांव होगा, जहां प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिये सड़क भी नहीं है. इस पूरे मामले में जब पंचायत की मुखिया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ग्रामसभा हुआ है. जल्द ही जलमीनार लगाया जाएगा. आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भी सर्वे करके भेजा गया है.

रामगढ़: जिले के चितरपुर प्रखंड क्षेत्र के मायल पंचायत के ढठवाटांड़ गांव के लोग आजादी के 80 साल बाद भी चुल्लू भर पानी के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं. आज भी ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. ये लोग लगभग एक किलोमीटर दूर सीसीएल रजरप्पा के डंपिंग यार्ड के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं.

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गांव की आबादी 150

आदिवासी बहुल इस गांव में 25-30 परिवार रहते हैं. गांव की आबादी लगभग 150 है. यहां के लोगों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं है. खासकर पानी का जुगाड़ करने में महिलाओं का घंटों समय बीत जा रहा है. हालांकि, बिजली पहुंच गयी है, लेकिन उसकी भी स्थिति अच्छी नहीं है. जब घर के लोग की जिंदगी पानी के जद्दोजहद में ही गुजर जाती हो तो, फिर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की कौन सोचे, सब भगवान भरोसे है.

डंपिंग यार्ड से पानी की आपूर्ति

इस गांव में न तो अधिकारी और न ही नेता पहुंचते हैं. हां चुनाव के समय वोट मांगते जरूर दिख जाते हैं. गांव की महिलाएं लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर डंपिंग यार्ड जाती हैं और वहां स्रोत के पानी को डेगची में भरकर घर लाती हैं, तब जाकर वे इस पानी को पीने और खाना बनाने में इस्तेमाल करती है. ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है. इसकी वजह से छोटे-छोटे बच्चे शिक्षा से वंचित हैं.

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ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सड़क भी जर्जर है यह गांव शायद झारखंड का इकलौता ऐसा गांव होगा, जहां प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिये सड़क भी नहीं है. इस पूरे मामले में जब पंचायत की मुखिया से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ग्रामसभा हुआ है. जल्द ही जलमीनार लगाया जाएगा. आंगनबाड़ी केंद्र के लिए भी सर्वे करके भेजा गया है.

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