रामगढ़: गर्मी की तपिश बढ़ते ही लगातार जलस्तर में कमी आ रही है, हालात यह है कि अब रामगढ़ जिले के कई जगहों पर लोग जल की दो बूंद के लिए दर-दर भटक रहे हैं और पानी के लिए लोग पानी-पानी होते जा रहे हैं तब जाकर उन्हें पानी नसीब हो रहा है. सबसे बड़ी विडंबना है कि जिला प्रशासन की ओर से इन जगहों पर पानी कि इन्हीं दो बूंद के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं आज वह योजनाएं हाथी का दांत साबित हो रही हैं.
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पानी के लिए जद्दोजहद
रामगढ जिले के मांडू प्रखंड के चुंबा क्षेत्र में सभी लोग पानी के लिए सुबह से लाइन लगाए रहते हैं और अपनी-अपनी बारी आने का इंतजार करते रहते हैं. इस इलाके के लोग एक दो जगह से बोरिंग के पानी का सहारा ले रहे हैं. पर वह भी नाकाफी है, क्योंकि पानी की जो धारा है वह काफी कम है. एक बाल्टी भरने में करीब 20 मिनट लग जाते हैं, लेकिन इनके पास कोई और साधन भी नहीं है. घंटों इंतजार करना पड़ता है, मजबूरन लोग 1 किलोमीटर दूर जलाशयों से भरी दोपहरी में 1 किलोमीटर तक पैदल यात्रा कर पानी अपने माथे में ढोकर लाते हैं.
पंचायत प्रतिनिधियों के हाथ पड़ते ही सप्लाई बंद
ग्रामीणों की माने तो पांच वर्ष पूर्व जब जलमीनार बना तो वे काफी खुश थे. पानी की सप्लाई भी करीब दो सालों तक ठीक-ठाक रही लेकिन जब से पेयजल विभाग ने पंचायत प्रतिनिधियों के हाथों में पानी सप्लाई का जिम्मा सौंपा तब से विभाग की लापरवाही के कारण पानी सप्लाई बंद हो गयी. इस मामले में ग्रामीणों का कहना है कि वो पानी के लिए टैक्स देते आ रहे हैं लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि टैक्स के लिये यहां कोई व्यक्ति डिप्यूट नहीं है ऐसे में ग्रामीण टैक्स कहां दें.
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करीब 2 साल से टैक्स नहीं दे रहे लोग
इस मामले में पेयजल विभाग के जेई विमलेंदु प्रसाद ने बताया कि वहां के 40 प्रतिशत ग्रामीणों का वाटर टैक्स बाकी है. इस वजह से टैक्स कर्मी काम नहीं कर रहे हैं और पानी सप्लाई बंद है. यह योजना ग्राम जल स्वच्छता समिति को हस्तांतरित की गयी है और वहां की पब्लिक टैक्स की राशि नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते मजदूरों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. पैसे के अभाव में जलापूर्ति योजना भी बंद है. करीब 2 साल से टैक्स का भुगतान नहीं किया गया है. पहले कुछ लोग टैक्स दे रहे थे और कुछ लोग नहीं दे रहे थे. अब सभी लोगों ने टैक्स नहीं देने का फैसला किया है.
5 वर्ष पहले ही हुआ था जल मीनार का निर्माण
सबसे बड़ी विडंबना है कि 2022 तक हर घर में पानी पहुंचाने की योजना के तहत यहां करोड़ों की लागत से एक नहीं दो नहीं तीन बड़े-बड़े जल मीनार का निर्माण 5 वर्ष पहले ही करवा दिया गया था लेकिन आज तक यह योजना धरातल रूप नहीं ले पाई है.