रामगढ़ः मनरेगा पार्क का नाम सुनकर आपके जेहन में कई सारे सवाल उठेंगे और आप यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि यह कैसा पार्क है. मनरेगा पार्क एक ऐसा पार्क है जहां लोगों के लिए रोजगार का सृजन हो रहा है. सरकार की योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं. मनरेगा में रोजगार की गारंटी मिलती है, इस पार्क के बनने से काम का भरोसा दोगुना हो गया है. यह योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का मॉडल है और ग्राम स्वराज का भी सशक्त उदाहरण है.
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मांडू प्रखंड अंतर्गत कुजू पूर्वी पंचायत के मुरपा गांव में बने मनरेगा पार्क के चारों तरफ इमारती वृक्ष एवं बागवानी योजना के तहत आम के वृक्ष लगाए गए हैं. पूरे पार्क में इंटर क्रॉपिंग के माध्यम से विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जा रही है. इसके साथ ही पार्क में मनरेगा के तहत संचालित कुल 11 योजनाएं धरातल पर हैं. इनमें अलग-अलग योजनाओं से ग्रामीण जुड़े हुए हैं. गांव में 16 एकड़ क्षेत्र में बने मनरेगा पार्क अंतर्गत कूप निर्माण, आम बागवानी योजना, मुर्गी शेड, बकरी शेड, गाय शेड, डोभा निर्माण, समतलीकरण, तालाब निर्माण, मुख्यमंत्री दीदी बाड़ी योजना, मिट्टी मोरम पथ, इंटर क्रॉपिंग खेती भी की जा रही है.
मनरेगा पार्क एक विशेष पहल है, जिसके तहत किसी गांव या प्रखंड के एक ही स्थान पर मनरेगा की कई योजनाएं संचालित की जाती हैं. जिनके माध्यम से एक ही स्थान पर ग्रामीणों को मनरेगा की अलग-अलग योजनाओं से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जाता है. रामगढ़ का मनरेगा पार्क जिले का एक महत्वपूर्ण आकर्षक मनरेगा योजनाओं का समूह है, जो आज ग्रामीणों को मनरेगा के प्रति आकर्षित कर रहा है. इस मनरेगा पार्क ने ना केवल लाभुकों को जीवन यापन करने का एक नया स्रोत दिया है अपितु कई सारे मजदूर जो बाहर काम करते थे, उन्हें अपने गांव में काम करने की ओर आकर्षित कर रहा है. मनरेगा पार्क मुरपा पंचायत को ही नहीं बल्कि पूरे रामगढ़ जिले को प्रमाणित कर रहा है.
कुजू पूर्वी पंचायत के मुरपा गांव के लाभुक बताते हैं कि तत्कालीन मुखिया अशोक कुमार ने प्रेरित किया, जिसके बाद हमलोग इस ओर आकर्षित हुए और अब उन्हें लाभ हुआ है. मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार तो मिल ही रहा है और उनकी बंजर जमीन भी लहलहा रही है. इंटरक्रॉपिंग खेती के साथ-साथ हमने अमरूद, नींबू सहित कई फलदार वृक्ष लगाए हैं, जो आने वाले समय में आमदनी को दोगुनी ही करेंगे और इस पूरे इलाके को हरा-भरा भी करेंगे. खेती के साथ रोजगार भी मिल रहा है. जिससे काफी खुशी है. इस बार आम की फसल हुई थी, कई कमजोर आम पेड़ों के मंजर को तोड़ दिया गया, बावजूद कई पेड़ ऐसे थे जिनमें भारी मात्रा में आम की पैदावार भी हुई, क्योंकि यह पेड़ की पहली फसल थी इसलिए हम सभी ने अपने घर ले जाकर इसकी पूजा की है और आपस में इसे बांट लिए. कई किसान हैं जो इंटरक्रॉपिंग खेती के तहत रहर, केसर, भिंडी, प्याज, आलू, बादाम सहित कई मौसमी सब्जी लगा रहे हैं. इससे भी उनकी आमदनी हो रही है. साथ ही साथ यह पूरा 16 एकड़ का बंजर इलाका अब हरा भरा हो गया है. जिसे देखकर काफी आनंद महसूस करते हैं.
कुजू पूर्वी के पूर्व मुखिया अशोक कुमार बताते हैं कि शुरुआती दौर में ग्रामीणों को समझाने में काफी कठिनाई हुई. ग्रामीणों को विश्वास और भरोसा दिलाया गया है कि बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत योजनाएं संचालित की जाएंगी. इसमें उन्हें मनरेगा के तहत रोजगार भी मिलेगा. एक-एक कर सभी ग्रामीणों को समझाया गया और जब ग्रामीण तैयार हुए तो ग्रामीणों के सहयोग से बना यह मनरेगा पार्क जिले के लिए मिसाल बन रहा है. रोजगार मिल रहा है, बंजर भूमि उपजाऊ हो गया है. किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है और रोजगार मिल रहा है. इसके साथ ही इस पार्क में हम लोग जल संरक्षण को भी काफी महत्व दिए हुए हैं. जल संरक्षण भी कर रहे हैं, हालांकि गर्मी में अभी इस पथरीली भूमि पर पानी की थोड़ी बहुत दिक्कत हो जा रही है, लेकिन आने वाले समय में इसे हम पूरी तरह खत्म कर देंगे.