रांची: रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जाता है. एक तरफ रामगढ़ उपचुनाव के लिए चंद दिन ही बचे हैं. दूसरी तरफ हेमंत सरकार के खिलाफ छात्रों की नाराजगी देखी जा रही है. सरकार के खिलाफ छात्रों की यह नाराजगी कहीं इस चुनाव को खास ना बना दे. दरअसल, इस चुनाव में नियोजन नीति रद्द होने के साथ-साथ घोषणा के अनुरूप सत्ताधारी दल के द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया नहीं शुरू किए जाने के खिलाफ छात्र काफी आक्रोशित हैं. छात्र गोलबंद होकर ना केवल सत्तारूढ़ दल के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे, बल्कि चुनाव में सीधी भागीदारी निभाकर सरकार को सबक सिखाने की तैयारी में जुटे हैं.
बेरोजगार छात्र आजमाएंगे किस्मत: सरकार के वादाखिलाफी से नाराज छात्र रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में नामांकन कर चुनाव मैदान में उतरेंगे. छात्र संगठनों के इस फैसले के बाद स्वाभाविक रूप से रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में बड़ी संख्या में नामांकन होने की संभावना है. मिली जानकारी के अनुसार अब तक एक दर्जन से अधिक छात्रों ने नामांकन पत्र खरीद लिया है और एक-दो दिनों के अंदर ये नामांकन भी करेंगे.
छात्र नेता ने क्या कहा: छात्र नेता देवेंद्र महतो कहते हैं कि यहां के बेरोजगार युवकों को सत्तारूढ़ दल ने ठगने का काम किया है. कभी नियोजन नीति के नाम पर तो कभी बड़े पैमाने पर नियुक्ति होने की बात कह कर सरकार बेरोजगार युवकों को दिग्भ्रमित करती रही है. ऐसे में युवा समुदाय सरकार के वादाखिलाफी से नाराज होकर रामगढ़ उपचुनाव में छात्रों ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है. इस चुनाव में बड़ी संख्या में छात्रों के द्वारा नामांकन किया जाएगा.
छात्र ने कहा- सरकार बना भी सकते हैं, गिरा भी सकते हैं: वहीं छात्र रविंद्र स्वासी सरकार के वादाखिलाफी से बेहद नाराज दिखे. उन्होंने नियुक्ति के नाम पर सरकार के द्वारा युवाओं को छलने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो युवा सरकार बना सकता है, वह युवा सरकार गिरा भी सकता है. रामगढ़ उपचुनाव से ये युवा सांकेतिक रूप से चुनाव लड़ कर सत्तारूढ़ दल के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे और यही हाल रहा तो आने वाले समय में यानी 2024 में हर विधानसभा क्षेत्र से युवा सरकार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे.
छात्रों की तैयारी जोरों पर: बहरहाल 27 फरवरी को होने वाले रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है. 7 फरवरी तक नामांकन पर्चा भरा जाएगा. छात्रों की तैयारी को देखते हुए इससे इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस बार के रामगढ़ उपचुनाव में कई छात्र किस्मत आजमाने उतरेंगे. अगर इनकी संख्या ज्यादा होगी तो स्वाभाविक रूप से चुनाव आयोग के लिए भी यह मुसीबत खड़ी हो जाएगी कि इतनी संख्या में बने प्रत्याशियों के लिए ईवीएम की व्यवस्था कैसे की जाए.