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पतरातू डैम में विदेशी मेहमानों का डेरा, पिकनिक मनाने के लिए सैलानी भी बढ़े

साइबेरियन विदेशी मेहमानों के आगमन से रामगढ़ का पतरातू डैम इलाका गुलजार हो गया है ( Siberian Birds In Patratu Dam Ramgarh). यहां बड़ी संख्या में पक्षी आए हुए हैं, जिन्हें देखने के लिए सैलानी भी बढ़ गए हैं.

Siberian birds in Patratu Dam Ramgarh
पतरातू डैम रामगढ़ में साइबेरियन पक्षी
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Published : Nov 30, 2022, 7:56 PM IST

रामगढ़ः रामगढ़ जिले के खूबसूरत पर्यटक स्थल पतरातू लेक रिजॉर्ट में विदेशी मेहमानों ने दस्तक दे दी है (Siberian Birds In Patratu Dam Ramgarh). बड़ी संख्या में साइबेरियन पक्षी इन दिनों पतरातू डैम में अठखेलियां कर रहे हैं, जिसके दीदार के लिए पर्यटक पहुंचने लगे हैं. यहां बोटिंग का भी खूब क्रेज है. हालांकि पर्यटकों को रिझाने के लिए लगाए गए झूलों के बंद रहने से कुछ सैलानियों का मजा भी किरकिरा हो रहा है.

ये भी पढ़ें-गुलजार होगा लातेहार का जंगल, इको फ्रेंडली पार्क निर्माण की तैयारी

बता दें कि रामगढ़ जिला राजधानी रांची के करीब ही है और राजधानी के पास ही रामगढ़ जिले में पतरातू लेक रिजॉर्ट है. इससे बड़ी संख्या में सैलानी यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. साइबेरिया में जब सर्दी बढ़ जाती है तो वहां से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर साइबेरियन पक्षी यहां पहुंचते हैं और डेरा डाल देता हैं. ये पक्षी मार्च तक यहीं रहते हैं, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी भी यहां आते हैं.

देखें पूरी खबर


नौकायन की सुविधाः पतरातू लेक रिजॉर्ट में नौकायन की भी सुविधा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए यहां झूलों और ट्रैक आदि की भी व्यवस्था की गई है. इसका आनंद उठाने के लिए नवंबर से सैलानियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगती है. और दिसंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक बड़ी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं. पतरातू डैम के किनारे बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क भी बनाया गया है. वहीं वाटर पार्क में जेट स्ट्रीम, हाई स्पीड मोटर बोट, पैडल बोट आदि की भी व्यवस्था है.

धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र है रामगढ़ः रामगढ़ जिले में देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल मां छिन्नमस्तिका मंदिर भी है. इसके अलावा भी कई और ऐसी चीजें हैं, जो दर्शनीय हैं और लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं.

क्या कहते हैं पर्यटकः पतरातू डैम आए एक पर्यटक ने कहा कि यहां हर उम्र के पर्यटक के लिए मनोरंजन का साधन उपलब्ध है. यहां आकर अच्छा लगता है. एक बुजुर्ग पर्यटक ने कहा कि वह कश्मीर भी घूमे हैं, कन्याकुमारी भी घूमे हैं लेकिन यहां जैसा आनंद कहीं नहीं मिलता है. हालांकि हजारीबाग के कोर्रा से शिक्षा निकेतन के विद्यार्थी झूले न होने से मायूस थे.

रामगढ़ः रामगढ़ जिले के खूबसूरत पर्यटक स्थल पतरातू लेक रिजॉर्ट में विदेशी मेहमानों ने दस्तक दे दी है (Siberian Birds In Patratu Dam Ramgarh). बड़ी संख्या में साइबेरियन पक्षी इन दिनों पतरातू डैम में अठखेलियां कर रहे हैं, जिसके दीदार के लिए पर्यटक पहुंचने लगे हैं. यहां बोटिंग का भी खूब क्रेज है. हालांकि पर्यटकों को रिझाने के लिए लगाए गए झूलों के बंद रहने से कुछ सैलानियों का मजा भी किरकिरा हो रहा है.

ये भी पढ़ें-गुलजार होगा लातेहार का जंगल, इको फ्रेंडली पार्क निर्माण की तैयारी

बता दें कि रामगढ़ जिला राजधानी रांची के करीब ही है और राजधानी के पास ही रामगढ़ जिले में पतरातू लेक रिजॉर्ट है. इससे बड़ी संख्या में सैलानी यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं. साइबेरिया में जब सर्दी बढ़ जाती है तो वहां से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर साइबेरियन पक्षी यहां पहुंचते हैं और डेरा डाल देता हैं. ये पक्षी मार्च तक यहीं रहते हैं, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी भी यहां आते हैं.

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नौकायन की सुविधाः पतरातू लेक रिजॉर्ट में नौकायन की भी सुविधा है. यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए यहां झूलों और ट्रैक आदि की भी व्यवस्था की गई है. इसका आनंद उठाने के लिए नवंबर से सैलानियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगती है. और दिसंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर फरवरी के प्रथम सप्ताह तक बड़ी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं. पतरातू डैम के किनारे बच्चों के लिए चिल्ड्रन पार्क भी बनाया गया है. वहीं वाटर पार्क में जेट स्ट्रीम, हाई स्पीड मोटर बोट, पैडल बोट आदि की भी व्यवस्था है.

धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र है रामगढ़ः रामगढ़ जिले में देश के प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थल मां छिन्नमस्तिका मंदिर भी है. इसके अलावा भी कई और ऐसी चीजें हैं, जो दर्शनीय हैं और लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं.

क्या कहते हैं पर्यटकः पतरातू डैम आए एक पर्यटक ने कहा कि यहां हर उम्र के पर्यटक के लिए मनोरंजन का साधन उपलब्ध है. यहां आकर अच्छा लगता है. एक बुजुर्ग पर्यटक ने कहा कि वह कश्मीर भी घूमे हैं, कन्याकुमारी भी घूमे हैं लेकिन यहां जैसा आनंद कहीं नहीं मिलता है. हालांकि हजारीबाग के कोर्रा से शिक्षा निकेतन के विद्यार्थी झूले न होने से मायूस थे.

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