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पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार, इसकी खासियत को जानकर हर कोई हैरान - कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह

रामगढ़ के पतरातू स्थित कल्पतरु तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र में ऐसी झुले की अविष्कार की गई है, जिसकी मदद से जमीन/कुआं से पानी छत की टंकी पर बिना बिजली या बिना किसी मोटर के पानी पहुंच जाता है. इस झूले को कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह की देखरेख में संजीत सिंह ने तैयार करवाया है. झूला झूलने के क्रम में एक पिस्टल ऊपर और दूसरे नीचे जाता है दोनों पिस्टन का आउटपुट एक जगह है. इससे चापानल वाली विधि लगातार धाराप्रवाह कर पानी निकलता है.

Swing invented in patratu that fills water and is quite effective, पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार
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Published : Sep 4, 2020, 5:59 AM IST

रामगढ़ः जिले के पतरातू स्थित कल्पतरु तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र में न सिर्फ छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता है बल्कि नई तकनीक और अविष्कार कर के आत्मनिर्भर बनने के लिए भी तैयार कर रहा है. इस केंद्र के इंजीनियरों ने ऐसी ही करिश्माई झूले की खोज की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

केवल 10 हजार रुपये का खर्च

एस झूले को झूलने में लोगों को खुब आनंद तो आता ही है साथ ही झूले की मदद से जमीन/कुआं से पानी छत की टंकी पर बिना बिजली या बिना किसी मोटर के पानी पहुंच जाता है. इस झूला को बनाने में जो खर्च आता है वह केवल 10 हजार रुपये है. इस झूले को खड़गपुर में आईआईटी प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किया गया था. वहां पीएमओ की टीम की ओर से इस झूले पर दिल्ली के इंजीनियरों के रिसर्च करने की भी बात कही गई थी. इस झूले को कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह की देखरेख में संजीत सिंह ने तैयार करवाया है. झूला झूलने के क्रम में एक पिस्टल ऊपर और दूसरे नीचे जाता है दोनों पिस्टन का आउटपुट एक जगह है. इससे चापानल वाली विधि लगातार धाराप्रवाह कर पानी निकलता है, जिससे पानी जमीन से 50 फुट ऊपर छत तक जा सकता है. यह काफी स्कूलों में भी कारगर सिद्ध हो सकता है.

Swing invented in patratu that fills water and is quite effective, पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार
झूला झूलते लोग

1 दिन में 20 लीटर पानी की बचत

इंजीनियर संजीव सिंह बताते हैं कि उनका मूल उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वे इस तरह के उपाय कर रहे हैं ताकि खेल-खेल में ही उद्देश्य पूरा हो और लोगों को जागरूक भी हो. अगर कोई बच्चा झूला झूलने के दौरान 1 दिन में 20 लीटर पानी की बचत भी करता है तो इससे बच्चों में संस्कार ही आता है. खेलते-खेलते यदि वह बच्चा पानी की बचत करता है तो वह अपने आप में गौरवान्वित महसूस करता है. ऐसे में वह जागरूक भी होगा और पर्यावरण और पानी को संचय भी कर सकेगा. यह दोनों उद्देश्यों की पूर्ति यह झूला करता है.

Swing invented in patratu that fills water and is quite effective, पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार
झूला झूलते लोग

और पढ़ें- लातेहार में टाना भगतों का आंदोलन, 15 घंटों से रेलवे ट्रैक को कर रखा है जाम, रेल यातायात प्रभावित

बता दें, कि यह कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह का कहना है कि वसुधैव कुटुंबकम सर्वे भवंतू सुखिनाह. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व संचालक हैं और उन्होंने धनबाद के बीआईटी सिंदरी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी. संगठन से जुड़ने के बाद भी एक ऐसा सराहनीय काम किया है जो देश ही नहीं बल्कि देशहित को दर्शाता है. खेल-खेल में ही यदि जमीन का पानी छत पर या यूं कहें बेकार पानी को खेल खेल में पटवन के काम आ जाए तो उससे ज्यादा ऊर्जा की बचत हो ही नहीं सकती है.

रामगढ़ः जिले के पतरातू स्थित कल्पतरु तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र में न सिर्फ छात्रों को प्रशिक्षित किया जाता है बल्कि नई तकनीक और अविष्कार कर के आत्मनिर्भर बनने के लिए भी तैयार कर रहा है. इस केंद्र के इंजीनियरों ने ऐसी ही करिश्माई झूले की खोज की है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

केवल 10 हजार रुपये का खर्च

एस झूले को झूलने में लोगों को खुब आनंद तो आता ही है साथ ही झूले की मदद से जमीन/कुआं से पानी छत की टंकी पर बिना बिजली या बिना किसी मोटर के पानी पहुंच जाता है. इस झूला को बनाने में जो खर्च आता है वह केवल 10 हजार रुपये है. इस झूले को खड़गपुर में आईआईटी प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किया गया था. वहां पीएमओ की टीम की ओर से इस झूले पर दिल्ली के इंजीनियरों के रिसर्च करने की भी बात कही गई थी. इस झूले को कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह की देखरेख में संजीत सिंह ने तैयार करवाया है. झूला झूलने के क्रम में एक पिस्टल ऊपर और दूसरे नीचे जाता है दोनों पिस्टन का आउटपुट एक जगह है. इससे चापानल वाली विधि लगातार धाराप्रवाह कर पानी निकलता है, जिससे पानी जमीन से 50 फुट ऊपर छत तक जा सकता है. यह काफी स्कूलों में भी कारगर सिद्ध हो सकता है.

Swing invented in patratu that fills water and is quite effective, पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार
झूला झूलते लोग

1 दिन में 20 लीटर पानी की बचत

इंजीनियर संजीव सिंह बताते हैं कि उनका मूल उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना है. पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वे इस तरह के उपाय कर रहे हैं ताकि खेल-खेल में ही उद्देश्य पूरा हो और लोगों को जागरूक भी हो. अगर कोई बच्चा झूला झूलने के दौरान 1 दिन में 20 लीटर पानी की बचत भी करता है तो इससे बच्चों में संस्कार ही आता है. खेलते-खेलते यदि वह बच्चा पानी की बचत करता है तो वह अपने आप में गौरवान्वित महसूस करता है. ऐसे में वह जागरूक भी होगा और पर्यावरण और पानी को संचय भी कर सकेगा. यह दोनों उद्देश्यों की पूर्ति यह झूला करता है.

Swing invented in patratu that fills water and is quite effective, पतरातू के कल्पतरु में 'करिश्माई झुला' का अविष्कार
झूला झूलते लोग

और पढ़ें- लातेहार में टाना भगतों का आंदोलन, 15 घंटों से रेलवे ट्रैक को कर रखा है जाम, रेल यातायात प्रभावित

बता दें, कि यह कल्पतरु के संस्थापक सिद्धनाथ सिंह का कहना है कि वसुधैव कुटुंबकम सर्वे भवंतू सुखिनाह. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर पूर्व संचालक हैं और उन्होंने धनबाद के बीआईटी सिंदरी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी. संगठन से जुड़ने के बाद भी एक ऐसा सराहनीय काम किया है जो देश ही नहीं बल्कि देशहित को दर्शाता है. खेल-खेल में ही यदि जमीन का पानी छत पर या यूं कहें बेकार पानी को खेल खेल में पटवन के काम आ जाए तो उससे ज्यादा ऊर्जा की बचत हो ही नहीं सकती है.

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