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रजरप्पा में काली पूजा के अवसर पर मां छिन्नमस्तिके की विशेष आराधना, तांत्रिकों ने की तंत्र-मंत्र की सिद्धि - कार्तिक अमावस्या की रात

मां छिन्नमस्तिका मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात मां छिन्नमस्तिका की पूजा-अर्चना की गई. मां की पूजा करने कई राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे. इस दौरान रात भर मंदिर का पट खुला रहा.

मां छिन्नमस्तिके की पूजा
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Published : Oct 28, 2019, 12:44 PM IST

रामगढ़: मां छिन्नमस्तिके मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात को तंत्र-मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए अहम माना जाता है. अमावस्या की रात यहां कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे तो कई पहुंचे हुए तांत्रिक श्मशान भूमि और घने जंगलों में गुप्त रूप से तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए साधना करते हैं. रविवार को कार्तिक अमावस्या के मौके पर रात भर पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों के पट खुले रहे और मां काली की पूजा करने भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे.

देखिए पूरी खबर

मध्य रात्रि में रजरप्पा मंदिर में मां काली और मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा और रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया था. बड़ी संख्या में श्रद्धालु रजरप्पा मंदिर पहुंच माता की पूजा अर्चना की. दीपावली की रात यानी कार्तिक अमावस्या के मौके पर सिद्ध पीठ रजरप्पा में तप का विशेष महत्व होता है. 10 महाविद्या में काली को पहला और माता छिन्नमस्तिका का चौथा स्थान है. ऐसे में यहां तंत्र-मंत्र की सिद्धि का विशेष महत्व है. उसकी महत्ता जानने वाले साधक कार्तिक अमावस्या के मौके पर पहुंचकर मां की आराधना करते हैं. पूरा मंदिर परिसर मंत्रोचार से रात भर गूंज रहा था. मां छिन्नमस्तिके और मां काली दोनों एक ही कुल की है. इस कारण रजरप्पा में काली पूजा खास होती है.

ये भी पढे़ं: झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: 27 अक्टूबर की 10 बड़ी खबरें
कार्तिक अमावस्या को लेकर रजरप्पा मंदिर में व्यापक तैयारी की गई थी. यहां पहुंचने वाले साधु-संत और तांत्रिक की सुविधा का विशेष प्रबंध किया गया था. सभी 13 हवन कुंडों में हवन किया गया. मंदिर के पुजारी असीम पंडा ने बताया कि मंदिर का पट रात भर खुला रहता है. अमावस्या की रात को झारखंड, ओडिशा, बंगाल और बिहार से श्रद्धालु पहुंचते हैं. दामोदर नदी और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित माता छिन्नमस्तिके मंदिर तप के लिए देश में दूसरा मंदिर है. जितनी शक्ति छिन्नमस्तिके की धरती पर मिलती है शायद इतनी ही शक्ति कामरूप कामाख्या में भी मिलती है.

रामगढ़: मां छिन्नमस्तिके मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात को तंत्र-मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए अहम माना जाता है. अमावस्या की रात यहां कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे तो कई पहुंचे हुए तांत्रिक श्मशान भूमि और घने जंगलों में गुप्त रूप से तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए साधना करते हैं. रविवार को कार्तिक अमावस्या के मौके पर रात भर पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों के पट खुले रहे और मां काली की पूजा करने भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे.

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मध्य रात्रि में रजरप्पा मंदिर में मां काली और मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा और रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया था. बड़ी संख्या में श्रद्धालु रजरप्पा मंदिर पहुंच माता की पूजा अर्चना की. दीपावली की रात यानी कार्तिक अमावस्या के मौके पर सिद्ध पीठ रजरप्पा में तप का विशेष महत्व होता है. 10 महाविद्या में काली को पहला और माता छिन्नमस्तिका का चौथा स्थान है. ऐसे में यहां तंत्र-मंत्र की सिद्धि का विशेष महत्व है. उसकी महत्ता जानने वाले साधक कार्तिक अमावस्या के मौके पर पहुंचकर मां की आराधना करते हैं. पूरा मंदिर परिसर मंत्रोचार से रात भर गूंज रहा था. मां छिन्नमस्तिके और मां काली दोनों एक ही कुल की है. इस कारण रजरप्पा में काली पूजा खास होती है.

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कार्तिक अमावस्या को लेकर रजरप्पा मंदिर में व्यापक तैयारी की गई थी. यहां पहुंचने वाले साधु-संत और तांत्रिक की सुविधा का विशेष प्रबंध किया गया था. सभी 13 हवन कुंडों में हवन किया गया. मंदिर के पुजारी असीम पंडा ने बताया कि मंदिर का पट रात भर खुला रहता है. अमावस्या की रात को झारखंड, ओडिशा, बंगाल और बिहार से श्रद्धालु पहुंचते हैं. दामोदर नदी और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित माता छिन्नमस्तिके मंदिर तप के लिए देश में दूसरा मंदिर है. जितनी शक्ति छिन्नमस्तिके की धरती पर मिलती है शायद इतनी ही शक्ति कामरूप कामाख्या में भी मिलती है.

Intro:मां छिन्नमस्तिका मंदिर में कार्तिक अमावस्या की काली रात तंत्र मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए अहम माना जाता है सिद्ध पीठ रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिका मंदिर तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए महत्वपूर्ण है यहां आज की रात कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे तो कई पहुंचे हुए तांत्रिक श्मशान भूमि और घने जंगलों में गुप्त रूप से तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए साधना करते हैं छिन्नमस्तिका व दक्षिणेश्वर काली मंदिर सहित अन्य मंदिरों को भी चमचमाती रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है कार्तिक अमावस्या के मौके पर रात भर पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों का पाठ खुला रहेगा और भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं ।






Body:अमावस्या के मध्य रात्रि में रजरप्पा मंदिर में मां काली और मां छिन्नमस्तिका देवी की विशेष पूजा-अर्चना होगी पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा और रंग बिरंगी फूलों से सजाया गया है बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं रजरप्पा मंदिर पहुंच माता की पूजा अर्चना की यह विभिन्न हवन कुंडों में साधक व श्रद्धालुओं ने हवन व जाप किया ।

दीपावली की रात यानी कार्तिक अमावस्या के मौके पर सिद्ध पीठ रजरप्पा में तप का विशेष महत्व होता है 10 महाविद्या में काली को पहला और माता छिन्नमस्तिका का चौथा स्थान है ऐसे में यहां तंत्र मंत्र सिद्धि का विशेष महत्व है उसकी महत्ता जानने वाले साधक कार्तिक अमावस्या के मौके पर पहुंचकर मां की आराधना करते हैं। पूरा मंदिर परिसर मंत्रोचार से रात भर गूंज रहा है मा छिन्नमस्तिका वह मां काली दोनों एक ही कुल की है इस कारण रजरप्पा में काली पूजा खास होती है यह स्थान अमावस्या की रात्रि में मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त माना जाता है ।



रजरप्पा स्थित मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर है यह छिन्नमस्तिका मंदिर से पश्चिम में अवस्थित है अमावस्या के मौके पर तंत्र साधना का विशेष महत्व है ।


कार्तिक अमावस्या को लेकर रजरप्पा मंदिर में व्यापक तैयारी की गई है यहां पहुंचने वाले साधु-संत और तांत्रिक की सुविधा का विशेष प्रबंध किया गया है सभी 13 हवन कुंडों में हवन किया जा रहा है ।


मंदिर के पुजारी असीम पंडा ने बताया कि आज के दिन मंदिर का पट रात भर खुला रहता है आज के दिन झारखंड उड़ीसा बंगाल बिहार से श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां की आराधना करते हैं

बाइट असीम पंडा (पुजारी छिन्नमस्तिका मंदिर)



Conclusion:दामोदर नदी और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित माता छिन्नमस्तिका का मंदिर देश में इकलौता मंदिर है तप के लिए जितनी शक्ति छिन्नमस्तिका की धरती पर मिलती है शायद इतनी ही शक्ति कामरूप कामाख्या मैं भी मिलती है माता छिन्नमस्तिका की पावन धरती में साधना और सिद्धि के लिए दिव्य शक्ति मिलती है यहां सच्चे मन से साधना करने से माता का दिव्य रूप का दर्शन आसानी से हो सकता है और त्वरित फल की भी प्राप्ति संभव है। यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है इस कारण यहां बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन होता है
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