रामगढ़: मां छिन्नमस्तिके मंदिर में कार्तिक अमावस्या की रात को तंत्र-मंत्र की सिद्धि और साधना के लिए अहम माना जाता है. अमावस्या की रात यहां कई साधक और तांत्रिक खुले आसमान के नीचे तो कई पहुंचे हुए तांत्रिक श्मशान भूमि और घने जंगलों में गुप्त रूप से तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए साधना करते हैं. रविवार को कार्तिक अमावस्या के मौके पर रात भर पूजा-अर्चना के लिए मंदिरों के पट खुले रहे और मां काली की पूजा करने भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे.
मध्य रात्रि में रजरप्पा मंदिर में मां काली और मां छिन्नमस्तिके देवी की विशेष पूजा-अर्चना की गई. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत सज्जा और रंग बिरंगे फूलों से सजाया गया था. बड़ी संख्या में श्रद्धालु रजरप्पा मंदिर पहुंच माता की पूजा अर्चना की. दीपावली की रात यानी कार्तिक अमावस्या के मौके पर सिद्ध पीठ रजरप्पा में तप का विशेष महत्व होता है. 10 महाविद्या में काली को पहला और माता छिन्नमस्तिका का चौथा स्थान है. ऐसे में यहां तंत्र-मंत्र की सिद्धि का विशेष महत्व है. उसकी महत्ता जानने वाले साधक कार्तिक अमावस्या के मौके पर पहुंचकर मां की आराधना करते हैं. पूरा मंदिर परिसर मंत्रोचार से रात भर गूंज रहा था. मां छिन्नमस्तिके और मां काली दोनों एक ही कुल की है. इस कारण रजरप्पा में काली पूजा खास होती है.
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कार्तिक अमावस्या को लेकर रजरप्पा मंदिर में व्यापक तैयारी की गई थी. यहां पहुंचने वाले साधु-संत और तांत्रिक की सुविधा का विशेष प्रबंध किया गया था. सभी 13 हवन कुंडों में हवन किया गया. मंदिर के पुजारी असीम पंडा ने बताया कि मंदिर का पट रात भर खुला रहता है. अमावस्या की रात को झारखंड, ओडिशा, बंगाल और बिहार से श्रद्धालु पहुंचते हैं. दामोदर नदी और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित माता छिन्नमस्तिके मंदिर तप के लिए देश में दूसरा मंदिर है. जितनी शक्ति छिन्नमस्तिके की धरती पर मिलती है शायद इतनी ही शक्ति कामरूप कामाख्या में भी मिलती है.