रामगढ़ः महानवमी के दिन मां के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा पूरा देश कर रहा है. पूजा ब्रह्म मुहूर्त के समय से ही की जा रही है. रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर में शारदीय नवरात्र को लेकर महानवमी की विशेष पूजा-अर्चना की गई. अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता के दरबार पहुंच रहे हैं. सभी मां का आशीर्वाद ले रहे हैं. साधक 9 दिनों के नवरात्र के बाद आज पूजा का समापन और हवन कर रहे हैं.
मां छिन्नमस्तिके मंदिर में माता के दर्शन के लिए भक्तों की 2 से 3 किलोमीटर लंबी कतार लगी हुई है. भक्त अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि माता के दरबार में बलि देने की प्रथा है. शारदीय नवरात्र में मां की विशेष आराधना की जाती है. नवरात्र की नवमी पूजा का अलग ही महत्व है. नवमी को मां के भक्तों के उपवास का नौवां और अंतिम दिन होता है. इस वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मां की पूजा आराधना करते हैं. मां के भक्तों के साथ-साथ साधक और पाक उपासक भी 9 दिनों तक यहां अनुष्ठान करते हैं. यहां शक्ति की पूजा होती है, जिस वजह से साधन और उपवास सहित भक्तों के लिए इन दिनों का विशेष महत्व होता है.
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सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
छिन्नमस्तिके मंदिर न्यास समिति ने श्रद्धालुओं के लिए सुबह से ही मां का पट भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिया. यहां के पुजारी कहते हैं कि आज माता के दरबार में लगभग 15-20 हजार भक्त पहुंचेंगे और पूजा-अर्चना करेंगे. जिसे लेकर मंदिर न्यास समिति की ओर से वॉलिंटियर्स और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. किसी भी भक्त को किसी तरह की कोई परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. वहीं, 9 दिनों तक यहां साधना कर रहे साधकों को कहना है कि इस बार मां के अलौकिक रूप का दर्शन हुआ. इस बार नवरात्र 9 दिनों का था, जिस वजह से माता की पूजा 9 दिनों तक करने का अवसर मिला. मां कण-कण में वास करती हैं और माता का आशीर्वाद सब के ऊपर बना रहे, इसकी कामना की गई है.
वहीं, थाना प्रभारी कहते हैं कि सुरक्षा की दृष्टिकोण से पूरे मंदिर प्रक्षेत्र में सीसीटीवी से निगरानी और पुलिस बलों की तैनाती की गई है. श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की परेशानी न हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. सुबह से ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और मां की पूजा कर रहे हैं, हालांकि लंबी कतार की वजह से श्रद्धालुओं को थोड़ा इंतजार जरूर करना पड़ रहा है.
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मंदिर की विशेषता
दामोदर और भैरवी नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व मुखी है. यहां दक्षिण की ओर मुंह किए बिना सर वाली मां का दिव्य स्वरूप है. उनके दाएं हाथ में तलवार (खड़ग) और बाएं हाथ में उनका कटा हुआ सिर है. मां की तीन आंखें हैं. बायां पैर आगे की ओर बढ़ाए हुए मां कमल फूल पर खड़ी मुद्रा में विराजमान है. उनके पांव के नीचे कामदेव और रति शयन अवस्था में हैं, गले में मुंड की माला है. उनके अगल-बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं. उनके कटे हुए गले से रक्त की तीन धाराएं निकल रही हैं. डाकिनी-शाकिनी के अलावा वह खुद भी रक्तपान कर रही हैं.
वैसे तो मां छिन्नमस्तिके मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्र की नवमी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन हेतु पहुंचते हैं और मां की पूजा करते हैं. मां सभी की मुरादें पूरी करती हैं.