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रामगढ़ः मौत की घाटी बना चुटूपालू, मौत के आंकड़े हैं भयावह

झारखंड का रांची-रामगढ़ रोड NH-33. रांची और पटना को जोड़ने वाला अहम हाई-वे रामगढ़ के चुटूपालु घाटी से होकर गुजरता है. इस घाटी में हादसों में मरने वालों की संख्या ज्यादा है. लॉकडाउन से पहले गाड़ियों कम परिचालन से मौतें कम हुई थीं, लेकिन अनलॉक के महीनों में आंकड़ों को देखें तो औसतन हर महीने 10 से 12 लोगों की मौत हो रही है. इसको लेकर पुलिस प्रशासन मुखर तो है लेकिन जिला के साथ-साथ NH अथोरिटी के साथ-साथ केंद्र और राज्य की अनदेखी का शिकार हो रहा है.

Ramgarh's chutpalu became the valley of death
मौत की घाटी बना चुटूपालू
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Published : Aug 6, 2020, 11:03 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 6:17 AM IST

रामगढ़ः कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान काफी कुछ तब्दीलियां देखने को मिलीं. मौजूदा दौर में भले ही जिंदगी थम गई. लेकिन जल थल और प्रदूषण पर नियंत्रण हुआ है. यातायात दुर्घटना में 99 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई. झारखंड से गुजरने वाला NH-33 भी इस बात की तस्दीक करता है. रांची-पटना को जोड़ने वाली ये सड़क यात्रियों के लिए मौत का पैगाम लेकर आती रही है. संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान रामगढ़ के चुटूपालू घाटी में महज 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. लेकिन अनलॉक के दिनों की बात करें तो अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत घाटी में हुए रोड एक्सीडेंट में हो चुकी है.

देखें स्पेशल स्टोरी

क्यों है ये मौत की घाटी

आखिर चुटूपालू घाटी मौत घाटी क्यों बन गयी या फिर बनती जा रही है. लोगों की मानें तो उनका कहना है घाटी की तेज ढलान की हादसे की सबसे बड़ी वजह है. घाटी के बीच आने वाले तेज ढलान का सटीक अनुमान भी लगा पाना मुश्किल होता है. ढलान में बार-बार ब्रेक लगाने से कई बार गाड़ी खराब हो जाती है, ब्रेक फेल हो जाते हैं, जिसकी वजह से लोग हादसे का शिकार होते हैं. वाहन चालकों की ओर से लापरवाही में ओवरटेक करने की वजह भी हादसों की बड़ी वजह में से एक है.

क्या कहते हैं अधिकारी

रामगढ़ घाटी में बढ़ते हादसों और उससे हो रही मौतों को लेकर प्रशासन काफी परेशान है. एसडीपीओ अनुज उरांव ने बताया कि घाटी में ज्यादा मामले लापरवाही को लेकर सामने आए हैं. अक्सर लोग सटीक अनुमान ना लगाने की वजह से, दूसरे वाहन को तेजी से ओवरटेक करने, गाड़ी में खराबी, तेज रफ्तार को हादसों की वजह माना है. जिसको लेकर घाटी में बोर्ड लगाए गए हैं, लोगों को सड़क के विषय में जागरूक किया जा रहा है.

क्या है लोगों की मांग

इस घाटी से रोज सफर करने वाले चालकों की मांग है कि अगर इस घाटी की तेज ढलान को थोड़ा कम किया जाए, तो हादसों में कमी आएगी. इसके अलावा घाटी में पुलिस के जवानों की तैनाती की भी मांग की है. घाटी के पूरे रास्ते में और नोटिस बोर्ड लगाने की मांग की है. इसके अलावा टोल प्लाजा पर एक परामर्श केंद्र बनाने की मांग की है, ताकि आगे की संभावित खतरे के बारे में टोल से गुजरने वाले लोगों को सटीक जानकारी मिल सके, ताकि वाहन चालक आगे का सफर सावधानीपूर्वक कर सके.

अब तक किसी ने नहीं लिया संज्ञान

NH-33 रांची-पटना मुख्य मार्ग दो राज्यों, बिहार और झारखंड की राजधानी को आसपास में जोड़ने का काम करती है. रामगढ़ की चुटूपालू से होकर गुजरती ये NH-33 मौत का पैगाम देती है. हर महीने 10 से ज्यादा मौतें होना चिंता का विषय है. पुलिस प्रशासन ने जिला प्रशासन से लेकर NH अथोरिटी तक इस बात की शिकायत की है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. साल 2012 में इस घाटी में लेन तो बढ़ा दी गई, लेकिन हादसों पर अब तक कंट्रोल नहीं किया जा सका है.

ईटीवी भारत एक बार फिर आगाह कर रहा है कि यातायात नियमों का पालन के साथ घाटी धीमी रफ्तार में क्रॉस करें और किसी भी बड़ी गाड़ी और हैवी लोडेड गाडियों से समुचित दूरी बनाए रखें. अपने वाहन की रफ्तार पर काबू रखें. सीट बेल्ट, हेलमेट का उपयोग करें. इन सुरक्षा उपायों के साथ रामगढ़ की इस घाटी में आप अपनी यात्रा को मंगलमय और सुखद बना सकें.

रामगढ़ः कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान काफी कुछ तब्दीलियां देखने को मिलीं. मौजूदा दौर में भले ही जिंदगी थम गई. लेकिन जल थल और प्रदूषण पर नियंत्रण हुआ है. यातायात दुर्घटना में 99 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई. झारखंड से गुजरने वाला NH-33 भी इस बात की तस्दीक करता है. रांची-पटना को जोड़ने वाली ये सड़क यात्रियों के लिए मौत का पैगाम लेकर आती रही है. संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान रामगढ़ के चुटूपालू घाटी में महज 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. लेकिन अनलॉक के दिनों की बात करें तो अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत घाटी में हुए रोड एक्सीडेंट में हो चुकी है.

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क्यों है ये मौत की घाटी

आखिर चुटूपालू घाटी मौत घाटी क्यों बन गयी या फिर बनती जा रही है. लोगों की मानें तो उनका कहना है घाटी की तेज ढलान की हादसे की सबसे बड़ी वजह है. घाटी के बीच आने वाले तेज ढलान का सटीक अनुमान भी लगा पाना मुश्किल होता है. ढलान में बार-बार ब्रेक लगाने से कई बार गाड़ी खराब हो जाती है, ब्रेक फेल हो जाते हैं, जिसकी वजह से लोग हादसे का शिकार होते हैं. वाहन चालकों की ओर से लापरवाही में ओवरटेक करने की वजह भी हादसों की बड़ी वजह में से एक है.

क्या कहते हैं अधिकारी

रामगढ़ घाटी में बढ़ते हादसों और उससे हो रही मौतों को लेकर प्रशासन काफी परेशान है. एसडीपीओ अनुज उरांव ने बताया कि घाटी में ज्यादा मामले लापरवाही को लेकर सामने आए हैं. अक्सर लोग सटीक अनुमान ना लगाने की वजह से, दूसरे वाहन को तेजी से ओवरटेक करने, गाड़ी में खराबी, तेज रफ्तार को हादसों की वजह माना है. जिसको लेकर घाटी में बोर्ड लगाए गए हैं, लोगों को सड़क के विषय में जागरूक किया जा रहा है.

क्या है लोगों की मांग

इस घाटी से रोज सफर करने वाले चालकों की मांग है कि अगर इस घाटी की तेज ढलान को थोड़ा कम किया जाए, तो हादसों में कमी आएगी. इसके अलावा घाटी में पुलिस के जवानों की तैनाती की भी मांग की है. घाटी के पूरे रास्ते में और नोटिस बोर्ड लगाने की मांग की है. इसके अलावा टोल प्लाजा पर एक परामर्श केंद्र बनाने की मांग की है, ताकि आगे की संभावित खतरे के बारे में टोल से गुजरने वाले लोगों को सटीक जानकारी मिल सके, ताकि वाहन चालक आगे का सफर सावधानीपूर्वक कर सके.

अब तक किसी ने नहीं लिया संज्ञान

NH-33 रांची-पटना मुख्य मार्ग दो राज्यों, बिहार और झारखंड की राजधानी को आसपास में जोड़ने का काम करती है. रामगढ़ की चुटूपालू से होकर गुजरती ये NH-33 मौत का पैगाम देती है. हर महीने 10 से ज्यादा मौतें होना चिंता का विषय है. पुलिस प्रशासन ने जिला प्रशासन से लेकर NH अथोरिटी तक इस बात की शिकायत की है. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. साल 2012 में इस घाटी में लेन तो बढ़ा दी गई, लेकिन हादसों पर अब तक कंट्रोल नहीं किया जा सका है.

ईटीवी भारत एक बार फिर आगाह कर रहा है कि यातायात नियमों का पालन के साथ घाटी धीमी रफ्तार में क्रॉस करें और किसी भी बड़ी गाड़ी और हैवी लोडेड गाडियों से समुचित दूरी बनाए रखें. अपने वाहन की रफ्तार पर काबू रखें. सीट बेल्ट, हेलमेट का उपयोग करें. इन सुरक्षा उपायों के साथ रामगढ़ की इस घाटी में आप अपनी यात्रा को मंगलमय और सुखद बना सकें.

Last Updated : Aug 7, 2020, 6:17 AM IST
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