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रामगढ़ः इलाज के नाम पर निजी अस्पताल की मनमानी, कोरोना मरीजों को थमाया लाखों का बिल

रामगढ़ के निजी अस्पताल संचालक कोरोना संक्रमित मरीजों को लूट रहे हैं. अवैध तरीके से बिना स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दिए निजी अस्पताल में कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा. कोरोना संक्रमित मरीज को इलाज के नाम पर दो लाख रुपए का बिल थमाने पर स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन को जांच का आदेश दिया.

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सिविल सर्जन ने की जांच
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Published : May 13, 2021, 2:26 PM IST

रामगढ़ः शहरी क्षेत्र में निजी अस्पताल के संचालकों की ओर से कोरोना संक्रमित मरीजों को लूटा जा रहा है. जिन निजी अस्पतालों का जिला स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चयन नहीं किया है, ऐसे अस्पतालों में भी कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज चोरी से किया जा रहा है और इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा भी जा रहा.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- देवघर: कोरोना के इलाज के नाम पर मनमानी वसूली, SDO ने बैठक में दिए अहम निर्देश

मरीज को इलाज के बाद 2 लाख का बिल
ऐसा ही एक मामला शहर के एक निजी क्लीनिक से सामने आया है. जहां एक कोरोना संक्रमित मरीज को इलाज के बाद 2 लाख का बिल थमा दिया गया. मामले के तूल पकड़ने के बाद पूरा मामला झारखंड प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के पास पहुंचा. प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ओर से रामगढ़ जिला सिविल सर्जन को मामले की जांच का आदेश दिया गया. जांच के क्रम में सिविल सर्जन ने मामले को सही पाया. लेकिन जांच के नाम पर सिविल सर्जन भी लीपापोती कर वहां से निकल गई. सिविल सर्जन डॉ गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि ठीक होने के बाद अक्सर मरीज ऐसे आरोप लगाते रहते हैं. लेकिन अस्पताल ने भी अधिक बिल बना दिया था. उसको कम कराया जा रहा.

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अस्पताल की ओर से दिया गया बिल

कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा
मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्हें कम पैसे में इलाज कर देने का झांसा देकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया. इलाज में 10 से 15 हजार का खर्चा आएगा. लेकिन अस्पताल की ओर से जब बिल दिया गया तो वह लोग दंग रह गए. एक मरीज का बिल करीब 58 हजार और एक मरीज का बिल करीब एक लाख 95 हजार का बना दिया गया. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पताल को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चयन भी नहीं किया है. जिसकी वजह से यहां इलाज कराने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा जिला स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिलता. वहीं कोरोना संक्रमित मरीज की मौत की जानकारी भी जिला प्रशासन को नहीं मिलती है.

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अस्पताल की ओर से दिया गया बिल
सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि शिकायत मिली थी कि निजी अस्पताल की ओर से मरीज से अधिक पैसे लिए गए. संचालक और डॉक्टर से बात कर रियायत करा दी गई है. इन लोगों से आग्रह किया गया कि मरीजों के मानवीय आधार पर इलाज करें.

रामगढ़ः शहरी क्षेत्र में निजी अस्पताल के संचालकों की ओर से कोरोना संक्रमित मरीजों को लूटा जा रहा है. जिन निजी अस्पतालों का जिला स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चयन नहीं किया है, ऐसे अस्पतालों में भी कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज चोरी से किया जा रहा है और इलाज के नाम पर मरीजों को लूटा भी जा रहा.

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मरीज को इलाज के बाद 2 लाख का बिल
ऐसा ही एक मामला शहर के एक निजी क्लीनिक से सामने आया है. जहां एक कोरोना संक्रमित मरीज को इलाज के बाद 2 लाख का बिल थमा दिया गया. मामले के तूल पकड़ने के बाद पूरा मामला झारखंड प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के पास पहुंचा. प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ओर से रामगढ़ जिला सिविल सर्जन को मामले की जांच का आदेश दिया गया. जांच के क्रम में सिविल सर्जन ने मामले को सही पाया. लेकिन जांच के नाम पर सिविल सर्जन भी लीपापोती कर वहां से निकल गई. सिविल सर्जन डॉ गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि ठीक होने के बाद अक्सर मरीज ऐसे आरोप लगाते रहते हैं. लेकिन अस्पताल ने भी अधिक बिल बना दिया था. उसको कम कराया जा रहा.

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अस्पताल की ओर से दिया गया बिल

कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा
मरीजों के परिजनों का कहना है कि उन्हें कम पैसे में इलाज कर देने का झांसा देकर अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया. इलाज में 10 से 15 हजार का खर्चा आएगा. लेकिन अस्पताल की ओर से जब बिल दिया गया तो वह लोग दंग रह गए. एक मरीज का बिल करीब 58 हजार और एक मरीज का बिल करीब एक लाख 95 हजार का बना दिया गया. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जिला स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पताल को कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चयन भी नहीं किया है. जिसकी वजह से यहां इलाज कराने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों का आंकड़ा जिला स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिलता. वहीं कोरोना संक्रमित मरीज की मौत की जानकारी भी जिला प्रशासन को नहीं मिलती है.

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अस्पताल की ओर से दिया गया बिल
सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी ने कहा कि शिकायत मिली थी कि निजी अस्पताल की ओर से मरीज से अधिक पैसे लिए गए. संचालक और डॉक्टर से बात कर रियायत करा दी गई है. इन लोगों से आग्रह किया गया कि मरीजों के मानवीय आधार पर इलाज करें.
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