रामगढ़: सरकार लाख दावा करे फिर भी झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लोग दो बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. इनकी हालत देख सरकार की घरों तक नल की पानी पहुंचाने की योजना सहित डीएमएफटी मद से खर्च हो रही राशि भी सवालों के घेरे में नजर आती है. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड के बनवार गांव में ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला, जहां ग्रामीण आज भी जान जोखिम में डाल कर रोजाना पानी लेने के लिए मौत के मुंह में जाते हैं.
खतरनाक जगह से निकालते हैं पानी
इनकी एक चूक इन्हें 100 फिट से भी नीचे गहरे कोयले की खदान में गिरा सकता है. पर क्या करें जीने के लिए दो बूंद चाहिए और दो बूंद के लिए यहां रिस्क उठाना पड़ता है. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड स्थित बनवार गांव में कोयला खनन करने के दौरान पानी का जल स्तर नीचे चला गया है. इस कारण ग्रामीणों को पीने की पानी जुगाड़ करने में रोजाना मौत के साथ आंख-मिचौली खेलना पड़ता है. पानी लाने के दौरान जरा सी भी चूक हुई तो मौत निश्चित है. ग्रामीण खदान से सटे जमीन में छोटा सा गड्ढा बना कर पानी निकालते हैं. यह सिलसिला महीनों से चला आ रहा है. हालांकि सीसीएल की ओर विस्थापित और प्रभावित लोगों को मुआवजा मिला है और कुछ को नहीं, इसलिए ग्रामीण घर नहीं छोड़ रहे.
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स्थानीय महिलाओं का कहना है कि हेवी ब्लास्टिंग के कारण उनलोगों के चापाकल का जलस्तर नीचे चला गया है. सीसीएल से भी पानी के लिए मदद मांगी गई, कोई व्यवस्था नहीं मिली. महिला ने कहा कि वे लोग गढ्ढे से पानी लाने को मजबूर हैं, डर भी लगता है लेकिन करे भी तो क्या.