रामगढ़ः जिले में निजी अस्पतालों में मरीजों की लूट-खसोट, कोई नई बात नहीं है. निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य की दृष्टि से तो हालात चिंता का विषय है हीं, लेकिन ये लूटपाट एवं धन उगाही के ऐसे अड्डे बन गये हैं जो परेशानी का सबब बनते दिख रहे हैं.
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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत ऐसे नर्सिंग होम पर कार्रवाई की आवश्यकता है. निजी अस्पतालों में इलाज एवं जांच के नाम पर जिस तरह से लाखों रूपये वसूले जा रहे हैं, वह तो इलाज के नाम पर रुपये वसूलने का जरिया बन रहे है.
ताजा उदाहरण रामगढ़ के थाना चौक स्थित साईं हेल्थ केयर अस्पताल में देखने को मिला. बीती देर रात लगभग 2:00 बजे अब्दुल गफ्फार नामक युवक अपनी मां जाहिदा खातून को इलाज के लिए इस अस्पताल में लेकर आया.
गंभीर बीमारी का हवाला देकर डॉक्टरों ने उससे एडवांस के तौर पर 60 हजार ले लिए, लेकिन कुदरत को कुछ और मंजूर था अब्दुल गफ्फार की मां का देहांत हो गया और फिर से अस्पताल प्रबंधक ने 18,000 का बिल उसे थमा दिया.
जब वह अपने दिए हुए पूरे पैसे का बिल मांगने लगा तो वहां मौजूद प्रबंधक ने मृतका के घरवालों को शव ले जाने को कहा और बेटे को बाकी की रकम जमा देने का दबाव डाला और रकम नहीं जमा करने तक घर नहीं जाने की बात कही.
कोई भी बोलने से कतरा रहे
जैसे-जैसे बात बढ़ी वैसे वैसे लोग इकट्ठा हुए. इस मामले में मृतका के बेटे अब्दुल गफ्फार ने कहा कि उसने कल रात से आज तक अस्पताल में साठ हजार रुपये दिए हैं 20 हजार पे फोन से और चालीस हजार नगद. वह 18,000 रुपये देने को भी तैयार है लेकिन बिल नहीं मिलने के कारण वह काफी परेशान है.
वही प्रबंधक पूरे मामले में डॉक्टर से बात करने की बात कहता है सबसे ताज्जुब की बात है कि इस अस्पताल में देर रात 6 मरीज भर्ती थे लेकिन कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था दो तीन कर्मियों के भरोसे पूरा अस्पताल चल रहा है.
कोई भी कुछ इस पूरे मामले में बोलने से कतराते नजर आया. इस दौरान डॉ से संपर्क साधने का काफी प्रयास किया गया लेकिन पूरे मामले में कोई भी कुछ भी बोलने से कतराता रहा
ऐसे महंगे इलाज की फिर क्या उपयोगिता?
इस तरह की सरेआम लूटपाट इलाज के नाम पर हो रही है? लगता है प्रशासन नाम की चीज नहीं है, या उनकी मिलीभगत से जीवन के नाम पर मौत का व्यापार खुलेआम हो रहा है.
इलाज के नाम पर आम आदमी जाये तो कहां जाए. शासन- प्रशासन के जिम्मेदारों की उपेक्षा और उदासीनता के चलते नर्सिंग होम लूट-खसोट का अड्डा बने हुये हैं. जिनके संचालक भोली- भाली जनता को मौत का भय दिखाकर उनसे मनमाना पैसा वसूल रहे हैं.