रामगढ़: 5 साल से दामोदर नदी पर बना पुल अधूरा है. 5 करोड़ की लागत से पुल तैयार किया गया, लेकिन एप्रोच रोड नहीं बनाई गई. पुल के दोनों तरफ एप्रोच सड़क यानी मुख्य सड़क को जोड़ने वाली सड़कें ही नहीं हैं, जिससे पुल बहुत कम इस्तेमाल होता है और राज्य सरकार की ओर से खर्च किया गया पैसा बर्बाद होता नजर आ रहा है.
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दामोदर नदी पर जनवरी के महीने में 5 करोड़ का पुल कंप्लीट हुआ था. मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत इसे बनाया गया था. इक्का-दुक्का साइकिल और मोटरसाइकिल से ही लोग पुल को पार करते हैं. यही हाल रहा तो बहुत जल्द इस पुल की नींव को अवैध खनन कर बालू माफिया पूरी तरह खत्म कर देंगे.
2016 में हुआ था शिलान्यास
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर सरकार ने ग्रामीण सेतु योजना के तहत 28 अक्टूबर 2016 को पुल का शिलान्यास किया था. ये पुल रामगढ़ प्रखंड के सिरका तेलियाताड़ और पतरातू प्रखंड के घुटवा को जोड़ने के लिए बना था. साढ़े 4 साल बाद इस पुल पर बोर्ड लगा दिया गया है कि ये पूरा हो गया है, लेकिन हकीकत ये है कि इस पुल के दोनों ओर कई काम आज भी अधूरे पड़े हैं. पतरातू प्रखंड के घुटवा की ओर लगभग 600 मीटर और रामगढ़ प्रखंड के सिरका टेलियताड़ से मेन रोड जाने की ओर 1300 मीटर तक कोई सड़क ही नहीं है. ऐसे में इस पुल की उपयोगिता पूरी तरह समाप्त होती दिख रही है. दोनों प्रखंड के लोगों को काफी उम्मीद थी कि पुल के दोनों छोर को मेन रोड से जोड़ दिया जाएगा. ऐसा हो जाता तो दोनों प्रखंड के लोग 20 किलोमीटर की दूरी 4 किलोमीटर में ही पूरी कर लेते. इतना ही नहीं, मेन सड़क पर ट्रैफिक का बोझ भी कम पड़ता.
एप्रोच सड़क नहीं बनने से परेशानी
इस पुल का निर्माण 6 महीने पहले ही पूरा होने का बोर्ड लगाकर ये बता दिया गया है कि यह पुल पूरा हो गया है, लेकिन इस पुल पर पिछले 6 महीने से एक भी चार पहिया वाहन नहीं गुजरा है. वजह साफ है कि दोनों तरफ एप्रोच सड़क यानी दोनों तरफ दो प्रखंडों को जोड़ने वाली सड़क ही नहीं है. लोग जाएं भी तो कैसे, ये एक बड़ा सवाल है.
उम्मीदों पर फिरा पानी
जब इस पुल का निर्माण किया जा रहा था, तब ग्रामीण काफी खुश थे. लेकिन अब दोनों प्रखंड के लोग पुल बनने के बाद भी काफी कठिनाई से पैदल और दोपहिया वाहनों से आना-जाना करते हैं. कभी-कभी तो बारिश के मौसम में कच्ची सड़कों पर वो गिर भी जाते हैं. इसके अलावा तो कई बार जिस जमीन से ये पार होते हैं, उनके जमीन मालिक से भी इन लोगों की तू-तू मैं-मैं हो जाती है.
विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता क्या बोले?
पूरे मामले को लेकर विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता श्रवण कुमार ने कहा कि यह पहले की योजना है. जब यह जिला नहीं बना था, तब इस योजना का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. निर्माण कार्य पूरा होने का बोध तो जरूर लग गया है, लेकिन अभी कई त्रुटियां हैं. ठेकेदार को अभी पेमेंट नहीं हुआ है. साथ ही साथ जब पुल बना था, तब जो रास्ता दिख रहा था वो आम रास्ते की तरह लगता था. बाद में पता चला कि वह रैयतों की जमीन है, जिसके कारण एप्रोच सड़क नहीं बनी. प्रपोजल भेज दिया गया है, जल्द ही दोनों तरफ नापी कराकर जनप्रतिनिधि ग्रामीण के साथ बैठकर रास्ता निकाल लिया जाएगा.
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प्रशासन की लापरवाही, भुगत रहे ग्रामीण
मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत बने इस पुल को अगर प्रशासन और जनप्रतिनिधि गंभीरता से लेते, तब रामगढ़ प्रखंड और पतरातू प्रखंड की दूरी को लगभग 20 किलोमीटर कम किया जा सकता था. यह पुल इस इलाके में रह रहे लोगों के लिए बेहद अहम है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या ये पुल ऐसे ही हाथी का दांत साबित होगा या फिर जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन के साथ-साथ विभाग भी दोनों तरफ से अप्रोच सड़क बनाने में पहल करेंगे.