रामगढ़: देशभर में हिंदू और मुस्लिम तबके के बीच बढ़ती दूरी के इस दौर में सांप्रदायिक सद्भाव की एक नई मिसाल कायम की है. रामगढ़ शहर के दुसाद मुहल्ला में दर्जनों मुसलमानों ने कोरोना महामारी के दौर में न सिर्फ एक हिंदू पड़ोसी के अंतिम संस्कार का पूरा इंतजाम किया बल्कि अर्थी को दो किलोमीटर दूर दामोदर नदी के पास स्थित श्मशान घाट तक कंधा देते हुए पहुंचाया.
रामगढ़ में लॉकडाउन के बीच गंगा-जमुनी तहजीब की एक शानदार तस्वीर सामने आई है. कोरोना के डर से अपनों और पड़ोसियों के इनकार के बाद मुस्लिमों ने हिंदू पड़ोसी के शव को कंधा दिया. ये लोग न केवल वृद्धा की अंतिम यात्रा में शामिल हुए बल्कि उसके पार्थिव शरीर को बारी-बारी कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचाया. वहां पुत्र पुरुषोत्तम कुमार ने हिंदू रीति-रिवाज से मुखाग्नि दी.
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मुस्लिम युवकों ने किया अंतिम संस्कार
दरअसल, यहां एक हिन्दू परिवार में वृद्ध का निधन हो गया. उनके एकमात्र पुत्र पुरुषोत्तम कुमार को सूझ नहीं रहा था. महामारी के इस नाजुक हालात में अंतिम संस्कार की क्रिया को कैसे अंजाम दें. लॉकडाउन के चलते अर्थी को कंधा देने के लिए उनके परिवार का कोई नहीं था. अपने समाज के अगल-बगल के रहने वाले परिवारों से उन्होंने मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोरोना की वजह से अगल बगल में रहने वाले सभी लोगों ने अंतिम संस्कार में शामिल होने से इनकार कर दिया. उनके इनकार करने के बाद मृतिका के पुत्र ने मुस्लिम समाज के लोगों से मदद करने को कहा. उनकी बातों को सुनने के बाद मुस्लिम समाज के कुछ युवकों ने कहा कि आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. उन लोगों ने अर्थी को कंधा दिया और श्मशान घाट ले गए. इसके बाद उनके पड़ोसी मो. इमरान, मो. शहनवाज़, मो. आदिल, मो. आशिक, मो शमी उर्फ़ सन्नी सहित मुस्लिम समाज के कई लोगों ने मिलकर अंतिम संस्कार की सारी क्रिया को संपूर्ण किया.