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प्राइवेट अस्पताल की करतूत! जांच के लिए मरीज से पैसे और भेज दिया सदर अस्पताल

जिले के सदर अस्पताल में टीबी के मरीजों के लिए सीबीनेट जांच की सुविधा है. किसी भी मरीज को डॉक्टर सदर अस्पताल में ही सीबीनेट की जांच के लिए भेजते हैं जो निशुल्क होती है. बावजूद इसके प्राइवेट अस्पताल मरीजों से जांच के नाम पर फीस ले रहे हैं और उन्हें सदर अस्पताल भेज दे रहे हैं.

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Published : Jul 13, 2019, 10:06 AM IST

प्राइवेट क्लिनिक निरभया हेल्थ केयर सेन्टर

रामगढ़: टीबी की पहचान के लिए सीबीनेट की जांच की जाती है. यह सुविधा सिर्फ सदर अस्पताल में ही है. प्राइवेट क्लिनिक भी मरीजों को सदर अस्पताल में ही जांच के लिए भेजते हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि प्राइवेट अस्पताल मरिजों से जांच के लिए पैसे वसूल रहे हैं.

देखें पुरी ख़बर
क्या है पूरा मामला 6 जुलाई 2019 को गोला प्रखंड के 45 वर्षीय श्याम महतो यक्ष्मा केंद्र पहुंचा अपनी जांच की बात कही. जिसके बाद कुल 850 रुपये का बिल थमा दिया गया. डॉक्टर ने स्पयूटियम और एचआइवी जांच की जांच तो की और उसके बाद सीबीनेट जांच के लिए सदर अस्पताल भेज दिया, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि अस्पताल में मरीज से सीबीनेट जांच के पैसे भी वसूल लिए थे जबकि सदर अस्पताल में फ्री होना था.

सिविल सर्जन ने वसूली को बताया गलत
मामले में सिविल सर्जन डॉ नीलम चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल में टीबी की जांच और दवा की नि:शुल्क व्यवस्था है. सीबीनेट मशीन से जांच के लिए यक्ष्मा केंद्र में मरीज से किसी प्रकार का शुल्क लेना उचित नहीं है. टीबी के मरीज की जांच के बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर को मरीज की जानकारी भी यक्ष्मा विभाग के पदाधिकारियों को देने का निर्देश दिया गया है.

रामगढ़: टीबी की पहचान के लिए सीबीनेट की जांच की जाती है. यह सुविधा सिर्फ सदर अस्पताल में ही है. प्राइवेट क्लिनिक भी मरीजों को सदर अस्पताल में ही जांच के लिए भेजते हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि प्राइवेट अस्पताल मरिजों से जांच के लिए पैसे वसूल रहे हैं.

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क्या है पूरा मामला 6 जुलाई 2019 को गोला प्रखंड के 45 वर्षीय श्याम महतो यक्ष्मा केंद्र पहुंचा अपनी जांच की बात कही. जिसके बाद कुल 850 रुपये का बिल थमा दिया गया. डॉक्टर ने स्पयूटियम और एचआइवी जांच की जांच तो की और उसके बाद सीबीनेट जांच के लिए सदर अस्पताल भेज दिया, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि अस्पताल में मरीज से सीबीनेट जांच के पैसे भी वसूल लिए थे जबकि सदर अस्पताल में फ्री होना था.

सिविल सर्जन ने वसूली को बताया गलत
मामले में सिविल सर्जन डॉ नीलम चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल में टीबी की जांच और दवा की नि:शुल्क व्यवस्था है. सीबीनेट मशीन से जांच के लिए यक्ष्मा केंद्र में मरीज से किसी प्रकार का शुल्क लेना उचित नहीं है. टीबी के मरीज की जांच के बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर को मरीज की जानकारी भी यक्ष्मा विभाग के पदाधिकारियों को देने का निर्देश दिया गया है.

Intro:सदर अस्पताल में टीबी की जांच कराने के बाद मरीज से प्राइवेट अस्पताल ने वसूला पैसा...

मामला प्रकाश में आने के बाद डॉ भानू दास ने झाड़ा पल्ला, कहा टेक्नीकल प्रोब्लम के कारण हुई गलती...


सिविल सर्जन ने टीम बनाकर जांच के आदेश दिए...

टीबी के मरीजों की गहन जांच के लिए रामगढ़ जिले के सदर अस्पताल ही मात्र सीबीनेट जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके बावजूद शहर के बंगाली टोला चट्टी बाजार स्थित निरामया दास हेल्थ केयर सेंटर निजी अस्पताल के डॉ. भानू दास ने टीबी के मरीज से सीबीनेट जांच के लिए पांच सौ रुपये फीस ले लिए। इसके बाद मरीज को जांच के लिए सदर अस्पताल के यक्ष्मा केंद्र में भेज दिया। Body:जब 6 जुलाई 2019 को गोला प्रखंड के श्याम महतो (45वर्षीय) मरीज यक्ष्मा केंद्र पहुंचकर डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को रसीद थमा जांच के लिए कहा, तब मामले का खुलासा हुआ। मरीज से पूछे जाने पर बताया कि वे डॉ भानू दास के ईलाज के लिए गए थे। जहां डॉक्टर ने जांच कराने को कहा। उनके अस्पताल के लैब में जांच से पूर्व जब वे काउंटर में बिलिंग के लिए गए, तो काउंटर पर बैठे युवती पायल ने स्पयूटियम जांच के लिए डेढ़ सौ, एचआइवी दो सौ और सीबीनेट जांच के लिए पांच सौ कुल 850 रुपये लेकर रसीद थमा दी। इसके बाद डॉक्टर ने स्पयूटियम और एचआइवी जांच के लिए सैंपल लेने के बाद सीबीनेट जांच के लिए सदर अस्पताल के यक्षमा केंद्र जाने को कहा। साथ में यह भी कहा कि जांच रिर्पोट में टीबी की पुष्टि के बाद दवा दी जाएगी।

मामला प्रकाश में आने के बाद डॉ भानू दास ने झाड़ा पल्ला, कहा टेक्नीकल प्रोब्लम के कारण गलती हुई थी। मरीज से लिया गया शुल्क वापस कर दिया गया है।


Byte: dr bhanu das


सिविल सर्जन डॉ नीलम चौधरी ने कहा कि सदर अस्पताल में टीबी की जांच और दवा की नि:शुल्क व्यवस्था है। सीबीनेट मशीन से जांच के लिए यक्ष्मा केंद्र में मरीज से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेना है। इतना ही नहीं टीबी के मरीज की जांच के बाद प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर को मरीज की जानकारी भी यक्ष्मा विभाग के पदाधिकारियों को देने का निर्देश दिया गया है। सदर अस्पताल में इलाज के लिए प्राइवेट डॉक्टर द्वारा पैसा लिये जाने संबंधित मामला गंभीर है। इसकी जांच के लिए टीम बनाई गई है।

Byte dr nilam choudhary civil srjan

Conclusion:
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