रामगढ़ः जिला में स्वास्थ्य विभाग की ओर से निजी नर्सिंग होम के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की गई है. कोरोना मरीज से अधिक रुपए वसूलने मामले में थाना चौक के निजी नर्सिंग होम साईं हेल्थ केयर का लाइसेंस 45 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. इस कार्रवाई के बाद निजी नर्सिंग होम में खलबली है.
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सरकारी रेट से ज्यादा की वसूली
कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से चयनित अस्पताल नहीं होने के बावजूद साईं हेल्थ केयर अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर ने संक्रमित मरीजों का इलाज अवैध रूप से किया जा रहा है. इलाज के नाम पर मरीजों से लाखों रुपए जा रहे हैं. कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज के नाम पर 1 लाख 95 हजार का बिल थमाया. जिसकी शिकायत पर झारखंड स्वास्थ्य विभाग की ओर से रामगढ़ सिविल सर्जन को जांच का आदेश दिया था. जांच के दिन इस अस्पताल के प्रबंधन की ओर से कोविड-19 के मरीजों इलाज के लिए उसी दिन आनन-फानन में जिला के स्वस्थ विभाग में रजिस्टर्ड किया.
45 दिन तक के लिए लाइसेंस सस्पेंड
रामगढ़ सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी निजी अस्पताल पहुंच कर पूरे मामले की जांच की. मरीज से अधिक रुपए वसूलने की पुष्टि हुई. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन को अपना पक्ष रखने को कहा गया था. इस पूरे मामले में रामगढ़ जिला स्वास्थ विभाग ने संभवत कोरोना काल में झारखंड में पहली कार्रवाई साईं हेल्थ केयर निजी नर्सिंग होम पर हुई है. नर्सिंग होम में 45 दिन दिनों तक चिकित्सकीय सेवा पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. इस अस्पताल के लाइसेंस को 45 दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. हालांकि वहां इलाजरत मरीजों का इलाज चलता रहेगा. साथ ही साथ यह भी आदेश दिए गया है कि मरीज से अधिक वसूली गई लगभग 85 हजार रुपये राशि को वापस करने के निर्देश नर्सिंग होम को दिया गया है. इस पूरे मामले में कैमरे के सामने रामगढ़ जिले के सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी ने कुछ नहीं कहा, उन्होंने फोन पर पूरे मामले की जानकारी दी.
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क्या कार्रवाई हुई
साईं हेल्थ केयर निजी अस्पताल पर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के उल्लंघन पर कार्यवाही की गई है. अस्पताल में कोविड-19 से संक्रमित मरीज (द्वारिकानाथ) के इलाज के क्रम में सरकार की ओर से जारी रेट को अनदेखा कर मरीज से अधिक रुपए वसूलने की शिकायत हुई. जिसके बाद 11 मई को सिविल सर्जन गीता सिन्हा मानकी ने जांच दल के साथ अस्पताल जाकर पूरे मामले की जांच की. उन्होंने वहां पाया कि अस्पताल प्रबंधन मरीज से अधिक रुपए वसूल कर रही है. अस्पताल प्रबंधक को कोविड-19 के आपात स्थिति में क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2013 की धारा 42(1) 42(2) का उल्लंघन करने की बात कही गई है.
जिसके कारण झारखंड स्टेट क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन रूल 2013) की कंडिका 9 का अनुपालन कर अस्पताल का निबंधन 45 दिनों के लिए स्थगित किया गया है. इस अवधि में अस्पताल में कोई नए मरीज का इलाज और चिकित्सीय सेवा पर पूरी तरह रोक रहेगी. जो भर्ती मरीज हैं उनका इलाज पर किसी भी प्रकार की रोक नहीं है. अगर इस कार्रवाई के बावजूद अस्पताल प्रबंधन नए मरीजों को भर्ती करता है और दिए गए आदेश को नहीं मानता है तो फिर से प्रबंधन पर कार्रवाई नियम अनुसार की जाएगी.