रामगढ़: जिले में यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के व्यापक इंतजाम नहीं हैं. रामगढ़ जिले का एकमात्र बस स्टैंड आज भी जीर्णोद्धार और नवीनीकरण की बाट जोह रहा है. इस स्थिति में यात्रियों की सुविधा क्या है, सड़क पर बसों से यात्रियों के उतरने, बस स्टैंड पर यात्रियों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है. रांची से हजारीबाग और हजारीबाग से रांची की ओर जाने वाली कई सवारी बसें यात्रियों को शहर के बाहर ही उतार देते हैं. रामगढ़ जिले में एकमात्र बस स्टैंड है, जहां से बिहार-झारखंड, बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य प्रदेशों के लिए यात्री आते जाते हैं.
रामगढ़ जिले की अहमियत भी है, क्योंकि यहां दो छावनी रेजीमेंट के सेंटर हैं. पहला पंजाब और दूसरा सिख रेजीमेंट सेंटर, जहां पर सेना के जवानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. इतना ही नहीं विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां छिन्नमस्तिके मंदिर भी है. जहां काफी संख्या में भक्त आते हैं. धार्मिक दृष्टिकोण से भी जिले का खासा महत्व है. दूसरी ओर देखें तो पतरातू लेक रिजॉर्ट और पतरातू घाटी, जहां बॉलीवुड के साथ-साथ झॉलीवुड की भी शूटिंग होती है. रामगढ़ को कोयले की दूसरी राजधानी के रूप में भी जाना जाता है. यहां के माइंस से कोयला देश के विभिन्न शहरों और पावर प्लांटों में जाता है. झारखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, ओडिशा सहित अन्य प्रदेशों के लोगों का यहां आना जाना लगा रहता है. बावजूद यहां की परिवहन व्यवस्था बेहतर नहीं है.
जिले से हर दिन खुलते हैं सैकड़ों वाहन
जिले से दो से ढाई सौ बसें प्रतिदिन विभिन्न जगहों के लिए खुलती हैं और कई जगहों से यात्री यहां भी पहुंचते हैं, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के नाम पर यहां के बस स्टैंड में कोई सुविधा नहीं है. बस स्टैंड में न सफाई की व्यवस्था है और न ही यात्रियों के ठहरने की कोई उचित व्यवस्था है. स्वच्छता अभियान के तहत सभी घरों में शौचालय बनाने का काम किया जा रहा है. रामगढ़ जिला राज्य का पहला जिला बना था जो ओडीएफ फ्री हुआ था, लेकिन छावनी परिषद के इस बस स्टैंड में न ही शौचालय और न ही पीने का शुद्ध पानी यात्रियों को मिल पा रहा है, जबकि बस स्टैंड में प्रवेश करने वाली बसों से छावनी परिषद शुल्क लेती है, लेकिन उनकी सुरक्षा, सुविधा और उनकी देखरेख करने की व्यवस्था इस छावनी परिषद के बस स्टैंड में नहीं है.
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75 किलोमीटर रेडियस में रामगढ़ जिला
रामगढ़ जिला लगभग 75 किलोमीटर की रेडियस में स्थित है. जिले में एकमात्र बस स्टैंड है, जो बिरसा भगवान के नाम पर है. रामगढ़ छावनी परिषद का गठन 1941 में किया गया था. यात्रियों की सुविधा बस पड़ाव और अन्य सुविधाएं देने की जवाबदेही छावनी परिषद की है, लेकिन छावनी परिषद की ओर से 15 साल पहले नया बस स्टैंड का निर्माण तो किया गया, जहां केवल बसें खड़ा होने की जगह है. बस स्टैंड में यात्रियों को किसी भी तरह की कोई मूलभूत सुविधा मुकम्मल रूप से नहीं मिलती है.
सुविधाओं का अभाव
रामगढ़ जिले के बाईपास सड़क के चौक पर दूर-दराज से आने वाली बस यात्रियों को उतार देती है. बाईपास में उतरने के बाद यात्रियों में डर बना रहता है. बाईपास बनने के बाद शहर के बाहर पटेल चौक पर रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, कोडरमा, बिहार से आने वाली सैकड़ों बसें यात्रियों को बाहर ही उतरकर चली जाती हैं. इस चौक में न ही कोई बस पड़ाव है और न ही किसी भी तरह की कोई सुरक्षा के व्यापक इंतजाम. यात्री यहां से उतरने के बाद छोटी वाहनों का इंतजार करते हैं और फिर शहर में प्रवेश करते हैं. ऐसे में रात के समय में किसी अनहोनी की आशंका से इनकार भी नहीं किया जा सकता है और रामगढ़ जिले का एकमात्र बस स्टैंड तो अपनी बदहाली पर आंसू बहा ही रहा है.
बस स्टैंड में शौचालय की भी सुविधा नहीं
बस एजेंटों का कहना है कि बस स्टैंड में सुविधाओं का अभाव है. मूलभूत सुविधा पानी और शौचालय का भी टोटा है, आज तक न ही पानी और न ही शौचालय का निर्माण कराया गया है, यात्री सड़क के किनारे या फिर सुलभ शौचालय का उपयोग करते हैं. वहीं इस पूरे मामले में परिवहन पदाधिकारी ने कहा कि लगातार यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए छावनी परिषद को पत्र लिखा जाता है, साथ ही बस संचालकों को भी समय-समय पर निर्देश दिए जाते हैं, छावनी परिषद को कई बार कहा भी गया है कि यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को लेकर बस स्टैंड को ठीक करवाएं. इस पूरे मामले में छावनी परिषद का कोई भी पदाधिकारी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहा है.